अमेठी पहुंच गए हैं अमित शाह तो जानिए क्या है राहुल गांधी पर बीजेपी का चक्रव्यूह?
यही वजह है के कौहार में भगवा रंग में सजे लम्बे चौड़े मंच पर रैली की अध्यक्षता खुद ईरानी कर रही हैं और मंच से मेहमान बनकर शाह और योगी गरजने वाले हैं।
अमेठी। राहुल के संसदीय क्षेत्र अमेठी पहुंचकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कई तीखे हमले किए जिससे राजनीति को आने वाले दिनों में नई दिशा मिलेगी। अमित शाह ने राहुल को विकास ना कर पाने का जिम्मेदार ठहराते हुए बीजेपी को आगे लाने की बात कही है। अमित शाह ने कहा है कि हम 2019 से पहले ही अमेठी को विकास देंगे। शाह का दावा कांग्रेस के युवराज राहुल शाह को राजनीतिक रूप से कमजोर बताना था तो उन्होंने कहा कि विकास बीजेपी बिना पूछे देगी, इसके लिए जनता से ये कहा भी नहीं जाएगा कि हम ये करेंगे, वो करेंगे, अमेठी के लिए बीजेपी अब पूरी तरह तैयार है और यहां विकास करके दिखाएगी।
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कांग्रेस और गांधी परिवार के गढ़ अमेठी के कौहार में पहली बार भगवा रंग में शराबोर बीजेपी का लम्बा चौड़ा मंच सजा था। कहने को ये मंच अमेठी में मोदी सरकार के विकास की योजनाओं के बयार बहाने के लिए पहले ही सजा था, पर यहां जुबानी तीर से राहुल को निशाना बनाया जा रहा था।
लोगों के कयास के मुताबिक 2014 में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की यहां 90 हज़ार से हुई शिकस्त की खाई को भी पाटने की कवायद तेज़ है। शायद यही वजह है के कौहार में भगवा रंग में सजे लम्बे चौड़े मंच पर रैली की अध्यक्षता खुद ईरानी कर रही हैं और मेहमानों के रूप में आए वक्ताओं की फेहरिस्त में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ बीजेपी के दिग्गज ज़िम्मेदार मंत्री माइक पर गर रहे हैं। वहीं खास बात ये होगी की पहली बार यूपी के सीएम और यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अमेठी के लोगों से सीधे तौर पर रुबरु होकर उनमें नई जान फूकेंगे।
*2019 तक अमेठी नहीं छोड़ेगीं ईरानी
आपको बता दें कि अभी इस बात के कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं मिले हैं, इसका सटीक उत्तर तो अमेठी में भगवा रंग से सजे मंच पर बीजेपी के कद्दावर नेता ही देंगे। अगर खुलकर नहीं तो ढके छुपे जुमलों में ही सही मिलेगा। वैसे कुछ हद तक रैली के एक दिन पहले अपने दो दिवसीय दौरे पर पहुंची केंद्रीय मंत्री के क्षेत्र में दौरे और अंत में मीडिया से की गई उनकी बात में जवाब मिला भी है। जिसे देख और सुन कहा जा सकता है कि फिलहाल 2019 तक श्रीमती ईरानी अमेठी को छोड़ने वाली नहीं हैं।
*इन 3 विधानसभाओं पर स्मृति का है फोकस, जानें क्यों?
आपको बता दें कि फिर सभी कामों को निबटा कर वो सलोन में बीजेपी नेता दलजीत सिंह के घर पर गई और यहां रात का भोजन लिया। गौर करने वाली बात ये है कि सोमवार को उन्होंने ज़्यादातर वक़्त सलोन और उसके बाद जगदीशपुर को दिया। इसके पूर्व भी अपने दौरों में श्रीमती ईरानी घूम-फिरकर सलोन, तिलोई और जगदीशपुर में ही अधिक समय गुज़ार रहीं है। उससे भी अधिक ध्यान देने वाला पहलू ये है कि जिन बड़े प्रोजेक को वो अमेठी में ला रहीं हैं उसकी बुनियाद तिलोई आदि इलाकों में ही पड़ रही है। बानगी के तौर पर बीते वर्ष अक्टूबर माह में तिलोई के जायस एरीये में राजीव गांधी पेट्रोलियम संस्थान को ही ले लिया जाए। ऐसे ही बहुतेरी विकास योजनाएँ हैं।
*मुस्लिम वोटों को साधने के लिए मोहसिन रज़ा को दिया अमेठी का प्रभार
दरअसल जानकार बताते हैं इसका मूल कारण ये है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में कम समय में भी उन्होंने अमेठी के युवराज राहुल गांधी के मुकाबले में 3 लाख के क़रीब वोट हासिल किए थे। जिसमें अमेठी, गौरीगंज से उनको काफी अच्छा रिस्पांस मिला था, उनका जो वीक ज़ोन था वो तिलोई और जगदीशपुर रहा इसलिए इस बार उनका यहां फोकस ज़्यादा है। उसकी बड़ी वजह ये है के ये विधानसभा इलाके मुस्लिम बाहुल्य हैं जिसको कैप्चर करने के लिए बीजेपी ने मोहसिन रज़ा को अमेठी का प्रभारी बनाकर इस वोट को बीजेपी के पाले में खैंचने का जिम्मा सौंपा है।
*युवाओं में राहुल-प्रियंका के गिरता तो स्मृति का बढ़ता ग्लैमर
यहां बता दें कि बीजेपी की इस रैली से ठीक पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का दौरा भले ही रूटीन दौरा माना जा रहा हो, लेकिन सच तो ये है के वो कुछ हद तक स्थित को भांप गए थे और इसीलिए आनन-फानन में अमेठी आए। पहली अहम वजह ये कि जिस अमेठी में गाँधी परिवार ख़ास तौर पर राहुल-प्रियंका ग्लैमर था उसमें अब काफी कमी आ चुकी है। पुराने और बूढे हो चलें लोग भले ही आज भी इन्हें तवज्जो देते हों लेकिन के युवाओं में राहुल के मुकाबले स्मृति का ग्लैमर अधिक छा चुका है। खुद इस चीज़ को 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गाँधी ने क़रीब से भी देखा, और यही वजह रही के इलेक्शन से दो दिन पहले तक उन्होंने भाई को जिताने के लिए अमेठी में पड़ाव डालकर पहले के चुनाव की अपेक्षा कई गुना ज़्यादा नुक्कड़ सभाएँ की तो कहीं जाकर राहुल को 4 लाख के ऊपर वोट मिलें। इस पर गहन मंत्रणा करके 2019 के लिए बीजेपी खासकर स्मृति अभी से सारे जतन कर रही है, और ऐसे में कांग्रेस का पार पाना अब और भी मुश्किल दिखता है।
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