विधानसभा में जिन्होंने दिखाए थे बागी तेवर, निकाय चुनाव में उन्हें बीजेपी ने दी सजा
भारतीय जनता पार्टी ने नगर निगम चुनाव 2017 के लिए इस बार एक नहीं कई ऐसे प्रयोग किए हैं जो पार्टी के समर्थकों को समझ के परे लग रहा हैं।
वाराणसी। बीते विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने भले ही काशी की सभी सीटों पर कब्जा जमा लिया हो लेकिन चुनाव से पहले टिकट बंटवारे के वक्त आरएसएस और पार्टी के शीर्ष नेताओं के बिच कई तरिके से गुजरना पड़ा था। खास कर प्रधानमंत्री के लोकसभा क्षेत्र की इस सीट पर शहर दक्षिणी और उत्तरी के आलावा कैंट विधानसभा क्षेत्र में विरोध के सुर इस पैमाने पर उतरे थे की पोस्टरबाजी से लेकर तत्कालीन दक्षिणी क्षेत्र के विधायक तक ने खुलकर अपना विरोध शीर्ष नेतृत के सामने रख दिया था। यही नहीं उस वक्त यूपी बीजेपी के अध्यक्ष पद पर रहते हुए यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को भी पार्टी ऑफिस लेकर कार्यकर्ता सम्मेलन तक कई जगहों पर विरोधों का सामना करना पड़ा। जिसे उनके सुरक्षा कमी सावधानीपूर्वक निकलकर आगे की ओर ले गए लेकिन बीजेपी ने अपनी पैनी नजर उन सभी बागियों और उनके समर्थकों पर बनाए रखी थी, जिसका प्रमाण है वाराणसी के निकाय चुनाव में पार्टी की ओर से जारी किए गए 84 वॉर्डों की सूची जिसमें बागियों को टिकट नहीं दिया गया। यही नहीं पार्टी ने इसे अनुशासनहीनता मानकर अपने उम्मीदवार तक बदल दिए।
युवाओं और नए चेहरों को दिया गया खास तव्वजों
भारतीय जनता पार्टी ने नगर निगम चुनाव 2017 के लिए इस बार एक नहीं कई ऐसे प्रयोग किए हैं जो पार्टी के समर्थकों को समझ के परे लग रहा हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव के वक्त विरोध का सुर छेड़ने की सजा देख वर्तमान में कोई भी नेता खुलकर कुछ नहीं कहना चाहता लेकिन दबी जुबान में सभी यही मान रहे हैं की विधानसभा चुनाव के वक्त जिन लोगों ने केशव मौर्य के वाराणसी दौरे में अपनी बानगी दिखाई थी, ये सूची उसी का परिणाम है। मसलन जिन 84 पार्षद उम्मीदवारों की पहली लिस्ट कल प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय ने जारी की। उसमे दो दर्जन से ज्यादा ऐसे उम्मीदवार हैं जो युवा होने के साथ ही साथ पार्टी के लिए नए चहरे हैं। यही नहीं जिन दो मुस्लिम महिलाओं को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है, उसे तो ना पार्टी में कोई जानता है और ना ही उनके वॉर्ड में। ये बात जरूर है की अनुभवशाली प्रत्याशियों को भी उन वॉर्डों से नहीं हटाया गया है। वो पार्टी की साख सीटों के साथ-साथ इस बात की गारंटी है की ये सीट उनके उम्मीदवार के बदौलत है।
पार्षदों के टिकट बंटवारे में भी शुरू हुआ विरोध
हालांकि विरोध के सुर निकाय चुनाव में भी थमे नहीं है लेकिन इस बार का विरोध अनुशासनपूर्ण तरीके से यही नहीं, इस बार के विरोध में ऐसा कोई नेता भी इस विरोध में इनका नेतृत्व नहीं कर रहा है। जैसा की विधानसभा चुनाव के वक्त चल रहा था, इस बार लोगों ने वॉर्ड के पार्टी समर्थकों को आगे किया है। जिसका परिणाम है की आज वाराणसी के बीजेपी के गुलाब बाग कार्यालय के बाहर कुछ लोग वॉर्ड नंबर 41 के प्रत्याशी को टिकट देने की बात पर नाराजगी जाहिर करने पहुंचे थे। इन असंतुष्ट समर्थकों ने 'मोदी इंसाफ करो' के नारे से साथ ही ये आरोप लगाया की बाहरी लोगों के कहने पर पैसा लेकर टिकट दिया गया है।
निकाय चुनाव के रास्ते 2019 के लक्ष्य को साधने की है पार्टी की ये तैयारी
दरअसल निकाय चुनाव को पार्टी हल्के में नहीं लेना चाहती है। यही वजह है की टिकट के बंटवारे में कई राउंड बैठक किए जा रहे हैं। जिनमें भाजपा के साथ-साथ आरएसएस के भी कई वरिष्ठ नेता शामिल हो रहे हैं। यही नहीं सूत्रों की माने तो केंद्रीय मंत्री के पद से यूपी का अध्यक्ष बनाए जाने का निर्णय भी डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय को इस कड़ी में है। महेंद्र नाथ पांडेय भले ही बनारस के बगल चंदौली से सांसद हैं पर BHU की राजनीति के साथ ही उनकी बनारस में भी अच्छी पैठ मानी जाती है और निकाय चुनाव में टिकट के बंटवारे का जिम्मा भी महेंद्र नाथ पांडेय के ही कंधों पर है। जिसके लिए निकाय चुनाव में पार्षदों की उम्मीदवारी में भी कदम फूंक-फूंककर रखे जा रहे हैं।
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