Mainpuri Loksabha by Election: BJP को रास नहीं आ रही शिवपाल-अखिलेश के बीच नजदीकियां ?
Mainpuri Loksabha by Election: उत्तर प्रदेश की सियासत में चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश यादव के बीच बढ़ रही नजदीकी भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Praty) रास नहीं आ रही है। यूपी में फिलहाल मैनपुरी लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में अखिलेश-शिवपाल की घटती दूरियां चर्चा का विषय बनी हुई है। शिवपाल ने कुछ दिन पहले ही खुलासा किया था कि उन्होंने अखिलेश का समर्थन क्यों किया। हालांकि "चाचा-भतीजे" के बीच दूरियां घट रहीं है तो इसके साइडइफेक्ट की अटकलें भी पहले से लगाई जा रही थीं। इस पर मुहर तब लग गई जब उत्तर प्रदेश सरकार ने समाजवादी पार्टी के विधायक शिवपाल यादव की सुरक्षा जेड श्रेणी से घटाकर वाई कर दी है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो शिवपाल के रुख ने मैनपुरी में बीजेपी की रणनीति को काफी नुकसान पहुंचा है जिससे बीजेपी में खलबली मची हुई है।
अखिलेश-शिवपाल की नजदीकी ने बिगाड़ी बीजेपी की गणित
दरअसल उत्तर प्रदेश में मैनपुरी लोकसभा सीट पर चल रहे उपचुनाव में बीजेपी पहले अपनी संभावनाएं देख रही थी। बीजेपी को लग रहा था कि वह पहली बार मुलायम के गढ़ में सेंध लगाने में कामयाब हो जाएगी लेकिन चुनाव से ठीक पहले शिवपाल के रुख ने सारी कहानी बदल दी। बीजेपी जिस तरह से शिवपाल पर उपकार पर उपकार किए जा रही थी उससे लगता था कि मैनपुरी में भी वो बीजेपी का साथ देंगे लेकिन शिवपाल के दांव ने बीजेपी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था। शिवपाल के सपा खेमे में जाने से मैनपुरी में बीजेपी की गणित गणबड़ा गई है।
शिवपाल-अखिलेश के रिश्तों से बीजेपी में कुलबुलाहट
यूपी पुलिस के सुरक्षा अनुभाग की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि यह निर्णय 25 नवंबर को राज्य स्तरीय सुरक्षा समिति की बैठक में लिया गया था जिसमें गणमान्य व्यक्तियों को प्रदान की गई सुरक्षा की समीक्षा की गई थी। प्रगति समाजवादी पार्टी (लोहिया) के नेता द्वारा अपने भतीजे और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ मनमुटाव खत्म करने और मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में अपनी पत्नी डिंपल के लिए प्रचार शुरू करने के कुछ दिनों बाद सुरक्षा कवर में गिरावट आई है। हालांकि सूत्र ये बता रहे हैं कि आने वाले समय में सरकार उनके बंगले को लेकर भी बड़ा फैसला ले सकती है।
अखिलेश ने सरकार के फैसले पर जतायी आपत्ति
सरकार के फैसले पर आपत्ति जताते हुए अखिलेश ने सोमवार शाम को कहा, "यह सरकार जिस तरह से काम करती है, वह कुछ की सुरक्षा हटाती है और जाति के आधार पर पुलिस बल भेजती है ... भाजपा सरकार की मंशा अच्छी नहीं है।" शिवपाल को पेंडुलम बताए जाने को लेकर अखिलेश ने कहा कि, ''माननीय शिवपाल सिंह यादव जी की सुरक्षा श्रेणी को कम करना आपत्तिजनक है। साथ ही ये भी कहना है कि पेंडुलम समय के गतिमान होने का प्रतीक है और वो सबके समय को बदलने का संकेत भी देता है और ये भी कहता है कि ऐसा कुछ भी स्थिर नहीं है जिस पर अहंकार किया जाए।''
शिवपाल को समस्या है तो सरकार को अगवत कराएं
शिवपाल का सुरक्षा घेरा नहीं हटाया गया है। इसे आवश्यकता और इनपुट के अनुसार बदल दिया गया है। शिवपाल को आदित्यनाथ सरकार ने 2018 में 'जेड' सुरक्षा दी थी। पुलिस के मुताबिक, 'वाई' श्रेणी की सुरक्षा में दो पीएसओ (निजी सुरक्षा गार्ड) सहित कुल 11 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं, जबकि 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा में चार से पांच एनएसजी कमांडो सहित कुल 22 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं। वहीं डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर लिखा, "शिवपाल सिंह यादव को भतीजे अखिलेश यादव और सपा के अपराधियों खतरा था, अब दोनों में मिलाप हो गया है तो सुरक्षा के लिए बड़ा ख़तरा टल गया है, फिर भी उन्हें वाई श्रेणी सुरक्षा उपलब्ध है. यदि उन्हें सुरक्षा की समस्या है तो अवगत करायें, जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी."।
बीजेपी ने कहा- गैरजरूरी मुद्दे उठा रही सपा
इस बीच बीजेपी प्रवक्ता अवनीश त्यागी ने कहा, 'मैनपुरी उपचुनाव में समाजवादी पार्टी खुद को लाचार महसूस कर रही है और इसलिए गैरजरूरी मुद्दे उठा रही है. सुरक्षा कवर विशुद्ध रूप से एक प्रशासनिक निर्णय है और उचित निगरानी और खुफिया जानकारी से समीक्षा और इनपुट के बाद लिया जाता है। इसे राजनीतिक मुद्दा बनाना गलत है। हाल ही में समाजवादी पार्टी ने मैनपुरी में शिवपाल को अपना स्टार प्रचारक बनाया था, जहां 5 दिसंबर को होने वाले उपचुनाव में उनका सीधा मुकाबला बीजेपी के रघुराज सिंह शाक्य से है।