एक बार फिर से भाषण के दौरान पीएम मोदी ने गलत तथ्य सामने रखा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर से अपने भाषण के दौरान गलत तथ्य साझा करने की वजह से अपने आलोचकों के निशाने पर हैं। गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मगहर में एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि महात्मा कबीर का समाज में सौहार्द का संदेश कोई नहीं भूल सकता है, उनके संदेश से समाज को कई सदियों तक दिशा मिली। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि मैं संत कबीर की निर्वाण स्थली को प्रणाम करता हूं, ऐसा कहा जाता है कि यहां सत कबीर, गुरू ननकादेव और बाबा गोरखनाथ एक साथ बैठते थे और अध्यात्म पर चर्चा करते हैं।
तीन महापुरुषों को एक काल का बताया
दरअसल संत कबीर, गुरू ननकादेव और बाबा गोरखनाथ अलग-अलग समयाकल के महापुरुष हैं, लेकिन जिस तरह से पीएम ने इन सभी के एक साथ बैठ अध्यात्म पर चर्चा की बात कही उसके बाद वह आलोचकों के निशाने पर आ गए हैं। आपको बता दें कि बाबा गोरखनाथ कबीर औ र गुरु नानक से पहले जन्म हुआ था। बाबा गोरखना 11वीं शताब्दी में पैदा हुए थे, जबकि कबीर का जन्म 14वीं शताब्दी में 1398 में हुआ था और वह 120 वर्ष तक जिंदा रहे, उनका देहांत 1518 को हुआ था।
पहले भी कर चुके हैं गलती
वहीं गुरू नानक 15वीं शताब्दी में पैदा हुए थे और 1469-1539 तक जीवित रहे थे। ऐसे में तीनों ही महापुरुषों को एक समयकाल में बांधना प्रधानमंत्री मोदी की चूक के तौर पर सामने आया है। यह पहली बार नहीं है जब पीएम ने इस तरह की गलती की है। इससे पहले भी उन्होंने इस तरह की गलतियां की हैं और इतिहास के तथ्यों को एक-दूसरे में मिला दिया है। इससे पहले 2013 में नरेंद्र मोदी ने पटना में एक रैली के दौरान कहा था कि अशोक को पाटलीपुत्र, नालंदा और तक्षशिला से जोड़ दिया था, लेकिन तक्षशिला का एक छोटा सा हिस्सा पंजाब में है जबकि बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में हैं नाकि बिहार में।
सूर्य मंदिर को बताया था 2000 वर्ष पुराना
यही नहीं अमेरिका में भाषण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कोणार्क के सूर्य मंदिर के बारे में बात की और इसे 2000 वर्ष पुराना बताया था, जबकि यह सिर्फ 700 वर्ष पुराना है। पीएम ने एक बार कहा था कि गुप्त काल हमे चंद्रगुप्त की राजनीति की याद दिलाता है, लेकिन अगर हम चंद्रगुप्त मौर्य की बात करें तो वह मौर्य वंश के थे, जबकि चंद्रगुप्त 2 गुप्ता काल के थे।