योगी कैबिनेट का ये मंत्री हर पांच साल में बदलता है पाला
हाथी की सवारी से लेकर पंजे तक का सफर तय करने के बाद यह रसूखदार नेता अब भगवाधारी हो गया है। हम बात कर रहे हैं...नंद गोपाल गुप्ता नंदी की।
इलाहाबाद। सूबे की योगी कैबिनेट में जगह बनाने वाले एक मंत्री की दिलचस्प कहानी है। यह मंत्री हर पांच साल में पाला बदल लेता है। मंत्री जी सत्ता परिवर्तन के साथ जहां भी लहर देखते हैं, बहती गंगा में डुबकी लगाने पहुंच जाते हैं। हाथी की सवारी से लेकर पंजे तक का सफर तय करने के बाद यह रसूखदार नेता अब भगवाधारी हो गया है। जनाब के रसूख का असर देखिये योगी की सरकार बनते ही कैबिनेट मंत्री भी बन गये हैं।
योगी कैबिनेट में मंत्री बने हैं नंद गोपाल नंदी
शायद आपने भी अंदाजा लगा लिया हो कि यह कोई और नहीं 'नाम विश्वास का' हैश टैग वाले नंद गोपाल गुप्ता नंदी हैं। बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री की भूमिका निभा चुके नंदी अब सूबे की सियासत में फिर से उसी रुतबे के साथ भाजपा के साथ आए हैं।
सियासी सफर
नन्द गोपाल नन्दी ने आधिकारिक तौर पर अपने राजनैतिक कैरियर की शुरुआत बहुजन समाज पार्टी के साथ की। बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर मंत्री बने। बसपा सरकार की डूबती नाव से उतरे तो सपा की ओर बढ़े, लेकिन बात नहीं बनी। तब नंदी ने सीधे राहुल गांधी का हाथ थामा और कांग्रेसी बन गये। 2012 में कांग्रेस से चुनाव लड़े लेकिन हार गये। 2014 लोकसभा चुनाव भी लड़े और हार गये। तब तक इलाहाबाद के मेयर का चुनाव आ गया। नंदी ने पत्नी अभिलाषा को चुनाव लड़ाया और अभिलाषा मेयर बन गई।
चुनाव से ठीक पहले थामा बीजेपी का दामन
यूपी में फिर से 2017 के विधानसभा चुनाव का बिगुल बजा तो हाथ-पांव चलाने के बाद सपा-कांग्रेस गठबंधन से नंदी को कोई सीट नहीं मिला। नंदी ने नामांकन के ठीक दो दिन पहले बीजेपी का दामन थामा और टिकट मिल गया। चुनाव लड़े जीते और अब कैबिनेट मंत्री बन गये। यह दिलचस्प है कि हर विधानसभा चुनाव में पाला बदलकर नंदी चुनाव लड़े और दो बार शहर दक्षिणी से विधायक बने तो दोनों बार सीधे कैबिनेट मंत्री बन गये।
भाजपा दिग्गज को हराकर बन गये थे बसपा के स्टार
नंद गोपाल गुप्ता की साख उस समय रातोंरात तब चमक गई थी जब इन्होंने भाजपा के कद्दावर नेता और मौजूदा पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी को विधानसभा चुनाव में हरा दिया था। बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले नंदी बसपा के स्टार बन गये और बहनजी ने नंदी को सीधे कैबिनेट मंत्री बना दिया था।
विरोध के बावजूद मिला टिकट, अब बने मंत्री
भाजपा में आने के बाद नंदी का सबसे ज्यादा विरोध हुआ। पदुम जायसवाल समेत कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी और सपा को समर्थन दे दिया। यहां तक कि नंदी के भाई ने भी साथ छोड़ दिया और बसपा ज्वॉइन कर ली। पार्टी कार्यकर्ताओं से लेकर संघ और विहिप करीबियों के दावेदारों को दरकिनार कर नन्दी को भाजपा ने टिकट दिया और इस सीट पर 2002 में केशरी नाथ त्रिपाठी के बाद नंदी ने आखिरकार कमल खिला दिया।
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