निकाय चुनाव से पहले कद्दावर विजय मिश्रा ने छोड़ी बीजेपी तो कांग्रेस ने नहीं छोड़ा मौका
विजय मिश्रा ने दल बदलकर कांग्रेस की नाव पर सवारी शुरू की है। जिससे भाजपा में तो खलबली मची ही है, सपा और खुद कांग्रेस के अंदर भी सवाल उठ रहे हैं।
इलाहाबाद। इलाहाबाद नगर निगम चुनाव में भाजपा को बड़े मौके पर बड़ा झटका लगा है। भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व प्रत्याशी रहे विजय मिश्रा ने भाजपा छोड़ दी है। कांग्रेस ने भी मौके का फायदा उठाते हुए विजय मिश्रा को लपक लिया और अपना मेयर प्रत्याशी भी घोषित कर दिया। इलाहाबाद में सपा के ब्राह्मण प्रत्याशी विनोद चंद दुबे के जवाब में कांग्रेस ने बिल्कुल सटीक चाल चली है। इससे ना सिर्फ भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगेगी बल्कि सपा को भी अब स्वर्ण वोट हथियाना आसान नहीं होगा। खैर अब इंतजार भाजपा के मेयर प्रत्याशी के नाम का है क्योंकि दो ब्राह्मण प्रत्याशियों के मैदान में आने के बाद अब भाजपा की रणनीति निश्चित तौर पर बदलेगी।
व्यापारियों पर है जबरदस्त पकड़
इलाहाबाद शहर दक्षिण में विजय मिश्रा बड़े व्यापारी नेता हैं और उनकी पकड़ इस वर्ग पर जबरदस्त है। कहना यही होगा कि विजय मिश्रा चुनाव में अहम समीकरण बनाएंगे और आसानी से अब भविष्यवाणी नहीं होने देंगे। विजय ने दल बदलकर कांग्रेस की नाव पर सवारी शुरू की है। जिससे भाजपा में तो खलबली मची ही है, सपा और खुद कांग्रेस के अंदर भी सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस के स्थानीय नेता विजय मिश्रा को पचा नहीं पा रहे हैं जबकि सपा को अपनी चाल घिरती हुई नजर आ रही है।
क्यों छोड़ी भाजपा?
विजय मिश्रा विधानसभा चुनाव में शहर दक्षिण से भाजपा के प्रबल दावेदार थे। उनका टिकट कंफर्म माना जा रहा था। आखिरी समय भाजपा ने सस्पेंस बनाए रखा और विजय भी उम्मीद लगाए बैठे रहे लेकिन बिल्कुल आखिरी में कांग्रेस छोड़कर नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी' भाजपा में आए और उन्हें टिकट दे दिया गया। इससे विजय मिश्रा खासे आहत थे लेकिन अपना ध्यान उन्होंने मेयर के चुनाव पर लगा लिया और टिकट की दावेदारी करने लगे। भाजपा से 2007 का मेयर चुनाव लड़ चुके विजय मिश्रा इस बार भी टिकट के प्रबल दावेदार थे लेकिन सियासी गणित में नंदी गुट फिर से उन पर हावी है। खुद को तवज्जों ना मिलता देख उन्होंने भाजपा छोड़ दी और कांग्रेस का हाथ थाम लिया।
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