7 मंत्री फिर भी यूपी को साध नहीं पाई BJP, बेटे को मंत्री न बनाने पर सहयोगी का फूटा गुस्सा, दी खुली चेतावनी
लखनऊ, 8 जुलाई। मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार में जिस एक राज्य का सबसे ज्यादा ख्याल रखा गया वह उत्तर प्रदेश है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने सभी समीकरणों को साधने की कोशिश करते हुए प्रदेश से 7 लोगों को कैबिनेट में जगह दी। बावजूद इसके बीजेपी सभी को साध नहीं सकी और केंद्र और राज्य दोनों जगह सहयोगी निषाद पार्टी ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की है।
'अनुप्रिया को जगह तो प्रवीण क्यों नहीं?'
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद ने अपने बेटे और सांसद प्रवीण निषाद को केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल के दौरान जगह नहीं मिलने पर निराशा जाहिर की है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया है कि जब अपना दल (सोनेलाल) की अनुप्रिया पटेल को जगह मिल सकती है तो फिर प्रवीण निषाद को क्यों बाहर रखा गया है। संजय निषाद ने तो यहां तक कह दिया कि अगर इसका सही हल नहीं निकला तो विधानसभा चुनावों में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
संजय निषाद ने कहा "अगर अपना दल की अनुप्रिया पटेल मंत्रिमंडल में जगह पा सकती हैं तो सांसद प्रवीण निषाद क्यों नहीं? निषाद समुदाय के लोग पहले से ही बीजेपी से नाराज चल रहे हैं, अगर पार्टी अपनी गलतियों को ठीक नहीं करती है तो इसका असर आने वाले विधानसभा चुनावों में पड़ सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रवीण निषाद की लोकप्रियता 160 विधानसभा सीटों पर है जबकि अनुप्रिया पटेल केवल कुछ ही सीटों पर असर रखती हैं।
साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्होंने अपनी बात बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह तक पहुंचाई है। "अब यह तय करने की जिम्मेदारी उनकी है। हालांकि मुझे पूरा विश्वास है कि वे प्रवीण निषाद का पूरा ख्याल करेंगे।"
काफी पहले से एक्टिव हो गए थे संजय निषाद
मंत्रिमंडल में फेरबदल के चर्चा के साथ ही संजय निषाद एक्टिव हो गए थे। वह दिल्ली भी गए थे जहां पर वह जेपी नड्डा और अमित शाह से मिले थे। इस बीच उनके मीडिया में निषाद समाज की नाराजगी को लेकर कुछ बयान भी आए लेकिन पूरी कोशिश के बाद भी प्रवीण निषाद के लिए उन्हें निराशा ही हाथ लगी। यही वजह है कि अब संजय निषाद ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की है।
निषाद या मल्लाह समाज में अपनी मजबूत पकड़ का दावा करने वाली निषाद पार्टी (NISHAD- निर्बल इंडियन शोषित हमारा अपना दल) के वर्तमान में उत्तर प्रदेश विधानसभा में एक विधायक है। संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद संत कबीरनगर से सांसद हैं।
प्रवीण निषाद पहली बार गोरखपुर उपचुनाव में चर्चा में आए थे जब उन्होंने योगी आदित्यनाथ का गढ़ कहे जानी इस सीट से सपा के टिकट पर बीजेपी प्रत्याशी को हरा दिया था। इस उपचुनाव में सपा और बसपा ने महागठबंधन कर चुनाव लड़ा था। गोरखपुर सीट योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने की वजह से खाली हुई थी।
निषाद पार्टी के अगले कदम का इंतजार
2019 के आम चुनाव से पहले निषाद पार्टी ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया और प्रवीण निषाद को संत कबीरनगर से टिकट दिया गया। केंद्र में सरकार बनने के बाद से ही संजय निषाद बेटे के लिए कैबिनेट में जगह दिए जाने की कोशिश में लगे हुए थे। इस बार फेरबदल के बीच उन्होंने उम्मीद जताई थी लेकिन एक बार फिर उन्हें निराशा ही हाथ लगी है।
वह बीजेपी के साथ ही बने रहने की बात करते रहे हैं लेकिन अब ये देखना दिलचस्प होगा कि जगह न मिलने के बाद क्या कदम उठाते हैं। उनका कदम ऐसे में भी महत्वपूर्ण होगा जब सपा के मुखिया अखिलेश यादव कह चुके हैं कि वह छोटी-छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन करेंगे। संजय निषाद पहले भी सपा के साथ रह चुके हैं ऐसे में बीजेपी उन्हें कैसे साधती है ये देखना दिलचस्प होगा।
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