जानिए, उत्तराखंड की हस्तियों के बारे में जिन्हें राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से नवाजा जाएगा
उत्तराखंड के लोक कलाकारों ने एक बार फिर देशभर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। राष्ट्रीय संगीत नाटक कला अकादमी दिल्ली ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में कला निष्पादन केंद्र के संस्थापक प्रो. डीआर पुरोहित, देहरादून के ठाकुरपुर निवासी कठपुतली कलाकार रामलाल भट्ट, पिथौरागढ़ के ललित सिंह पोखरिया को राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से नवाजा जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी लोक कलाकारों को बधाई दी है।

प्रो. डीआर पुरोहित को लोक रंगमंच, लोक संगीत के क्षेत्र में
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में कला निष्पादन केंद्र के संस्थापक प्रो. डीआर पुरोहित को लोक रंगमंच, लोक संगीत के क्षेत्र में राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। मूलरूप से उत्तराखंड के जनपद रुद्रप्रयाग के क्वीली गांव निवासी प्रो. डीआर पुरोहित वर्तमान में गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र में एडर्जेट प्रोफेसर के रूप में कार्य कर रहे हैं। विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य के प्रोफेसर रहे डीआर पुरोहित ने ही वर्ष 2006 में इस विभाग की स्थापना की थी। वह लोक कला व संस्कृति के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। पुरोहित ने रामकथाओं में सबसे प्राचीन भल्दा परंपरा की मुखौटा शैली- रम्माण से लेकर केदार घाटी का प्रसिद्ध चक्रव्यूह मंचन, नंदा देवी के पौराणिक लोकजागर, पांडवाणी, बगडवाली, शैलनट, रंगमंच, ढोल वादन, ढोली तक के संरक्षण और संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

रामलाल भट्, रंगमंच व कठपुतली के क्षेत्र में
देहरादून स्थित प्रेमनगर के ठाकुरपुर निवासी रामलाल भट्ट को थियेटर व पपेट्री (रंगमंच व कठपुतली) के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की गई है। रामलाल भट्ट मूल रूप से राजस्थान के हैं लेकिन 40 वर्षों से उत्तराखंड में रहकर कठपुतली के जरिये देश-दुनिया को पर्यावरण संरक्षण, बालिका शिक्षा सहित समाज हित के तमाम विषयों पर जागरुकता का संदेश देने का काम कर रहे हैं।

रंगमंच कर्मी ललित सिंह पोखरिया
रंगमंच कर्मी ललित सिंह पोखरिया का जन्म पिथौरागढ़ के डोकूना गांव में एक दिसंबर, 1960 को हुआ। बचपन गांव, खटीमा में बीता। इसके बाद पीलीभीत और लखनऊ से पढ़ाई की। स्नातक करने के बाद बाद साहित्य व रंगमंच की दुनिया में रुचि के चलते उनका चयन वर्ष 1984 में भारतेंदु नाट्य अकादमी लखनऊ में हो गया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। ललित सिंह ने अब तक 55 नाटकों की रचना जिसमें से 30 बच्चों के लिए लिखे गए। अभी तक 72 नाटकों को निर्देशन और 60 से अधिक नाटकों में अभिनय किया है।

लोकगायिका रेशमा शाह को उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार
उत्तराखंड की लोकगायिका रेशमा शाह को लोक कला के लिए उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। टिहरी जिले के नैनबाग क्षेत्र के सण गांव निवासी लोकगायिका रेशमा शाह को उनके लोक कला पर कार्य करने के लिए वर्ष 2019 का यह पुरस्कार दिया जाएगा। रेशमा शाह महिला सशक्तिकरण और नशे के खिलाफ लोकगायन के जरिए जागरूक करने का काम कर रही हैं।

इन कलाकारों को राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार
राष्ट्रीय संगीत, नृत्य और नाटक अकादमी नई दिल्ली की सामान्य परिषद ने संगीत नाटक के लिए संगीत, नृत्य, रंगमंच, पारंपरिक/लोक/जनजातीय संगीत/नृत्य/रंगमंच, कठपुतली कला के क्षेत्र से कलाकारों का चयन पुरस्कार के लिए किया है। प्रदर्शन कला में समग्र योगदान/छात्रवृत्ति वर्ष 2019, 2020 और 2021 के लिए अकादमी इन कलाकारों को राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार प्रदान करेगी। उत्तराखंड से थियेटर पर काम कर रहे डॉ डीआर पुरोहित, पपेट को लेकर देशभर में प्रसिद्ध राम लाल भट्ट के अलावा अकादमी ने लोकसंस्कृति के योगदान के लिए उत्तराखंड के भैरव दत्त तिवारी, जगदीश ढौंडियाल और नारायण सिंह बिष्ट को यह सम्मान दिया है। जबकि, अल्मोड़ा निवासी जुगल किशोर पेटशाली को लोकसंस्कृति और समग्र योगदान के लिए पुरस्कृत किया है। इसी तरह संगीत नाटक अकादमी ने उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार लोक संस्कृति और गायन के लिए वीरेंद्र सिंह राजपूत, लोकगायिका रेशमा शाह, पूरन सिंह और थिएटर, निर्देशन के लिए कुमार कैलाश को पुरस्कृत किया है।
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