मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार कम कर सकती है बिजली घाटा
भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार बिजली घाटा कम करने की कोशिश में है. इस मामले में बनाए गए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने सरकार को कुछ सुझाव दिए हैं, इसके तहत सब्सिडी खर्च को कम करने का सुझाव है.
सुझाव है कि किसानों के बिजली कनेक्शन को आधार से जोड़ दिया जाए. एक किसान को सिर्फ एक ही सब्सिडी वाला कनेक्शन दिया जाए. ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स के इस सुझाव को अगर अमल में लाया जाता है तो सब्सिडी के करीब 17 सौ करोड़ रुपए बच सकते हैं.
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सरकार को दी गई सलाह में कहा गया है कि एक किसान को केवल एक ही सब्सिडी वाला कनेक्शन दिया जाए और अगर उसके और कनेक्शन है तो उन पर सामान्य दर से ही बिजली बिल वसूला जाए. इस पर अभी सरकार ने अंतिम फैसला नहीं किया है लेकिन यह माना जा रहा है कि सब्सिडी का खर्च बचाने के लिए सरकार ग्रुप ऑफ मिनिस्टर के इस सुझाव पर अमल कर सकती है.
अभी क्या है स्थिति?
मध्य प्रदेश सरकार किसानों और आम उपभोक्ताओं को अलग-अलग सब्सिडी देती है. प्रदेश में करीब 30 लाख किसान ऐसे हैं जिन्हें 10 हॉर्स पावर तक के पंप के लिए बिजली कनेक्शन पर सब्सिडी दी जाती है.
इस पर सरकार की ओर से 93 फ़ीसद तक सब्सिडी दी जाती है, किसान को केवल 7 फीसद बिल देना पड़ता है. वही 8 लाख किसान ऐसे हैं जो अनुसूचित जाति-जनजाति या फिर गरीबी रेखा के हैं जिन्हें सरकार मुफ्त में बिजली देती है.
कितनी होगी बचत?
मध्य प्रदेश में सरकार फिलहाल बिजली सब्सिडी पर करीब 16000 करोड़ रुपए खर्च कर रही है. ग्रुप ऑफ मिनिस्टर ने सरकार को जो सुझाव दिए हैं उसके बाद अनुमान यह है कि अगर उस पर अमल किया जाता है तो फिर सब्सिडी के करीब 17 सौ करोड़ रुपए बच सकते हैं.
सरकार के लिए बचत इसलिए जरूरी है. क्योंकि फिलहाल सरकार की वित्तीय स्थिति नाजुक है और सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़ कर 2 लाख 53 हज़ार करोड रुपए तक हो गया है. बिजली कंपनियां करीब ₹47000 करोड़ के घाटे में है