बंगाल से हारने के बाद भी बीजेपी ने बनाए 4 नए मंत्री, 2024 के लोकसभा चुनाव का गणित समझिए
कोलकाता, 8 जुलाई: बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिपरिषद में शामिल हुए पश्चिम बंगाल के चार नए चेहरों से संदेश साफ है कि पार्टी ने उन इलाकों को पुरस्कार दिया है, जहां पर 2021 के विधानसभा चुनाव में उसकी जमीन मजबूत हुई है। पीएम मोदी ने भले ही पर्यावरण राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो और महिला और बाल विकास राज्यमंत्री देबाश्री चौधरी से इस्तीफा लिया है, लेकिन शांतनु ठाकुर, जॉन बारला, डॉक्टर सुभाष सरकार और सबसे युवा चेहरे निसिथ प्रमाणिक की मंत्रिपरिषद में एंट्री इस बात का प्रमाण है कि बीजेपी ने बंगाल में खास वोट बैंक को सम्मानित करके मिशन 2024 का बिगुल अभी से फूंक दिया है।
लोकसभा चुनाव का गणित बिठा रही है बीजेपी
बंगाल के कूचबिहार इलाके से आने वाले 35 साल के निशिथ प्रमाणिक पीएम मोदी की टीम के सबसे नौजवान मंत्री हैं। मोदी की युवा टीम में प्रमाणिक की एंट्री कितनी महत्वपूर्ण है, यह इसी से पता चलता है कि उन्हें गृह राज्यमंत्री जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। बंगाल से आने वाले जूनियर गृह राज्य मंत्री का गृहमंत्री अमित शाह के मंत्रालय में होना ही बंगाल की राजनीति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। वह राजबंशी समाज के भी नेता हैं। प्रमाणिक उत्तर बंगाल से आते हैं, जहां पर राजबंशी वोट बैंक की बदौलत भाजपा ने विधानसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया है। दरअसल, उत्तर बंगाल में तीन मुख्य मुद्दे हैं, आदिवासी वोट, चाय बागान का मुद्दा और राजवंशी वोट बैंक। विधानसभा चुनाव में बीजेपी इन सभी को साधने में सफलता पाई है और अब उसकी नजर इनके जरिए 2024 के चुनाव पर है।
आदिवासी वोट बैंक का गणित
उत्तर बंगाल से एक और बीजेपी सांसद को राज्यमंत्री बनाया गया है। आदिवासी समाज से आने वाले जॉन बारला हाल ही में पिछड़ेपन के चलते उत्तर बंगाल को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग करके सुर्खियों में आ चुके हैं। 2021 के विधानसभा चुनावों में अलीपुरद्वार से भाजपा सारी सीटें जीत गई, जिसमें बारला की भूमिका अहम मानी जा रही है। इसलिए उन्हें मुख्तार अब्बास नकवी के जूनियर मंत्री के रूप में अल्पसंख्यक मामलों का राज्यमंत्री बनाए जाने की वजह समझी जा सकती है। उनके जरिए भाजपा की नजर उस आदिवासी वोट बैंक पर है, जो 2024 में उसके लिए बहुत काम आ सकता है।
मतुआ वोट बैंक को और मजबूत करने की कोशिश
इसी तरह से दक्षिण बंगाल में भाजपा का गणित मतुआ समुदाय और जंगल महल इलाके में फिट बैठा है। 38 साल के शांतनु ठाकुर को जहाजरानी मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाना उसी की ओर इशारा है कि बंगाल में आगे भी मतुआ समुदाय बीजेपी के लिए मायने रखने जा रहा है। मतुआ बहुल इलाके में भाजपा ने अपना मजबूत जनाधार तैयार किया है, क्योंकि पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) से आए मतुआ समाज के लोगों के लिए भारतीय नागरिकता का मुद्दा भाजपा के लिए हमेशा से अहम रहा है।
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जंगल महल पर भाजपा लगा रही है दांव
इसी तरह डॉक्टर सुभाष सरकार संघ के बैकग्राउंड से हैं और पेशे से भी डॉक्टर हैं। वह जंगल महल इलाके का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्हें नए कैबिनेट विस्तार के बाद शिक्षा राज्यमंत्री बनाया गया है। जाहिर है कि जंगल महल वो इलाका है, जिससे अभी भी भाजपा को काफी उम्मीदें हैं। हालांकि, तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष नहीं मानते कि 'कैबिनेट विस्तार के जरिए भाजपा का कोई गणित बंगाल में चलने वाला है।' जो भी हो यह दिलचस्प है कि बंगाल हारने के बाद भी भाजपा का वहां पर हौसला नहीं टूटा है और अभी से अगले चुनाव के लिए गोटी सेट करने में जुट चुकी है।