वाराणसी में बीजेपी के लिए मेयर पद बड़ा दांव, विपक्ष की चुनौती भी दमदार
पार्टी ऐसे उम्मीदवार को जनता के बीच लाना चाहती है जो प्रधानमंत्री के दौरों पर मंच साझा करने में सक्षम हों। यानि अंग्रेजी बोलने में एक्स्पर्ट हो और सोशल मीडिया में इंट्रेस्ट रखती/रखता हो।
वाराणसी। निकाय चुनाव में बनारस की सीट हमेशा से BJP के पास रही है, ऐसे में प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने के कारण इस बार के निकाय चुनाव में इस सीट को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पैनी नजर बनाए रखी है। इस बार की वाराणसी की सीट पिछड़ी जाति की महिला के लिए आरक्षित हुई हैं। ऐसे में प्रत्याशी तो सभी के पास हैं पर अभी किसी ने भी अपने उम्मीदवार के संकेत नहीं दिए हैं। वजह साफ है इस बार के निकाय चुनाव में हर कोई इस सीट के लिए हर छोटे से बड़े फैसले पुरीओ बारीखी के साथ करना चाहता है। वहीं दूसरी ओर ये सबसे महत्वपूर्ण और सम्मान की बात है की भले ही ये सीट भाजपा की झोली में हो पर कोई भी छोटी सी गलती उनके पाले से ये सीट ना लें क्योंकि ये सांसद देश के प्रधानमंत्री और भाजपा के स्टार हैं।
वहीं दूसरी ओर पार्टी ऐसे उम्मीदवार को जनता के बीच लाना चाहती है जो प्रधानमंत्री के दौरों पर मंच साझा करने में सक्षम हों। यानि अंग्रेजी बोलने में एक्स्पर्ट हो और सोशल मीडिया में इंट्रेस्ट रखती हो। साथ ही साथ सामाजिक गतिविधियों में भी निपुड़ हो। दरअसल पीएम को सांसद चुने जाने के बाद तमाम देशों के प्रतिनिधि यहां नगर निगम के विकास कार्यों में सीधे मेयर से संपर्क करते हैं। ऐसे में पार्टी उन्हें उम्मीदवार बनाकर महापौर की कुर्सी पर बैठना चाहती हो। जो संगठन में अपनी मजबूती के साथ ही काशी को जानने और अंग्रेजी में बोलने और समझने वाली हो। विश्वसनीय सूत्रों की माने तो बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व लीग से हटकर फैसला लेने के मूड में है और उनका प्रतिनिधि डॉक्टर, शिक्षक और बुद्धिजीवी होगा।
पीएम की सहमति के बाद घोषित हो सकता है मेयर प्रत्याशी का नाम
दरअसल पार्टी के संगठन से लेकर सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ ही साथ राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ और विद्यार्थी परिषद के सभी सीनियर नेता महापौर के नाम की घोषणा से पहले ही हर बिंदुओं पर लगातार बैठक कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में इन दिनों विकास कार्यों को लेकर तमाम विदेशी कंपनियों से लेकर वहां की सरकारें अपना निवेश करने के मूड में उदाहरण के तौर पर जापान की कंपनी जायका ने कई सालों में वाराणसी के विकास और सुंदर बनाने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत वाराणसी और आसपास के एरिया में की है और कई के काम चल रहे हैं। ऐसे में यब उनके प्रतिनिधि नगर निगम के अंतर्गगत आने वाले कार्यों में सीधे मेयर से विकास के माडलों के बारे में जानकारी लेते हैं। ऐसे में महापौर ऐसा हो जो विकास का मॉडल उन्हें समझा सके ना की सिर्फ फीता काटने और मुख्य अतिथि की भूमिका निभाए। सूत्रों की माने तो मेयर पद के लिए उम्मीदवार की घोषणा बिना पीएम के सहमति के नहीं ली जाने वाली है।
सभी राजनीतिक पार्टियों की भी बढ़ गई है धुकधुकी
वहीं इस बार का निकाय चुनाव बनारस के लिए खास होने वाला है। लोकसभा और विधान सभा में मुंह की खाने वाले विपक्षी दलों ने निकाय चुनाव में अपने सभी हिसाब चुकाने के इरादे से प्रत्याशियों का चयन किया है। हालांकि कांग्रेस ने 37 पार्षदों की लिस्ट जारी की और विरोध के सुर छिड़ गए, वहीं समाजवादी पार्टी जिनके सबसे ज्यादा पार्षद इस बार के नगर निगम में हैं। उनके परफॉर्मेंस और नए उम्मीदवारों की कार्य प्रणाली की पूरी जानकारी भी सपा का शीर्ष कमान ध्यान में ले रहा है और उसने अभी तक अपनी लिस्ट नहीं जारी की है। मसलन साफ है की प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में मेयर हो या पार्षद, विपक्ष अपने नंबरिंग को बढ़ाने के लिए उम्मीदवार दमदार और जिताऊ मैदान में उतरना चाहती है।
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