विधायकों-सांसदों के आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए इलाहाबाद में बनेगी स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट
इलाहाबाद। सांसद-विधायक के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों के तेजी से निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जिस स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट को बनाने की वकालत की थी यूपी में अब उसे अस्तित्व में लाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। यूपी में माननीयों के केस निपटारे के लिए इलाहाबाद में जल्द ही स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई जाएगी। इस फास्ट ट्रैक कोर्ट में हायर ज्यूडीशियल सर्विस से एडीजे रैंक के 1 जज होंगे जबकि 7 स्टाफ भी होगा। चूंकि उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में विधायकों और सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। ऐसे में स्पेशल कोर्ट लंबित मामलों का तेजी से निपटारा कर सकेगी। बहरहाल उत्तर प्रदेश के विधि विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है और हाईकोर्ट अब इस पर औपचारिक कार्रवाई करेगी। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशन में ही स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट की नींव रखी जा रही है।
2000
से
ज्यादा
मामले
पेंडिंग
वरिष्ठ
एडवोकेट
एस
एन
मिश्रा
ने
बताया
कि
मौजूदा
समय
में
उत्तर
प्रदेश
में
विधायकों
और
सांसदों
पर
2
हजार
से
ज्यादा
मामले
पेंडिंग
हैं।
ऐसे
जब
सजा
होने
के
बाद
चुनाव
लड़ने
का
नियम
प्रभावित
हुआ
है
तो
फास्ट
ट्रैक
कोर्ट
उसमे
बहुत
बड़ी
भूमिका
निभाएगी
और
सांसद-
विधायक
के
खिलाफ
लंबित
आपराधिक
मुकदमे
निस्तारित
कर
जनता
के
बीच
अच्छा
संदेश
दिया
जा
सकता
है।
फिलहाल
स्पेशल
फास्ट
ट्रैक
कोर्ट
में
सिर्फ
सांसद-विधायक
पर
लगे
आपराधिक
केस
की
सुनवाई
होगी।
15
जुलाई
से
शुरू
हो
सकती
कोर्ट
इलाहाबाद
में
स्पेशल
फास्ट
ट्रैक
कोर्ट
को
लेकर
तैयारियां
चल
रही
हैं
और
15
जुलाई
से
यह
कोर्ट
अस्तित्व
में
आ
जाएगी
ऐसी
संभावना
है।
फिलहाल
इसके
राजनैतिक
पहलू
भी
देखे
जा
रहे
हैं।
यह
माना
जा
रहा
है
कि
अगर
अगले
वर्ष
होने
वाले
आम
चुनाव
से
पहले
सांसद
विधायकों
के
आपराधिक
मामले
हल
होते
हैं
तो
सरकार
एक
बड़े
संदेश
के
साथ
जनता
के
बीच
जा
सकेगी।
इसलिए
सरकार
इस
मामले
में
खुद
भी
तेजी
दिखा
रही
है।
फिलहाल
यह
तो
तय
है
कि
अगर
स्पेशल
फास्ट
ट्रैक
कोर्ट
शुरू
होगी
तो
माननीयों
पर
लगे
सारे
आपराधिक
मामलों
की
पेंडेंसी
चंद
महीने
में
खत्म
हो
जायेगी।
याद
दिला
दें
कि
कुछ
समय
पहले
ही
सुप्रीम
कोर्ट
ने
राज्यों
में
स्पेशल
फास्ट
ट्रैक
कोर्ट
बनाने
को
कहा
था,
जिसपर
यूपी
में
क्रियान्वयन
शुरू
हो
गया
है।
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