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Joshimath sinking: जोशीमठ संकट के बीच कैसे होगी बद्रीनाथ यात्रा, जानिए क्या हैं सरकार के पास विकल्प?

जोशीमठ को बद्रीनाथ से जोड़ने वाला पुल तक दरार का दायरा पहुंच चुका है। जोशीमठ से 11 किलोमीटर आगे मारवाड़ी में ये पुल है। पुल और अप्रोच रोड के जोड़ पर दरारें देखी गई हैंं।

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बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने का शुभ मुहूर्त और तिथि तय हो गई है। इस साल बद्रीनाथ के कपाट 27 अप्रैल को प्रात: 7 बजकर 10 मिनट बजे खुलेंगे। जिसके लिए अब तीन माह का समय शेष है। ऐसे में राज्य सरकार के सामने जोशीमठ की समस्या का समाधान निकालने के​ लिए 3 माह का ही समय बचा है। बद्रीनाथ जाने के लिए जोशीमठ ही होते हुए जाना होता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दावा कर रहे हैं कि यात्रा जोशीमठ से ही होगी। लेकिन जिस तरह के हालात बने हुए हैं, उससे लगता नहीं कि सरकार के लिए ये चुनौती इतनी आसान है।

बद्रीनाथ से जोड़ने वाला पुल तक दरार का दायरा

बद्रीनाथ से जोड़ने वाला पुल तक दरार का दायरा

उधर चिंता की बात ये है कि जोशीमठ को बद्रीनाथ से जोड़ने वाला पुल तक दरार का दायरा पहुंच चुका है। जोशीमठ से 11 किलोमीटर आगे मारवाड़ी में ये पुल है। पुल और अप्रोच रोड के जोड़ पर दरारें देखी गई हैंं। ये पुल जोशीमठ की तलहटी में अलकनंदा नदी के ऊपर बना हुआ है। ऐसे में ये ​यात्रा से पहले सरकार के लिए चिंता का कारण बन सकता है। अगर जोशीमठ में किसी तरह की खतरे के संकेत मिलते हैं तोे सरकार के पास यात्रा को निकालने के लिए दो ही विकल्प बच रहे हैं।

सरकार फाइनल रिपोर्ट का इंतजार कर रही

सरकार फाइनल रिपोर्ट का इंतजार कर रही

पहला हेलंग-मारवाड़ी बाईपास और दूसरा नगर पालिका चुंगी से होते हुए सेना के ओएमपी डिपो। सरकार पहले विकल्प पर काम कर रही है। जबकि स्थानीय लोग दूसरा विकल्प चाहते हैं। हालांकि ये सब बाद का विषय है। पहले सरकार फाइनल रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। जिसके बाद जोशीमठ और बद्रीनाथ यात्रा का भविष्य तय होगा। जोशीमठ में ऐतिहासिक और पौराणिक नृसिंह के मंदिर का विशेष महत्व है। माना जाता है कि बिना नृसिंह मंदिर के दर्शन के बद्रीनाथ यात्रा पूरी नहीं मानी जाती है। जिस वजह से सरकार ​मान्यताओं को विशेष ध्यान रखते हुए किसी फैसले पर आएगी।

सरकार के पास बद्रीनाथ यात्रा का विकल्प मार्ग

सरकार के पास बद्रीनाथ यात्रा का विकल्प मार्ग

बता दें कि जोशीमठ नगर के नीचे निर्माणाधीन हेलंग-मारवाड़ी बाईपास को सरकार के पास बद्रीनाथ यात्रा का विकल्प मार्ग माना जा रहा है। जिस पर जल्दी से निर्माण शीघ्र शुरू हो सकता है। शासन ने इसकी कसरत शुरू कर दी है। जोशीमठ में वाहनों का दबाव कम करने और सेना की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए 6.50 किमी हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का निर्माण करीब 190 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। लेकिन जोशीमठ में भू-धंवाव की स्थितियां पैदा होने के बाद नगर पालिका क्षेत्र के निर्माणों के साथ ही बाईपास के निर्माण पर 5 जनवरी से रोक लगा दी थी।

स्थानीय लोग विरोध कर रहे

स्थानीय लोग विरोध कर रहे

जोशीमठ से पहले हेलंग आता है। जिसकी दूरी 14 किमी है। हेलंग से मारवाड़ी का रास्ता करीब 30 किमी है। अगर ये बाईपास शुरू होता है तो यात्रा में करीब 1 घंटे बच जाएगा। लेकिन इस मार्ग का स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं। जोशीमठ के स्थानीय व्यापारी नरेश आनंद नौटियाल का कहना है कि जोशीमठ का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व को देखते हुए सरकार को चाहिए कि जो भी रास्ता बद्रीनाथ को जाए वो जोशीमठ से होकर जाए। इसके लिए स्थानीय लोगों ने सरकार को विकल्प रुट यात्रा को नगर पालिका चुंगी से होते हुए सेना के ओएमपी डिपो निकाला जाए। जब हेलंग बाईपास को ही सरकार को बनाना है तो इस वैकल्पिक मार्ग को तैयार क्यों नहीं किया जा सकता है।

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English summary
How will Badrinath Yatra be done in the midst of Joshimath crisis, know what are the options with the government
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