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नंदीग्राम : भीड़ इधर भी है- उधर भी है, अंजाम खुदा जाने

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नंदीग्राम : भीड़ इधर भी है- उधर भी है, अंजाम खुदा जाने

नंदीग्राम। पूर्वी मेदिनीपुर का एक छोटा सा गांव है नंदीग्राम। पूरे पश्चिम बंगाल की राजनीति फिलहाल इस गांव में शिफ्ट हे गयी है। बल्कि कहें तो नंदीग्राम पश्चिम की अस्थायी राजधानी बन गया है। 1 अप्रैल को ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी की किस्मत ईवीएम में बंद हो जाएगी। चुनाव की ऐसी जोर- आजमाइश आज तक पश्चिम बंगाल के किसी चुनाव क्षेत्र में नहीं देखी गयी। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन तक भीड़ इधर भी थी, उधर भी थी। ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी के रोड शो की भीड़ को देख कर कुछ भी अंदाजा लगाना मुश्किल है। नंदीग्राम के लिए दोनों अपने हैं। दोनों से दिलों का रिश्ता है। जो लोग पहले ममता बनर्जी की सभा में गये उनमें कई लोग फिर शुभेंदु अधिकारी के रोड शो में भी गये। खेला होबे और जयश्री राम के खूब नारे भी लगे। लेकिन जनता का मन कोई नहीं पढ़ पाया। चुनाव से एक दिन पहले खामोशी है। अब मतदान केन्द्र में ही ये खामोशी टूटेगी। कांटे के मुकाबले में कौन जीतेगा, अभी ये कोई नहीं बता सकता।

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क्या साम्प्रदायिक आधार पर वोटिंग होगी ?

क्या साम्प्रदायिक आधार पर वोटिंग होगी ?

चुनाव है तो दोनों में से कोई एक तो जीतेगा ही। नंदीग्राम में धार्मिक आधार पर गोलबंदी हो चुकी है। यहां दो ब्लॉक (प्रखंड) हैं। पहले ब्लॉक में करीब 35 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। दूसरे ब्लॉक में मुस्लिम वोटरों की आबादी 12 से 14 फीसदी के बीच है। मुस्लिम वोटर ममता बनर्जी के पक्ष में हैं। पश्चिम बंगाल में जयश्री राम का नारा अब भाजपा के लिए संजीवनी बन चुका है। शुभेंदु अधिकारी ने हिंदुत्व को ही अपनी चुनावी रणनीति का आधार बनाया है। उन्होंने ममता बनर्जी के लिए बार बार बेगम शब्द का प्रयोग किया है। वे यह भी कह चुके हैं कि यदि बेगम जीतीं तो पश्चिम बंगाल को मिनी पाकिस्तान बना देंगी। उन्होंने हिंदू वोटरों को गोलबंद करने के लिए भारत- पाकिस्तान के क्रिकेट मैच का भी जिक्र किया। शुभेंदु ने कहा कि ममता बनर्जी के साथ वैसे लोग हैं जो पाकिस्तान के जीतने पर पटाखे फोड़ते हैं। वे नंदीग्राम के लोगों को बंगाल की महान विभूति बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की भी याद दिला चुके हैं। जिस मिट्टी से वंदे मातरम् की उत्पत्ति हुई आज वहीं के कुछ लोग इसे बोलना भी गवारा नहीं समझते।

ममता बनर्जी का नंदीग्राम में पंच प्रवास

ममता बनर्जी का नंदीग्राम में पंच प्रवास

ममता बनर्जी पिछले चार दिनों से नंदीग्राम में जमी हुई हैं। गुरुवार को मतदान तक यही रहेंगी। वे राज्य की मुख्यमंत्री हैं। दूसरे चरण में यहां के अलावा और 29 सीटों पर चुनाव है। लेकिन ममता बनर्जी ने नंदीग्राम में पांच दिनों तक रुकना जरूरी समझा। चिंता वाजिब भी है। अगर सीएम पद के उम्मीदवार की सीट पर ही कोई आंच आ गयी तो बाकी जगहों पर चुनाव प्रचार का क्या मतलब रह जाएगा। ममता बनर्जी पहली बार नंदीग्राम से चुनाव लड़ रही हैं। यहां के लोग उनके साथ खड़े रहे हैं। लेकिन यह सद्भावना वोट में तब्दील होगी कि नहीं, कहना मुश्किल है। शुभेंदु के लिए अमित शाह और मिथुन चक्रवर्ती ने अपनी पूरी ताकत लगा रखी है। शुभेंदु नंदीग्राम के धरतीपुत्र हैं। उनके साथ भी लोगों की जुड़ाव है। तृणमूल ने नंदीग्राम की जमीनी हकीकत को समझ कर ही अपना सारा ध्यान यहीं केन्द्रित कर दिया है। ममता बनर्जी ने चार दिनों मे 9 साभाएं और चार रोड शो किये हैं। व्हीलचेयर अब उनके लिए लाइफ लाइन है। उसका घूमता हुआ पहिया लोगों के जेहन में कैद है। ममता बनर्जी ने भागाबेड़ा से अपने राजनीतिक अभियान को जोड़ कर 14 साल पुराने उस किसान आंदोलन की याद दिलायी है जिसमें 14 लोगों की मौत हो गयी थी। इसी आंदोलन की लहर पर सवार हो कर ममता बनर्जी सत्ता के सिंहासन पर पहुंची थीं।

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क्या कुछ नहीं कराती वोट की राजनीति !

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आज के दौर में नेता विकास के नाम पर चुनाव लड़ने की लाख बात करें, उनकी सांस जातीय और सामाजिक समीकरण में अटकी रहती है। 2018 में मध्य प्रदेश चुनाव से ठीक पहले राहुल गांधी ने खुद को ब्राह्मण और अपना गोत्र दत्तात्रेय बताया था। धर्मनिरपेक्षता का झंडाबरदार कहलाने वाले राहुल गांधी का यह चुनावी पैंतरा तब खूब चर्चा में रहा था। अब सेक्यूलर ताकतों की सूत्रधार समझी जाने वाली ममता बनर्जी ने भी अपना गोत्र बता कर हिंदू वोटरों को अपनी तरफ खींचने की कोशिश की है। वे मंच पर चंडी पाठ करती रहीं हैं। खुद को ब्राह्मण बताने से भी नहीं चूकीं। यानी ममता बनर्जी को भी इस बात का डर सता रहा है कि अगर हिंदू वोटर उनसे छिटक गये तो क्या होगा ? मां- माटी- मानुष की बात करने वाली ममता आज जाति और गोत्र पर बात कर रही हैं। पश्चिम बंगाल के चुनावी समर के लिए यह नजरिया टर्निंग प्वाईंट साबित हो सकता है।

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English summary
Nandigram west bengal assembly elections 2021: The crowd is everywhere so the result is mysterious
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