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बाहरियों के लिए "रेड कारपेट" या "अंतर्कलह" को दावत, जितिन से पहले भी कई नामी चेहरों को हीरो बना चुकी है BJP

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लखनऊ, 27 सितंबर: उत्तर प्रदेश में अगला विधानसभा चुनाव होने में अब महज सात महीने ही बचे हैं। योगी सरकार और बीजेपी अब अपना हर दांव चुनावी लिहाज से रख रही है। बीजेपी एक तरफ तो बाहर से आने वाले लोगों के लिए रेड कारपेट बिछाने का काम कर रही है जबकि अंदर रहने वाले नेताओं की अहमियत नहीं है। भाजपा के एक पदाधिकारी का दावा है कि दरअसल बाहरी लोगों को सम्मान देकर बीजेपी एक मैसेज देना चाहती है कि यदि किसी दूसरे दल के असंतुष्ट नेता भाजपा में आना चाहते हैं तो उनका पूरा खयाल रखा जाएगा। दरसअल ऐसा नहीं है कि बीजेपी केवल जितिन के लिए रेड कारपेट बिछाने का काम कर रही है इससे पहले भी संगठन में शामिल होने पर रीता बहुगुणा जोशी, ब्रजेश पाठक, स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान जैसे नेताओं के लिए संगठन रेड कारपेट बिछा चुका है।

जितिन

कांग्रेस मे कभी "युवा तुर्क" के रूप में संदर्भित और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टीम के एक प्रमुख घटक जितिन प्रसाद को भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के पांच महीने से भी कम समय बाद कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। यूपी में बीजेपी के पास केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडे, उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और राज्य के कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा जैसे ब्राह्मण नेतृत्व हैं। यूपी के मंत्री राम नरेश अग्निहोत्री, सतीश चंद्र द्विवेदी, नीलकंठ तिवारी, चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय और आनंद स्वरूप शुक्ला जैसे अन्य भी हैं। भाजपा को लगातार अन्य दलों के प्रभावशाली समुदाय के नेता मिलते रहे हैं। इनमें यूपी के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक, जो पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का एक प्रमुख ब्राह्मण चेहरा थे, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (यूपीसीसी) की पूर्व प्रमुख रीता बहुगुणा जोशी, अब प्रयागराज से भाजपा की लोकसभा सांसद हैं।

रीता जोशी

रीता जोशी को बनाया था कैबिनेट मंत्री
रीता बहुगुणा जोशी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा और कमला बहुगुणा की बेटी हैं, जो पूर्व सांसद थे। उन्होंने एमए पूरा किया और इतिहास में पीएचडी किया है। वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मध्ययुगीन और आधुनिक इतिहास में प्रोफेसर भी हैं। उन्होंने इलाहाबाद की मेयर बनकर 1995 में राजनीति में प्रवेश किया। वह वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। वह 2007 से 2012 तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा थी। 20 अक्टूबर 2016 को, वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं।

पार्टी छोड़ने से पहले 24 साल तक वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ थीं। उन्होंने दो बार लोकसभा चुनाव में चुनाव लड़ा लेकिन दोनों बार हार गई। 2012 के विधानसभा चुनावों में, उन्हें लखनऊ छावनी के लिए विधान सभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया था। इसके बाद योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनीं। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें प्रयागराज से टिकट दे दिया और चुनाव जीतकर वह सांसद बनीं।

ब्रजेश पाठक

बसपा से मोहभंग हुआ तो ब्रजेश ने थामा था बीजेपी का दामन
बसपा के शीर्ष बाहुबली नेता बृजेश पाठक आज भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा की मौजूदगी में दिल्ली भाजपा के मुख्यालय में बृजेश पाठक ने भाजपा की सदस्यता गृहण की। बृजेश पाठक को बसपा सुप्रीमो मायावती के करीबी के रूप में माना जाता था।बृजेश पाठक को उन्नाव के बड़े नेता के रूप में जाना जाता है। माना जा रहा है कि उन्नाव में उनकी पैठ के चलते ही उन्हें भाजपा में जगह दी गयी है। बृजेश पाठक मुख्य रूप से हरदोई के रहने वाले हैं और 2004 में वह उन्नाव से सांसद रह चुके हैं। उन्हें बतौर बाहुबली नेता के तौर पर जाना जाा है। बृजेश पाठक लखनऊ विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष व अध्यक्ष के पद पर भी रह चुके हैं।

स्वामी प्रसाद

मायावती पर आरोप लगाकर बीजेपी में आए थे स्वामी प्रसाद
बहुजन समाज पार्टी के पूर्व कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने आज हाथी का साथ छोड़कर कमल का दामन थाम लिया है। स्वामी प्रसाद मौर्या अपने समर्थकों के साथ भारतीय जनता पार्टी ऑफिस पहुंचे और अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हो गए। इस मौके पर उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या भी मौजूद थे। स्वामी प्रसाद मौर्या ने मायावती पर चुनाव में टिकट बेचकर वह करोड़ों रुपए जमा करने का आरोप लगाया था। मौर्या ने दावा किया था कि मायावती बसपा की स्थापना करने वाले कांशी राम और बाबा साहेब के मिशन की हत्या कर भ्रष्टाचार में डूबी हैं। माया बसपा कार्यकर्ताओं को सिर्फ अपने कलेक्शन एजेंट की तरह इस्तेमाल करती हैं।

दारा सिंह चौहान

दारा सिंह चौहान को भी हारने के बावजूद बनाया था हीरो
पूर्व सांसद दारा सिंह चौहान बहुजन समाज पार्टी के लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे हैं। वहीं, 2014 में दारा सिंह चौहान ने बसपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव घोसी विधानसभा से लड़ा था। लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हरिनारायण राजभर ने 1 लाख 45 हजार के बड़े अंतर से दारा सिंह चौहान को चुनाव में हराया था। दारा सिंह चौहान दूसरे स्थान पर रहे थें। चुनाव हारने के करीब एक साल बाद दारा सिंह चौहान ने बसपा को छोड़ दिया।

चुनाव से पहले भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भाजपा में शामिल कर उन्हें पार्टी की सदस्यता ग्रहण करवाई। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले ही भाजपा ने उन्हें पिछड़ा मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बना दिया। साथ ही मऊ जिले की मधुबन विधानसभा से भाजपा का प्रत्याशी भी बनाया था। मोदी लहर में वो चुनाव जीत गए फिर सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री भी बना दिया गया।

बीजेपी के एक प्रदेश पदाधिकारी ने कहा कि,

'' जिन जिन इलाकों में इन नेताओं की पैठ है वहां के बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं का क्या होगा। जो बीजेपी के लोग लंबे समय से वहां टिकट के लिए मेहनत कर रहे हैं क्या उनके प्रति पार्टी का कोई दायित्व नहीं है। बाहर के नेताओं को हीरो बनाकर अंदरखाने अंतरकलह को जन्म दिया जा रहा है। अब यह भी संभव है कि जिस तरह रीता जोशी को प्रयागराज से लोकसभा टिकट दे दिया गया उसी तरह जितिन प्रसाद को अगले लोकसभा में दे दिया जाए।''

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English summary
"Red Carpet" for outsiders in BJP: By making Jitin happy, the way has been opened for the dissidents of other parties, even before the famous faces have got the reward
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