Noida: 'जिंदगी में सब कुछ माफ कर सकती हूं लेकिन रिश्तों में झूठ नहीं'....पत्रकार श्वेता की मौत पर उठे सवाल
Journalist Shweta Yadav's departure: 'वो हंसमुख थी'... 'जुझारू थी'...'उसने तब हार नहीं मानी तो आज कैसे?'....'नहीं-नहीं वो ऐसा कुछ कर ही नहीं सकती है'... ये ही बातें इस वक्त हर वो इंसान कह रहा है जिसने महिला पत्रकार श्वेता यादव की मौत की खबर सुनी है। 12 साल पहले पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाली श्वेता यादव के बारे में उसके गुरुजन, साथी बस यही कह रहे हैं कि वो बहुत हिम्मत वाली लड़की थी। उसने अपनी मेहनत से अपनी एक खास पहचान बनाई थी, वो आत्महत्या कैसे कर सकती है? आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट के इको विलेज-3 सोसाइटी में रहने वाली महिला पत्रकार श्वेता यादव के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने बीते मंगलवार तड़के 16वीं मंजिल से कूदकर सुसाइड कर लिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पत्रकार के इस कदम की वजह अपने पति से झगड़ा था। हालांकि मामले की जांच चल रही है और पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। इस मामले की जानकारी मीडिया को देते हुए बिसरख कोतवाली के एसएचओ उमेश बहादुर ने कहा कि 'मंगलवार की सुबह करीब 3:30 बजे 35 साल की पत्रकार श्वेता यादवने 16वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली, फिलहाल फौरी तौर पर तो ये आत्महत्या का ही मामला लग रहा है लेकिन अभी मामले की जांच चल रही है।'
क्या सच है और क्या झूठ?
हालांकि श्वेता के फ्लैट से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है बल्कि कुछ शराब की बोतलें बरामद हुई हैं। जिनसे अनुमान लगाया जा रहा है कि शायद पति-पत्नी के झगड़े की वजह यही हो लेकिन क्या सच है और क्या झूठ? अब श्वेता को धक्का दिया गया या फिर वो खुद गिर गईं? इस सवाल का जवाब लोग खोज रहे हैं।
गौरतलब है कि श्वेता की छवि काफी जुझारू किस्म की रही है। यूपी के आजमगढ़ की रहने वाली श्वेता ने बड़े संघर्ष के साथ अपनी जगह बनाई थी। उनके पति सुभाष भी एक मीडियाकर्मी ही हैं और दोनों की तीन साल की बेटी भी है। दोनों का प्रेम विवाह हुआ था। कोरोना काल में श्वेता की नौकरी भी चली गई थी लेकिन इसके बाद भी वो परेशान नहीं थीं, वो मौजूदा दौर में एक विवि से पीएचडी भी कर रही थीं। वो अपना एक TedhiUngli.com Blog चलाती थीं, जिसके इंट्रो में उन्होंने लिखा है कि 'जिंदगी में सब कुछ माफ कर सकती हूं.... लेकिन रिश्तों में झूठ नहीं'।
श्वेता की अंतिम पोस्ट 20 नवंबर की
तो क्या श्वेता को रिश्ते में धोखा मिला? क्या उनका सामना किसी ऐसे झूठ से हुआ जिसको वो बर्दाश्त नहीं कर पाईं? ये सारे सवाल हर उस इंसान के दिल-दिमाग में कौंध रहे हैं, जो कि श्वेता को करीब से जानता था। वैसे आपको बता दें कि श्वेता की फेसबुक वॉल की अंतिम पोस्ट को देखकर जरा भी नहीं लग रहा कि वो कहीं से दुखी या अवसाद से ग्रसित थीं। उनकी अंतिम पोस्ट 20 नवंबर की है, जिसको देखकर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता था कि ये इंसान दो दिन बाद दुनिया से यूं रुखसत हो जाएगा।
पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के Assistant Professor डॉ दिग्विजय सिंह राठौड़ ने भी अपनी फेसबुक वॉल पर श्वेता की मौत पर गहरा शोक प्रकट किया है। भारी मन से उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है कि 'श्वेता यादव का इस तरह जाना बहुत कष्ट दे गया। श्वेता मेरी विद्यार्थी रही उसने 12 साल पहले एमए जनसंचार किया था। आजमगढ़ में बरदह की रहने वाली थी और हमेशा मेहनत पर विश्वास रखती थी।' दोस्त, साथी, गुरुजन सभी श्वेता की मौत की बात सुनकर गहरे सदमे में हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। मालूम हो कि मंगलवार को जनसंचार विभाग ने शाम को श्वेता की आत्मा की शांति के लिए एक प्रेयर मीट भी रखी थी।