पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधाओं की फिर खुली पोल, 16 किमी बर्फीले रास्ते से होकर डंडियों में लाना पड़ा मरीज
उत्तरकाशी के पुरोला क्षेत्र का है मामला
देहरादून, 18 फरवरी। पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोलते हुए एक वीडियो वायरल हुआ है। जिसमें कुछ युवक एक व्यक्ति को डंडों के सहारे बांधकर बर्फीले रास्ते से जान जोखिम में डालकर ले जा रहे हैं। इससे पहाड़ों में हुए विकास और स्वास्थ्य सुविधाओं की सच्चाई सामने आ गई है। ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है, कि 21 सालों में उत्तराखंड के पहाड़ों में सरकार ने बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कितने कारगर कदम उठाए हैं।
विकास
की
हकीकत
बयां
करती
तस्वीर
बीते
दिनों
प्रदेश
में
5वीं
बार
चुनाव
सम्पन्न
हुआ
है।
जिसमें
जनता
ने
एक
बार
फिर
नई
उम्मीदों
के
साथ
एक
बेहतर
कल
के
लिए
सरकार
को
चुना
है।
जिसका
परिणाम
10
मार्च
को
सामने
आएगा।
लेकिन
क्या
जिस
उम्मीद
के
साथ
उत्तराखंड
की
जनता
ने
अब
तक
सरकारों
को
चुना,
उसमें
हमारे
जनप्रतिनिधि
सफल
हो
पाए
हैं।
ये
कहना
मुश्किल
है।
जिस
तरह
की
तस्वीरें
दूर-दराज
पहाड़ों
की
आए
दिन
सोशल
मीडिया
में
आती
रहती
हैं,
उससे
तो
ये
ही
लगता
है
कि
पहाड़
के
लोगों
की
जिदंगी
में
कोई
खास
बदलाव
नजर
नहीं
आया
है।
स्वास्थ्य
और
शिक्षा
जैसी
मूलभूत
सुविधाओं
की
अब
भी
लोग
तरस
रहे
हैं।
ऐसा
ही
एक
वीडियो
सामने
आया
है,
सीमांत
जनपद
उत्तरकाशी
से।
उत्तरकाशी
जिले
के
पुरोला
का
है
मामला
स्थानीय
लोगों
से
मिली
जानकारी
के
अनुसार
पुरोला
क्षेत्र
के
ओसला
गांव
में
एक
बीमार
व्यक्ति
को
ग्रामीणों
ने
डंडों
के
सहारे
बांधकर
16
किलोमीटर
बर्फीले
रास्ते
से
तालुका
तक
पहुंचाया
गया।
इसके
बाद
वाहन
के
जरिये
बीमार
को
सामुदायिक
स्वास्थ्य
केंद्र
पुरोला
पहुंचाया
गया।
बीमार
की
हालत
गंभीर
होने
पर
चिकित्सकों
ने
उसे
रेफर
कर
दिया,
जिस
पर
उसे
देहरादून
स्थित
हिमालयन
अस्पताल
जौलीग्रांट
पहुंचाया
गया।
पिछले
कुछ
दिनों
से
मोरी
ब्लाक
के
सुदूरवर्ती
ओसला
गांव
में
58
वर्षीय
कृपा
सिंह
बीमार
चल
रहे
थे।
गत
सोमवार
को
कृपा
सिंह
की
स्थिति
गंभीर
हुई,
जिसके
बाद
सोमवार
की
रात
को
ग्रामीणों
ने
बीमार
को
सड़क
मार्ग
तक
पहुंचाने
के
लिए
लकड़ी
की
डंडी
तैयार
की।
16
किमी
बर्फीले
रास्ते
से
गुजरना
पड़ा
मंगलवार
की
सुबह
ग्रामीणों
ने
बीमार
को
डंडी
पर
बांधा
और
बर्फीले
रास्ते
से
होते
हुए
बीमार
को
तालुका
तक
पहुंचाया।
16
किलोमीटर
लंबे
बर्फीले
रास्ते
में
कई
स्थानों
पर
ग्रामीण
बर्फ
में
फिसलते
हुए
बाल-बाल
बचे।
ओसला
के
विजय
राणा
ने
बताया
कि
तालुका
से
लेकर
ओसला
तक
पूरे
रास्ते
में
बर्फ
की
चादर
बिछी
हुई
है।
मंगलवार
तड़के
चलने
के
बाद
भी
तालुका
पहुंचने
में
छह
घंटे
से
अधिक
समय
लगा।
ओसला
सहित
ढाटमीर,
पवाणी
और
गंगाड
गांव
सड़क
सुविधा
से
वंचित
हैं।
इसके
अलावा
इन
गांवों
में
संचार,
स्वास्थ्य
और
शिक्षा
की
समुचित
व्यवस्था
नहीं
है।
स्थानीय
लोगों
का
कहना
है
कि
अगर
सड़क
सुविधा
और
स्वास्थ्य
सुविधा
होती
तो
ग्रामीण
को
एक
सप्ताह
पहले
ही
उपचार
दिया
जा
सकता
था।
उपचार
न
मिलने
के
कारण
ग्रामीण
की
हालत
गंभीर
हुई,
जिसके
बाद
ग्रामीणों
ने
डंडी
के
सहारे
सड़क
मार्ग
तक
पहुंचाने
का
निर्णय
लिया,
जिसमें
उनके
दिनेश
कुमार,
दिनेश
सिंह,
हृदेश,
लायकराम
और
किशन
सिंह
शामिल
हुए।
इस
तरह
ये
घटना
तो
जागरुक
लोगों
ने
सोशल
मीडिया
के
जरिए
सामने
लाई
है,
न
जाने
कितने
लोग
इस
तरह
आए
दिन
सुविधाओं
के
अभाव
में
अपनी
जान
गंवा
देते
हैं।
ऐसे
में
जनप्रतिनिधियों
से
ये
उम्मीद
की
जा
सकती
है
कि
आने
वाले
समय
में
स्वास्थ्य
सुविधाओं
को
दुरस्त
करने
के
लिए
कुछ
कड़े
कदम
उठाएं।
जिससे
दूर-दराज
के
लोगों
को
बेहतर
सुविधाएं
मिल
सके।
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