रामपुर: आजम खां ने कहा मायावती कौम की हितैषी होतीं तो 403 मुसलमान उतारतीं
आजम खां ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्हें अगर मुसलमानों को लुभाना ही था तो 403 सीटें इसी समुदाय के लोगों को देनी चाहिए थी।
रामपुर। यूपी के रामपुर में सपा के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद आजम खां ने कांग्रेस को कम बुरी पार्टी समझकर उससे विधानसभा चुनाव में गठबंधन करने की बात कही है। आजम ने ये बात मीडिया से मुखातिब होते हुए कही। आजम ने भाजपा पर भी करारा तंज कसते हुए एक बार फिर भाजपा के घोषणापत्र पर निशाना साधा। आजम ने कहा कि भाजपा को ऐसी घोषणाएं करते हुए शर्म आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सांप के बिल में हाथ डालने पर डसे जाने के बाद दोबारा हाथ नहीं डालना चाहिए। आजम ने कहा कि भाजपा को कोई भी घोषणा करने से पहले शर्म के आईने में अपना चेहरा देखना चाहिए। ये भी पढ़ें: सुल्तानपुर: आजम खान के खास विधायक पर फूटा जनता का गुस्सा, कहा इन्हें छोड़ किसी को भी दे देंगे वोट
बता दें कि मीडिया से बातचीत के दौरान आजम खां ने देश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा और यूपी में विपक्षी पार्टी बसपा पर खुलकर बयानबाजी की। उन्होंने मायावती को मुसलमानों का रहनुमा बताये जाने के सवाल पर कहा मुसलमानों को सिर्फ 97 टिकट देना पर्याप्त नहीं है। आजम ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्हें अगर मुसलमानों को लुभाना ही था तो 403 सीटें इसी समुदाय के लोगों को देनी चाहिए थी। वहीं, कांग्रेस से गठबंधन के सवाल पर आज़म ने कहा कि भाजपा और संघ से मुकाबले के लिए धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एक साथ आना जरूरी था और गठबंधन की वजह भी यही है।
आज़म ने आगे कहा, 'राजनीति की प्रयोगशाला में राजनीति विज्ञान के ही प्रयोग होते रहे हैं। बिहार में महागठबंधन का प्रयोग हुआ। बिहार में ये प्रयोग सफल रहा और आम लोगों के बीच राय थी कि समान विचारधारा वाले धर्मनिरपेक्ष लोग जो राजनीतिक मजबूरियों के कारण रास्ता भटक गए हैं और फिर से इस राह पर आना चाहते हैं। आजम ने उन सभी को एकसाथ आकर मिलकर चुनाव लड़ने को कहा।
वहीं, कांग्रेस के साथ मिलकर यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर आजम ने कहा कि कांग्रेस के साथ रिश्ते का लंबा इतिहास रहा है और यह सिलसिला आजादी की लड़ाई के वक्त से ही है। मौलाना आजाद, मोहम्मद अली जिन्ना और अल्लामा इकबाल पार्टी के अध्यक्ष और भी अहम नेता रहे हैं। आजम ने कांग्रेस की आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाने की बात कही है। साथ ही कहा कि स्वतंत्रता हासिल करने के 50 साल के बाद तक कई बड़ी घटनाओं के बावजूद मुसलमान कांग्रेस के साथ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि बाबरी मस्जिद की घटना और शिलान्यास की बातों ने मुसलमानों को आहत किया और इससे मुसलमान समुदाय को यह भी सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि क्या उसने 1947 में पाकिस्तान नहीं जाकर गलती की।
आजम ने अपनी बात खत्म करते हुए साफ-साप कहा कि वे अभी भी कांग्रेस को क्लीन चिट नहीं दे रहे हैं, बस इतना है कि पार्टी ने सबसे कम बुरे को चुना है। जबकि बीजेपी और आरएसएस का एजेंडा दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। ये भी पढे़ं: आजम खां के बेटे अब्दुल्ला के लिए समस्या बनी उनकी उम्र