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गोरखपुर से जीते सीएम योगी आदित्यनाथ, तो ये 4 रिकॉर्ड कर सकते हैं अपने नाम

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लखनऊ, 16 जनवरी: बीजेपी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर (शहर) से उम्मीदवारी तय करके कई सारी अटकलों को विराम दे दिया है। वह खुद भी विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं और इस तरह से पूरे चुनाव को फ्रंट से लीड करने के लिए तैयार हैं। यानी उत्तर प्रदेश में बीजेपी इस चुनाव में सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के भरोसे ही नहीं रह गई है, वह सीएम योगी के पांच साल के कार्यकाल को जनता के सामने पेश करके उसके आधार पर वोट मांगेगी और पीएम मोदी का चेहरा उसके लिए बाकी हर कमी-बेशी को पूरा करने के काम आएगा। यानी ज्यादा दारोमदार योगी आदित्यनाथ के कंधों पर है और अगर उन्होंने इसमें सफलता पाई तो उनके नाम चार रिकॉर्ड जुड़ सकते हैं।

कार्यकाल पूरा करने वाली यूपी के तीसरे सीएम बन चुके हैं योगी

कार्यकाल पूरा करने वाली यूपी के तीसरे सीएम बन चुके हैं योगी

यूपी चुनाव के लिए 107 उम्मीदवारों की अपनी पहली ही लिस्ट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर (शहर) विधानसभा क्षेत्र से टिकट देकर भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से कयासबाजों की कयासबाजियों की हवा निकाल दी है। मथुरा और अयोध्या से उनके चुनाव लड़ने की अटकलों को खारिज करके उन्हें उनके राजनीतिक किले से उम्मीदवार क्यों बनाया गया है, यह बहस का एक अलग विषय है। लेकिन, इतना तय है कि अगर योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर लोकसभा सीट की तरह से ही गोरखपुर शहरी विधानसभा सीट से भी अपना विजय अभियान जारी रखा तो उनके लिए यूपी में चार रिकॉर्ड बनाने का रास्ता साफ हो सकता है। वह यूपी के मुख्यमंत्री के तौर पर अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करके पहले ही यूपी के 21 मुख्यमंत्रियों में से तीसरे सीएम बन चुके हैं। उनसे पहले सिर्फ बसपा की मायावती (2007-2012) और सपा के अखिलेश यादव (2012-2017) ने 1952 से लेकर अबतक अपना कार्यकाल पूरा किया था।

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15 साल में पहले एमएलए सीएम बन सकते हैं योगी

15 साल में पहले एमएलए सीएम बन सकते हैं योगी

अगर योगी आदित्यनाथ गोरखपुर (शहर) सीट से चुनाव जीतने में कामयाब रहे तो बीते 15 वर्षों में एमएलए का चुनाव जीतने वाले पहले सीएम होंगे। उनके अलावा अखिलेश और मायावती भी अपने पिछले कार्यकाल में एमएलसी ही रहे थे और दोनों ने सीएम रहते हुए विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। गोरखपुर से पांच बार सांसद रहे योगी, पिछले चुनाव में पार्टी के स्टार प्रचारक थे और पार्टी ने उन्हें सीएम उम्मीदवार के तौर पर पेश नहीं किया था। 2017 में 312 सीटें जीतने वाली बीजेपी सरकार में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने भी एमएलसी चुना जाना ही पसंद किया था।

37 साल में पहली बार दोबारा सत्ता में बैठने का मौका

37 साल में पहली बार दोबारा सत्ता में बैठने का मौका

उत्तर प्रदेश में 1985 के विधानसभा चुनाव के बाद कोई भी मुख्यमंत्री चुनाव जीतकर दोबारा सत्ता में नहीं लौटा है। 37 साल पहले यह कामयाबी अविभाजित यूपी में कांग्रेस के दिग्गज नारायण दत्त तिवारी को मिली थी। तब कांग्रेस इंदिरा गांधी की हत्या की सहानुभूति लहर पर ऐसे सवार थी कि उसके सामने सभी सियासी दलों का वजूद ही मिटने लगा था। लेकिन, उसके बाद प्रदेश की राजनीति से न सिर्फ कांग्रेस ही हवा हुई, बल्कि किसी भी मुख्यमंत्री को चुनाव जीतकर सत्ता में वापसी का सौभाग्य नहीं मिला। अगर योगी गोरखपुर से चुनाव जीते और बीजेपी फिर से सत्ता में लौटी तो यह एक रिकॉर्ड को होगा जो 37 वर्ष बाद दोहराया जाएगा।

