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शुक्र नीति: इन पांच बातों को गांठ बांध लें, कभी नहीं होंगे परेशान

By पं. गजेंद्र शर्मा
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नई दिल्ली। दैत्यों के गुरु कहे जाने वाले शुक्राचार्य अपने समय के प्रकांड विद्वानों और समस्त धर्म ग्रंथों के ज्ञाता थे। उनके द्वारा कही गई बातें शुक्र नीति में दर्ज हैं।

आइये जानते हैं वे पांच बातें जो आज के संदर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी पहले थीं

1. भविष्य की सोचें, लेकिन भविष्य पर न टालें

दीर्घदर्शी सदा च स्यात, चिरकारी भवेन्न हि।
अर्थात- मनुष्य आज जो भी कार्य कर रहा है उसे भविष्य को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए। साथ ही आज का काम कल पर नहीं टालना चाहिए। इसका वास्तविक अर्थ यह हुआ कि मनुष्य को भविष्य की योजनाएं अवश्य बनाना चाहिए। उसे यह ध्यान रखना चाहिए कि आज वह जो भी कार्य कर रहा है उसका भविष्य में क्या परिणाम होगा। साथ ही जो काम आज करना है उसे आज ही करें। आलस्य करते हुए उसे भविष्य पर कदापि न टालें।

2. मित्र बनाते समय सावधानी रखें

यो हि मित्रमविज्ञाय यथातथ्येन मन्दधिः।
मित्रार्थो योजयत्येनं तस्य सोर्थोवसीदति।।

अर्थात- मनुष्य को अपने मित्र बनाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। बिना सोचे-समझे किसी से भी मित्रता कर लेना आपके लिए कई बार हानिकारक भी हो सकता है, क्योंकि मित्र के गुण-अवगुण, उसकी अच्छी-बुरी आदतें हम पर समान रूप से असर डालती है। इसलिए बुरे विचारों वाले या बुरी आदतों वाले लोगों से मित्रता नहीं करना चाहिए।


3. हद से ज्यादा किसी पर भरोसा न करें

नात्यन्तं विश्वसेत् कच्चिद् विश्वस्तमपि सर्वदा।
अर्थात- शुक्र नीति कहती है किसी व्यक्ति पर विश्वास करें लेकिन उस विश्वास की भी कोई सीमा रेखा होना चाहिए। शुक्राचार्य ने यह स्पष्ट कहा है कि किसी भी व्यक्ति पर हद से ज्यादा विश्वास करना घातक हो सकता है। कई लोग ऊपर से आपके भरोसेमंद होने का दावा करते हैं लेकिन भीतर ही भीतर आपसे बैर भाव रख सकते हैं इसलिए कभी भी अपनी अत्यंत गुप्त बातें करीबी मित्र से भी न कहें।

4. अन्न का अपमान कभी न करें

अन्नं न निन्घात्।।
अर्थात- मनुष्य को तुष्ट, पुष्ट करने वाले अन्न का कभी अपमान नहीं करना चाहिए। अन्न प्रत्येक मनुष्य के जीवन का आधार होता है, इसलिए जो भी भोजन आपको प्रतिदिन के आहार में प्राप्त हो उसे परमात्मा का प्रसाद समझते हुए ग्रहण करें। अन्न का अपमान करने वाला मनुष्य नर्क में घोर पीड़ा भोगता है।

5. मनुष्य को सम्मान धर्म से प्राप्त होता है

धर्मनीतिपरो राजा चिरं कीर्ति स चाश्रुते।
अर्थात- हर व्यक्ति को अपने धर्म का सम्मान और उसकी बातों का पालन करना चाहिए। जो मनुष्य अपने धर्म में बताए अनुसार जीवनयापन करता है उसे कभी पराजय का सामना नहीं करना पड़ता। धर्म ही मनुष्य को सम्मान दिलाता है।

Comments
English summary
Sukra Charya was not just a great scholar but an intelligent man his well. His teachings, popularly known as Sukra Niti are relevant even today here are a few things he had said one should never reveal about himself.
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