नीलकंठ महादेव मंदिर: जहां विष ग्रहण करने के बाद शिव बने नीलकंठ, मां पार्वती ने दबाकर रखा गला
ऋषिकेश में नीलकंठ महादेव मंदिर, यहां शिव ने पिया था विष
देहरादून, 14 जुलाई। आज से सावन का महीना शुरू हो रहा है। जो कि शिव भगवान का महीना माना जाता है। यह महीना शिवभक्तों के लिए खास माना गया है। ऐसे में शिवभक्त सावन के महीने में शिव मंदिर में जरुर जाते हैं। साथ ही आज से कांवड़ यात्रा भी शुरू हो रही है। ऐसे में हरिद्वार के पास ऋषिकेश में नीलकंठ महादेव मंदिर का अपना खास पौराणिक महत्व भी है। नीलकंठ महादेव कांवड़ मेला 13 जुलाई से शुरू हो गया है।
उत्तराखंड के गढ़वाल में कई धार्मिक स्थल हैं जिसमें ऋषिकेश में नीलकंठ महादेव मंदिर सबसे प्रमुख पर्यटन स्थल है। भगवान शिव को समर्पित यह ऋषिकेश के बड़े मंदिरों में से एक हैं। यह मंदिर लगभग 5500 फुट की ऊंचाई पर स्वर्ग आश्रम की पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। मुनि की रेती से नीलकंठ महादेव मंदिर सड़क मार्ग से 50 किलोमीटर स्थित है। मान्यता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया था। उसी समय उनकी पत्नी पार्वती ने उनका गला दबाया जिससे विष उनके पेट तक न पहुंचे। इस तरह विष उनके गले में बना रहा। विषपान के बाद विष के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया था। गला नीला पड़ने के कारण ही उन्हें नीलकंठ नाम से जाना जाता है। मंदिर परिसर में पानी का एक झरना है जहां भक्तगण मंदिर के दर्शन करने से पहले स्नान करते हैं। नीलकंठ महादेव मंदिर के शिखर पर बनी नक्काशी देखते ही बनती है।
मंदिर की विशेषता
नीलकंठ महादेव मंदिर अत्यन्त मनोहारी मंदिर शिखर के तल पर समुद्र मंथन के दृश्य को चित्रित किया गया है और गर्भ गृह के प्रवेश-द्वार पर एक विशाल पेंटिंग में भगवान शिव को विष पीते हुए भी दिखलाया गया है। सामने की पहाड़ी पर शिव की पत्नी, पार्वती जी का मंदिर है। यहां सबसे ज्यादा शिवभक्त पहुंचते हैं। जो कि सावन और महाशिवरात्रि में भोले के दर्शन और जल चढ़ाने जरुर आते हैं। हर साल यहां शिवरात्रि में लाखों की संख्या में शिवभक्त पहुंचते हैं।
जल्द बनेगा रोप वे
ऋषिकेश से नीलकंठ पहुंचने में शिवभक्तों को पहाड़ी लंबा रास्ता तय करना पड़ता है। लेकिन अब सरकार यहां भी रोपवे प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। उत्तराखंड मेट्रो रेल अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (यूकेएमआरसी) की बोर्ड बैठक में ऋषिकेश-नीलकंठ महादेव रोप-वे निर्माण पर मुहर लग गई है। अब प्रस्ताव कैबिनेट के लिए भेज दिया गया है। कैबिनेट से स्वीकृति मिलने के बाद निर्माण शुरू होगा। यूकेएमआरसी की ओर से जो प्रस्ताव पास किया गया है, उसके तहत रोप-वे की कुल दूरी 5.5 किलोमीटर की होगी। इसमें बीच में दो पड़ाव आएंगे। एक आईएसबीटी और दूसरा त्रिवेणी घाट। घाट से सीधे नीलकंठ तक का सफर होगा।
Comments
English summary
Neelkanth Mahadev Temple: Where Shiva became Neelkanth after consuming poison, mother Parvati kept her throat pressed
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें