कैसे सुधरेगी UP में शिक्षा की सेहत ? 5 महीने से इस इंतज़ार में बैठे हैं सरकारी स्कूलों के बच्चे
लखनऊ, 03 सितंबर: उत्तर प्रदेश में नए सत्र शैक्षणिक सत्र के पांच महीने बीतने के बाद भी राज्य भर के कई सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के छात्र अब भी किताबों का इंतजार कर रहे हैं। अप्रैल में सत्र शुरू होने के बावजूद किताबों के नए सेट इनमें से कई स्कूलों तक नहीं पहुंचे हैं जिनसे बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि नई कैबिनेट को कुछ निर्णय लेने थे जिसकी वजह से इसमें देरी हो रही है लेकिन इसको लेकर प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही किताबें बच्चों को मुहैया करा दी जाएंगी।
किताबें न होने से शिक्षकों के नोट्स पर निर्भर हैं छात्र
दरअसल लखनऊ के इंग्लिश मीडियम गवर्नमेंट स्कूल के सभी 435 छात्र बिना किसी किताब के अपनी कक्षाओं में भाग ले रहे हैं। छात्र केवल शिक्षकों से नोट्स ले रहे हैं क्योंकि बेसिक शिक्षा विभाग ने अभी तक इस स्कूल को नई अंग्रेजी माध्यम की किताबें उपलब्ध नहीं कराई हैं। नई पुस्तकों के अभाव में शिक्षक पिछले वर्ष के छात्रों द्वारा दी गई कुछ पुरानी पुस्तकों का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन वे ज्यादातर खराब स्थिति में हैं।
दूसरे छात्रों से मांगनी पड़ रही हैं किताबें
छात्रों का कहना है कि शिक्षकों के पास किताबों के नए सेट प्राप्त होने तक नोट्स लिखने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। कक्षा 8 के एक छात्र अवधेश (बदला हुआ नाम) ने कहा, "हमें कक्षा में अन्य छात्रों के साथ पुरानी किताबें लेनी पड़ीं। हमारे आस-पास कोई किताब नहीं होने के कारण, हम शिक्षकों द्वारा निर्देशित नोट्स पर निर्भर हैं। पुरानी किताबों को सहपाठियों के साथ साझा करके अध्ययन करना वाकई मुश्किल है। हालांकि लखनऊ का यह इकलौता सरकारी स्कूल नहीं है, जिसे किताबें नहीं मिली हैं।
बाकी बची पुस्तकों के वितरण का प्रयास हो रहा
पाठ्य पुस्तक अधिकारी (बेसिक शिक्षा विभाग) श्याम के तिवारी ने कहा कि 11.49 करोड़ पुस्तकों में से 7 करोड़ पुस्तकों का वितरण किया गया है। शेष 4.49 करोड़ पुस्तकें इसी माह भेजने का प्रयास किया जा रहा है। ये किताबें लगभग 1.92 करोड़ छात्रों को दी जानी हैं, जो उत्तर प्रदेश के 1.32 लाख सरकारी स्कूलों में नामांकित हैं। निविदा प्रक्रिया दिसंबर में समय पर शुरू हुई। क्योंकि यू.पी. विधानसभा चुनाव, आदर्श आचार संहिता लागू थी। नई सरकार को कैबिनेट के माध्यम से कुछ निर्णय लेने थे। इसलिए चीजों में देरी हुई।
सितंबर में सीजनल परीक्षा कैसे देंगे छात्र
हालांकि शिक्षकों का दावा है कि अगर हम बच्चों तक पहुंचने वाली किताबों की बात करें तो उनकी संख्या और भी कम है क्योंकि किताबें कई स्कूलों तक नहीं पहुंची हैं। दूसरी ओर अध्यक्ष, यू.पी. प्राथमिक शिक्षक संघ दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा, "हमें अपने स्कूल में कोई किताब नहीं मिली है। पुस्तक के अभाव में हम विद्यार्थियों के सीखने के परिणाम को कैसे सुधार सकते हैं? सितंबर में सीजनल परीक्षा होनी है। कोई भी स्थिति की कल्पना कर सकता है।"
सरकार का दावा- 15 सितंबर तक मिल जाएंगी किताबें
शिक्षकों का दावा है कि अधिकांश अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में आज तक किताबें नहीं पहुंची हैं। अधिकारियों का दावा है कि पुस्तकों के वितरण का कार्य 15 सितंबर तक पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि छात्रों की दलील है कि किताबों के न मिलने से उनकी पढ़ाई बाधित हो रह है और वो अपने नोट्स भी नहीं तैयार कर पा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल ये है कि बच्चों को किताबें कब तक मिलेंगी। शासन में बैठे सूत्रों की माने तो जल्द ही इस कमी को पूरा कर लिया जाएगा।