यूपी विधानसभा चुनाव 2017: मुस्लिम वोटों के बंटवारे से क्या इस बार भी होगा बीजेपी को फायदा?
2012 के विधानसभा चुनाव पर गौर करें तो करीब 26 सीटें ऐसी थी जहां मुस्लिम मतदाताओं के वोटों के बंटने का नुकसान उम्मीदवारों को उठाना पड़ा।
लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मुस्लिम मतदाताओं के विभाजन से फायदे की उम्मीद है। इसकी वजह भी है क्योंकि यूपी में बहुजन समाज पार्टी और सपा-कांग्रेस गठबंधन ने कई मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। बीजेपी की रणनीति ध्रुवीकरण के जरिए वोटरों को अपने हक में साधने की है। पिछले चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो अल्पसंख्यक वोटों के बंटने का सीधा फायदा बीजेपी को मिला है।
इस बार क्या सोच रहा यूपी का मुस्लिम मतदाता?
यूपी चुनाव में इस बार बहुजन समाज पार्टी ने सबसे ज्यादा 99 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। बीएसपी सुप्रीमो ने इस दांव के जरिए कोशिश की है कि अल्पसंख्यक समुदाय उनकी पार्टी से जुड़ सकें।
पिछले चुनाव में मुस्लिम मतों के बंटने से बीजेपी को हुआ है फायदा
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन भी खुद को अल्पसंख्यक समुदाय का असली हमदर्द होने का दावा करते रहे हैं। उन्होंने इसी के जरिए वोटरों को साधने की कोशिश की है। मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए इस बार एआईएमआईएम ने भी यूपी की कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
2012 में 26 सीटों पर पड़ा वोटों के बंटने का प्रभाव
2012 के विधानसभा चुनाव पर गौर करें तो करीब 26 सीटें ऐसी थी जहां मुस्लिम मतदाताओं के वोटों के बंटने का नुकसान उम्मीदवारों को उठाना पड़ा। वोटों के बंटने की वजह से इन उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा। इन सीटों पर उम्मीदवारों के जीत का अंतर बहुत कम था। सहारनपुर की नकुड़ सीट पर बीजेपी के धरम सिंह सैनी ने जीत हासिल की थी। यहां मुस्लिम वोट कांग्रेस के इमरान मसूद और समाजवादी पार्टी के फिरोज आफताब के बीच बंट गया, जिसका सीधा फायदा बीजेपी उम्मीदवार को हुआ।
बीएसपी ने इस बार 99 मुस्लिम उम्मीदवारों पर खेला है दांव
फिरोज आफताब को 30 हजार वोट मिले, दूसरी ओर इमरान मसूद को धरम सिंह सैनी से 4 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा। ऐसा ही अहम मुकाबला थाना भवन सीट पर भी देखने को मिला। इस सीट से बीजेपी के सुरेश राणा ने जीत हासिल की। सुरेश राणा पर मुजफ्फरनगर दंगों में शामिल होने का आरोप है। उन्होंने महज 265 वोटों से जीत हासिल की। यहां राष्ट्रीय लोकदल उम्मीदवार अशरफ अली खान और बीएसपी से अब्दुल वारिस चुनाव मैदान में थे। अशरफ अली खान को 53 हजार वोट मिले थे, वहीं अब्दुल वारिस को 50 हजार वोट मिले थे।
वो सीटें जहां मुस्लिम मतों के बंटने से पड़ा असर
मुस्लिम मतों में विभाजन का फायदा बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी को भी हुआ, इसी वजह से उन्होंने मेरठ सीट पर जीत हासिल की थी। ऐसा ही हाल सहारनपुर शहर (बीजेपी), गंगोह (कांग्रेस), कैराना (बीजेपी), बिजनौर (बीजेपी), नूरपुर (बीजेपी), असमोली (समाजवादी पार्टी), मेरठ दक्षिण (बीजेपी), सिकंदराबाद (बीजेपी), आगरा दक्षिण (बीजेपी) और फिरोजाबाद (बीजेपी) सीटों पर देखने को मिला।
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