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यूपी में CM की रेस में मौर्य सबसे आगे, जानें क्या है उनका 'चाय कनेक्शन'

पीएम मोदी की तरह ही मौर्य ने भी बचपन में चाय बेची है। बचपन में पढ़ाई के लिए उन्होंने अखबार भी बेचे और चाय की दुकान भी चलाई। इस चाय कनेक्शन का उन्हें मुख्यमंत्री पद की दावेदारी में फायदा मिल सकता है।

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की जनता ने अपना फैसला सुना दिया है। सबको चौंकाते हुए यूपी की जनता से भारतीय जनता पार्टी के हाथ में सत्ता सौंप दी है। 403 विधानसभा सीट वाले उत्तर प्रदेश में भाजपा ने सीटों का तीसरा शतक लगा लिया है। ऐतिहासिक जीत हासिल करते हुए भाजपा ने 311 सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं सपा-बसपा की करारी हार हुई है।

बिना मुख्यमंत्री चेहरे के ही भाजपा ने यूपी का चुनाव लड़ा और प्रचंड जीत हासिल की। अब सबसे बड़ा सवाल यहीं है कि उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन बनेगा? यूपी की सत्ता भाजपा को मिल चुकती है, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा? इस रेस में कई चेहरे सामने आ रहे है, लेकिन सबसे आगे चल रहे है उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य।

 कौन बनेगा यूपी का मुख्यमंत्री ?

कौन बनेगा यूपी का मुख्यमंत्री ?

करीब एक साल पहले पार्टी ने यूपी की कमान केशव प्रसाद मौर्य के हाथों में दी और इस जिम्मेदारी को संभालते हुए केशव प्रसाद मौर्य ने यहां चमत्कार कर दिखाया। साल भर के भीतर ही पार्टी ने यहां इतिहास रच दिया और विशाल जीत हासिल की। ऐसे में यूपी में बपाजपा के अगुवा होने के नाते केशव प्रसाद मौर्य की दावेदारी सबसे तगड़ी मानी जा रही है।

 मौर्य का चाय कनेक्शन

मौर्य का चाय कनेक्शन


कौशाम्बी जिले के किसान परिवार में पैदा हुए केशव प्रसाद मौर्य की शुरूआती जीवन काफी संघर्ष पूर्ण रहा। मौर्या और प्रधानमंत्री मोदी में एक समानता भी है। दरअसल पीएम मोदी की तरह ही मौर्या ने भी बचपन में चाय बेची है। बचपन में पढ़ाई के लिए उन्होंने अखबार भी बेचे और चाय की दुकान भी चलाई। इस चाय कनेक्शन का उन्हें मुख्यमंत्री पद की दावेदारी में फायदा मिल सकता है।

 आरएसएस के करीबी

आरएसएस के करीबी


पीएम मोदजी से जहां उनका चाय का कनेक्शन है तो वहीं वो संघ के भी काफी करीब रहे है। मौर्य आरएसएस से जुड़ने के बाद विश्‍व हिंदू परिषद और बजरंग दल में भी सक्रिय रहे। मौर्या करीब 12 साल वीएचपी के साथ रहे।

 आक्रामक शैली

आक्रामक शैली


मौर्या ने साल 2012 में इलाहाबाद की सिराथू सीट से पहली बार चुनाव जीता। उसके बाद उन्होंने 2014 और 2016 में जीत हासिल की। उन्हें उनकी आक्रामक भाषण शैली के लिए जाना जाता है। राम जन्म भूमि आंदोलन और गोरक्षा आंदोलनों में वह जेल यात्रा कर चुके हैं।

 ओबीसी फिगर

ओबीसी फिगर


केशव प्रसाद मौर्य कोइरी समाज से आते है। यूपी में कोइरी ओबीसी में अंतर्गत आता है। कल्‍याण सिंह के बाद वह पहले नेता हैं जिन्‍होंने इस पिछड़े वोटबैंक में सेंघ लगाते हुए सपा और बसपा से इसे छीनकर भाजपा के खाते में ला दिया। उनके ओबीसी फिगर का भाजपा को जबरदस्त फायदा हुआ और उनकी वजह से भाजपा को ओबीसी वोट मिले।

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English summary
The BJP highlighted the fact that Keshav Prasad Maurya, just as Narendra Modi, sold tea and newspapers before joining politics and became the OBC face of the party in UP.
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