भाजपा के पहले सीएम होंगे जो सत्ता में लौट सकते हैं

भाजपा के पहले सीएम होंगे जो सत्ता में लौट सकते हैं

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ से पहले भाजपा के तीन नेताओं को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला है। कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह। इनमें से किसी भी सीएम के नाम पार्टी को चुनाव में जिताकर दोबारा सत्ता में लाने का सेहरा नहीं बंधा है। लेकिन, योगी आदित्यनाथ पर भारतीय जनता पार्टी ने इस बार बहुत बड़ा दांव लगाया है और उन्होंने अगर पार्टी को चुनावों में सफलता दिलाई तो वह बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री होंगे जिन्हें चुनाव जीतने के बाद दोबारा सरकार बनाने का मौका मिलेगा। क्योंकि, पार्टी इस चुनाव में उन्हें मुख्यमंत्री के चेहरा के तौर पर पेश कर रही है।

नोएडा से जुड़े अपशकुन तोड़ने वाले पहले सीएम

नोएडा से जुड़े अपशकुन तोड़ने वाले पहले सीएम

योगी आदित्यनाथ से पहले के मुख्यमंत्री नोएडा आने से कतराते थे। उनके मन में एक ऐसी धारणा बैठ गई थी कि जो भी सीएम नोएडा जाता है उसकी कुर्सी खतरे में पड़ जाती है या फिर उसका दोबारा सत्ता में लौटना असंभव हो जाता है। पूर्व सीएम अखिलेश यादव तो सार्वजनिक तौर पर अपना यह डर स्वीकार कर चुके हैं। लेकिन, सीएम योगी ने ना सिर्फ इन 'अवैज्ञानिक' दलीलों को नकारा है, बल्कि वह अपने कार्यकाल में कई बार आधिकारिक कार्यक्रमों के लिए नोएडा आ चुके हैं। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर इन 'दकियानूसी' दलीलों को नकार दिया है।

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नोएडा से क्यों जुड़ी है अपशकुन की बात ?

नोएडा से क्यों जुड़ी है अपशकुन की बात ?

2017 के 25 दिसंबर की बात है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ दिल्ली मेट्रो के मैग्नेटा लाइन के उद्घाटन के लिए नोएडा आए थे। तब पूर्व सीएम अखिलेश ने टिप्पणी की थी मोदी और योगी दोनों अगला लोकसभा और विधानसभा चुनाव हार जाएंगे। 2019 में पीएम मोदी तो 2014 से भी प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में लौटे। अब बारी योगी आदित्यनाथ की है कि वह इस धारणा बदल पाते हैं या नहीं। जहां तक नोएडा को कुर्सी के लिए अपशकुन मानने वाला इतिहास है तो वो ये है कि पूर्व सीएम वीर बहादुर सिंह जून 1988 में यहां आए और कुछ दिन बाद ही उनकी कुर्सी चली गई। इसी डर से मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और अखिलेश यादव ने भी मुख्यमंत्री रहते हुए नोएडा आने से परहेज किया। अक्टूबर 2011 में मुख्यमंत्री रहते मायावती दलित स्मारक स्थल का उद्घाटन करने नोएडा आई थीं, लेकिन 2012 के चुनाव में उन्हें सत्ता से हाथ धो देना पड़ा।

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English summary
If Yogi Adityanath becomes the CM by winning the election from Gorakhpur Urban seat, then four new records will be made in his name in UP
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