काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर खेली गई चिता भस्म से होली, देखें VIDEO
वाराणसी। काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर मातम के बीच चिता भस्म से होली खेली जाती है। मान्यता है कि काशी के महाश्मशान घाट पर होने वाले मसाने की होली में बाबा विश्वनाथ दिगंबर रूप में अपने भक्तों संग होली खेलते हैं। रंगभरी एकादशी के अगले दिन यानी गुरुवार को काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर शिव के अड़भंगी भक्तों ने चिता के भस्म के साथ अबीर गुलाल की अनोखी होली खेली। काशी के महाश्मशान पर होने वाली इस होली में दाह संस्कार में आए लोग भी मातम को भूल मस्ती में डूबे दिखे।
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दुनियाभर से लोग आते हैं होली देखने
काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट की होली विश्व प्रसिद्ध है। इसे देखने के लिए दुनिया भर से लोग यहां आते हैं। दरअसल, यहां दुनिया की एकलौती चिता की राख और भस्म से होली खेली जाती है। नजारा ऐसा दिखता है कि जैसे भूतभावन महादेव खुद होली खेल रहे हों। इस बार भी चिता भस्म की होली खेली। खास बात ये रही कि इस बार हरिश्चंद्र घाट पर भी इस होली का आयोजन किया गया।
#WATCH| People celebrate Holi festival with ashes and 'gulal' at Manikarnika Ghat in Varanasi (25.03) pic.twitter.com/ueEBAK5c9N
— ANI UP (@ANINewsUP) March 25, 2021
चिता की राख से खेली गई होली
बता दें, काशी में देवस्थान और महाश्मसान का महत्व एक जैसा है। पवित्र तीर्थों के बीच में विराजे बाबा श्मशान नाथ के चरणों में चिता की राख समर्पित करने के बाद भक्त यहां उसे उड़ाकर होली खेलते हैं। संत से लेकर सन्यासी तक चिता भस्म को विभूति मानकर माथे पर लगाकर होली खेली। राग विराग की नगरी काशी की परंपराएं भी अजब और अनोखी हैं। रंगभरी एकादशी पर अड़भंगी बारात के साथ बाबा मां पार्वती का गौना कराकर ले जाते हैं और दूसरे दिन बाबा के गणों द्वारा ये होली खेली जाती है। मान्यताओं के मुताबिक, रंगभरी एकादशी पर गौरा के विदाई के बाद बाबा विश्वनाथ अपने बारातियों के साथ काशी के महाश्मशान में होली खेलने आते हैं।
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