अंदरखाने चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है BJP ?, सुब्रमण्यम स्वामी के बयान के क्या है सियासी मायने
लखनऊ, 24 दिसंबर: उत्तर प्रदेश में एक तरफ जहां सभी राजनीतिक दलों ने चुनावी तैयारियों में अपनी ताकत झोंक रखी है वहीं दूसरी ओर बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के उस बयान ने यूपी में चुनाव टलने और राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने के ट्वीट ने खलबली मचा दी है। हालांकि इससे पहले इलाहाबाद हाइकोर्ट की तरफ से एक फैसला आया है जिसमें अदालत ने कहा है कि जान है तो जहान है यानी अदालत ने इलेक्शन कमीशन से चुनावी रैलियों पर रोक लगाने की सलाह दी है ताकि ओमिक्रान के फैलते असर से लोगों की जान बचायी जा सके। यूपी में राष्ट्रपति शासन लगेगा या नहीं यो तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन बीजेपी नेता के ट्वीट ने यूपी में एक नई बहस को जन्म जरूर दे दिया है।
बीजेपी क्या अंदरखाने चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है
चुनाव के स्थगित होने की अटकलों के बीच कुछ पार्टियों के नेताओं का कहना है कि ओमिक्रॉन वायरस से उत्पन्न खतरे की आड़ में चुनाव स्थगित करने से पार्टी को नाराज मतदाताओं को शांत करने में मदद मिल सकती है। मोदी ने पश्चिम बंगाल में बड़ी चुनावी रैलियां करना जारी रखा था, तब भी जब महामारी की दूसरी लहर के दौरान सैकड़ों हजारों लोग मारे गए थे। नवीनतम ओमाइक्रोन संस्करण ने मानव जीवन के लिए ऐसा कोई खतरा उत्पन्न नहीं किया है लेकिन उसके बावजूद यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाकर चुनाव को टालने की जो अफवाहें सामने आयी हैं उसके पीछे बीजेपी की सोची समझी साजिश है।
क्या सपा के परफॉर्मेंस से घबराई बीजेपी
उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में चुनाव होने हैं लेकिन जिस तरह से समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं उससे बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के होश उड़े हुए हैं। आलम यह है कि पीएम मोदी को खुद चुनाव प्रचार की कमान अपने हाथों में लेनी पड़ी है। जिस तरह से पिछले डेढ़ महीने से पीएम मोदी ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं उससे ये संदेश साफ है कि बीजेपी ने चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है। उधर अखिलेश यादव ने भी पूर्वांचल में ओम प्रकाश राजभर से समझौता किया तो पश्चिमी यूपी में रालोद के मुखिया जयंत चौधरी को साधकर बीजेपी की नींद खराब कर दी है। ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी सपा के परफार्मेंस देखकर घबरा गई है इसलिए अब चुनाव को स्थगित करने जैसी बातें हो रही हैं।
हाइकोर्ट के जज ने दी चुनाव टालने की नसीहत
दरअसल गुरुवार को उच्च न्यायालय ने संजय यादव नाम के एक व्यक्ति को जमानत देते हुए कहा, 'जान है तो जहान है' (अगर लोग जिंदा हैं, तो देश जिंदा है)। सिंगल बेंच जज जस्टिस शेखर यादव ने पीएम और ईसीआई को चुनाव और राजनीतिक रैलियों को स्थगित करने पर फैसला लेने की सलाह दी। यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव में जनता को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने के लिए राजनीतिक दलों की चुनावी रैलियों पर रोक लगाई जाए। उन्हें टीवी और समाचार पत्रों के माध्यम से प्रचार करने के लिए कहा जाना चाहिए। चुनाव आयोग को पार्टियों की चुनावी सभाओं और रैलियों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए। चुनाव स्थगित करने पर भी विचार करें, क्योंकि जीवन है तो ही दुनिया सार्थक है।"
बंगाल और ग्राम पंचायत चुनाव से सबक लेने की जरूरत
जस्टिस यादव ने कोर्ट परिसर में भारी भीड़ जमा होने की भी आशंका जताई। "कोई सामाजिक गड़बड़ी नहीं है और नए ओमीक्रोन संस्करण के कारण तीसरी लहर की संभावना हो सकती है," उन्होंने देखा। दूसरी लहर के दौरान, हमने देखा है कि लाखों लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं और उनकी मृत्यु हो गई है। ग्राम पंचायत के चुनाव और बंगाल विधानसभा के चुनावों ने बहुत से लोगों को संक्रमित किया और बहुत से लोगों को हताहत किया।"
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी के बयान से मची हलचल
दूसरी ओर भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अगले साल फरवरी में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को स्थगित करने का संकेत दिया है। उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की थी कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकती है। बीजेपी के मुखर नेता के मुताबिक विधानसभा चुनाव अगले साल सितंबर तक के लिए टाले जा सकते हैं. स्वामी ने ट्विटर पर लिखा, "ओमाइक्रोन के लिए लॉकडाउन और यूपी में राष्ट्रपति शासन के तहत सितंबर तक यूपी चुनाव स्थगित करने से आश्चर्यचकित न हों। जो इस साल की शुरुआत में सीधे नहीं किया जा सकता था, वह अगले साल की शुरुआत में परोक्ष रूप से किया जा सकता है।"
कोरोना की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा प्रभावित यूपी हुआ था
इस साल मई में कोरोनावायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित भारतीय राज्य था। आदित्यनाथ सरकार द्वारा महामारी से निपटने में असमर्थता के लिए भाजपा को मतदाताओं के काफी गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में भूमि घोटाले के आरोपों का सामना करने के बाद भगवा पार्टी एक और संकट की चपेट में आ गई है। कोरोना की दूसरी लहर में हुइ मौतों को लेकर ही बीजेपी के मंत्रियों ने योगी को पत्र लिखकर अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत दूर करने की मांग की थी। अपने ही नेताओं और मंत्रियों का विरोध सरकार को झेलना पड़ा था।
चुनाव स्थगित होने पर क्या है राजनीतिक दलों की राय-
तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नीरज राय ने कहा कि हाइकोर्ट ने ओमिक्रान के मामलों के सामने आने के बाद चिंता जाहिर की है जो सही है। लेकिन बीजेपी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के बयान के पीछे की मंशा क्या है यह साफ होना बाकी है। जहां तक चुनाव स्थगित कर आगे के लिए टाले जाने की अफवाहें आ रही हैं उससे यही लग रहा है कि वाकई बीजेपी यूपी में पूरी तरह से घबरायी हुई है। बीजेपी और पीएम मोदी ने पूरी ताकत यूपी में लगा दी है लेकिन वह जनता को समझाने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं। ऐसे में इन अफवाहों में भी दम हो सकता है बीजेपी आधी अधूरी तैयारियों के साथ चुनाव में जाना न चाहती हो जिससे चुनाव टालकर राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
बीजेपी के प्रवक्ता हीरो वाजपेयी ने कहा कि ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को लेकर उच्च न्यायालय ने चिंता जतायी है ओर इलेक्शन कमीशन और पीएम को अपनी बात बतायी है कि चुनाव को ऐसी स्थिति में न कराया जाए। यह हाइकोर्ट का अपना विचार है जिसको इलेक्शन कमीशन संज्ञान में लेकर यूपी में होने वाले चुनावों को लेकर कोई फैसला करेगा।
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