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चुनावी बिसात पर चल रहा एक दूसरे को शह-मात देने का खेल, संजय निषाद ने BJP को क्यों दिया अल्टीमेटम

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लखनऊ, 20 दिसंबर: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की सियासी गतिविधियां जोरों पर हैं। भाजपा 2022 में जीत का झंडा फहराने के लिए अपने राजनीतिक समीकरणों को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रही है। यूपी में लगातार तीन चुनावों में, भाजपा छोटी जाति-आधारित पार्टियों के साथ गठबंधन करके बड़ी जीत हासिल करने में सफल रही और दोहराने के लिए अपना दल (एस) और निषाद पार्टी में शामिल हो गई। एक बार फिर वही सफलता, लेकिन चुनावी जंग में उतरने से पहले भाजपा के सहयोगी दल दबाव की राजनीति कर रहे हैं ताकि उनकी मांगों को पूरा किया जा सके। बीजेपी के साथ गठबंधन कर एमएलसी बन चुके संजय निषाद अब बीजेपी पर लगातार दबाव बनाने में जुटे हैं। उनका कहना है कि बीजेपी ने जो वादे किए थे वो चुनाव से पहले पूरी करे।

बीजेपी पर दबाव बनाना चाहते हैं संजय निषाद

बीजेपी पर दबाव बनाना चाहते हैं संजय निषाद

यूपी चुनाव से पहले निषाद समाज पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने रविवार को बड़ा बयान दिया। संजय निषाद ने कहा कि आरक्षण दिए जाने तक उनके समुदाय के लोग वोट नहीं देंगे। अब यह भाजपा सरकार का कर्तव्य है कि वह अपना वादा पूरा करे। उन्होंने कहा कि नौ नवंबर से हम सभी जिलों में धरना देंगे। अगर बीजेपी वादा पूरा नहीं करती है तो गठबंधन पर भी असर पड़ सकता है। संजय निषाद का यह बयान ऐसे समय में आया है जब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर हाल ही में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ भाजपा को झकझोरने में शामिल हुए हैं। ऐसे बदलते राजनीतिक माहौल में पूर्वांचल क्षेत्र में बीजेपी के लिए चुनौतियां खड़ी हो गई हैं, जिसके आलोक में संजय निषाद ने बीजेपी पर दबाव बनाने की नीतियां शुरू की हैं।

एमएलसी बनने के बाद आरक्षण की मांग

एमएलसी बनने के बाद आरक्षण की मांग

यूपी की राजनीति में निषाद समुदाय की अहमियत को अच्छी तरह से समझ चुकी बीजेपी इस समुदाय का वोट बैंक किसी भी तरह से खिसकने नहीं देना चाहती। इस बात को संजय निषाद भी बखूबी समझते हैं। भाजपा के माध्यम से संजय निषाद ने पहले खुद को राज्यपाल की फीस के लिए विधान परिषद में नियुक्त किया और अब निषाद ने भाजपा पर समाज की रक्षा के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। संजय निषाद ने कहा कि यूपी में निषाद पार्टी बीजेपी के साथ जरूर है, लेकिन अगर उन्हें समय पर आरक्षण नहीं दिया गया तो निषाद समाज बीजेपी को वोट नहीं देगा। आरक्षण के मुद्दे पर संजय निषाद ने आक्रामक रुख अख्तियार किया है। निषाद पार्टी ने रिजर्व के लिए यूपी में रथ यात्रा निकाली। उन्होंने कहा था कि जब तक उनके समाज को रिजर्व का लाभ नहीं मिल जाता, वह इसके लिए संघर्ष करते रहेंगे।

जातीय दलों की पूछ बढ़ी, क्या बीजेपी पूरी करेगी डिमांड ?

जातीय दलों की पूछ बढ़ी, क्या बीजेपी पूरी करेगी डिमांड ?

यूपी की राजनीति में जातीय दलों की भूमिका इस बार अहम होती जा रही है। ये जाति-आधारित दल मुख्य रूप से पिछड़ी जातियों के हैं। इन्हीं पिछड़ी जातियों में से एक प्रमुख जाति निषाद है। ये प्रजातियां मछली के लिए आती हैं या जिनकी आजीविका नदियों और तालाबों पर निर्भर करती है। केवट, बिंद, मल्लाह, कश्यप, नोनिया, मांझी, गोंड जैसी जातियां हैं। उत्तर प्रदेश की करीब पांच दर्जन विधानसभा सीटों पर इनकी अच्छी खासी आबादी है. इसलिए राजनीतिक दलों के लिए निषाद समुदाय महत्वपूर्ण हो गया है। संजय निषाद ने हाल ही में कहा था कि निषाद पार्टी यूपी की 52 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। बीजेपी के सामने संजय निषाद ने 52 सीटें ही नहीं, आरक्षण की भी मांग रख दी है। इसके अलावा मछुआरों पर नदी और तालाब को पट्टे पर देने समेत कई मांगें की गई हैं कि वे चाहते हैं कि चुनाव से पहले भाजपा इसका पालन करे। बहरहाल, यह देखना बाकी है कि बीजेपी संजय निषाद के डिमांड कितनी पूरी करती है।

ओम प्रकाश की कमी पूरी करेंगे संजय निषाद ?

ओम प्रकाश की कमी पूरी करेंगे संजय निषाद ?

हालांकि, ओमप्रकाश राजभर के राजनीतिक घाटे की भरपाई के लिए बीजेपी ने संजय निषाद की निषाद पार्टी के साथ मिलकर पूर्वांचल में राजनीतिक समीकरण को मजबूत करने के लिए 2022 के चुनाव में हिस्सा लेने का फैसला किया है। ओम प्रकाश राजभर बलिया से और संजय निषाद गोरखपुर से हैं। इस प्रकार, दोनों पूर्वांचल और अत्यंत पिछड़ी जातियों से आते हैं। यही कारण है कि बीजेपी ने संजय निषाद को लाकर अपने राजनीतिक समीकरण को ठीक करने की कोशिश की है, लेकिन संजय निषाद एक के बाद एक मुकदमा दायर करते रहे हैं।

20 लोकसभा सीटों और 60 विधानसभा सीटों पर अहम भूमिका

20 लोकसभा सीटों और 60 विधानसभा सीटों पर अहम भूमिका

बीजेपी ने संजय निषाद के जरिए सबसे अधिक आबादी वाले निषाद जाति के करीब 6-7 उपजातियों को सबसे पिछड़े में पहुंचाने की कोशिश की है। राजभर समुदाय की तरह पूर्वांचल में भी निषाद समुदाय का बड़ा वोट बैंक है। निषाद समुदाय के अंतर्गत निषाद, केवट, बिंद, मल्लाह, कश्यप, मांझी, गोंड आदि उप-जातियां हैं। राज्य में 20 लोकसभा सीटें और करीब 60 विधानसभा सीटें हैं जहां निषाद मतदाताओं की संख्या महत्वपूर्ण है। गोरखपुर, गाजीपुर, बलिया, संत कबीर नगर, मऊ, मिर्जापुर, भदोही, वाराणसी, इलाहाबाद, फतेहपुर, सहारनपुर और हमीरपुर जिलों में निषाद के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है।

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English summary
Sanjay Nishad doing pressure politics before assembly elections
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