बिना FIR लॉकअप में बंद अस्थमा का मरीज मांगता रहा पंप, पुलिस ने किया अनसुना तो टूटा दम
सूरत. गुजरात में सूरत के पांडेसरा थाने में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक युवक को पुलिस ने बिना एफआईआर दर्ज किए ही लॉकअप में बंद कर दिया। वह युवक अस्थमा से पीड़ित था। उसे सांस के लिए पंप की जरूरत हुई, लेकिन पुलिस ने उसकी मांग को अनसुना कर दिया। जिसके चलते युवक की लॉकअप में ही मौत हो गई। पता चला है कि, उस युवक को रातभर अस्थमा के अटैक हुए थे, लेकिन सिपाहियों का दिल नहीं पसीजा।
'लॉकअप के अंदर ही उसकी मौत हो गई'
मृतक के परिजनों ने बेटे की मौत के लिए पुलिस को दोषी ठहराया है। संवाददाता के अनुसार, इलाके में दो परिवारों के बीच किसी बात पर आपसी झगड़ा हुआ था। जिसके बाद पुलिस ने कुछ लोगों को पकड़कर लॉकअप में डाल दिया था। उन्हीं में एक अस्थमा का मरीज था। उसने बार-बार पुलिस को कहा था कि वो अस्थमा का पेशेंट है, उसे यहां न रखें। मगर, पुलिस ने उसकी एक न सुनी। रातभर वह परेशान रहा और सुबह तक लॉकअप के अंदर ही उसकी मौत हो गई।
'बिना कोई FIR दर्ज किए सभी को लॉकअप में डाल दिया था'
वहीं, अपने बचाव में आरोपी पुलिसकर्मियों ने तर्क दिए कि जब युवक की तबियत खराब हुई तो उसे इलाज के लिए ले गए थे। मगर, इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। जबकि, मृतक के साथ जेल में बंद उसके भाई ने कहा कि, एंबुलेंस जब तक बुलाई गई, तब तक तो मरीज की मौत हो गई थी। सबके बीच यह भी आरोप हैं कि पुलिस ने उसको छोड़ने के लिए दो हजार रुपए मांगे थे और रुपये नहीं मिलने के कारण बिना कोई FIR दर्ज किए सभी को थाने के लॉकअप में डाल दिया गया था।
राकेश ने 100 नंबर डायल कर पुलिस बुला ली थी
मृतक के परिजनों ने युवक की लाश लेने से मना कर दिया और उच्चाधिकारियों से शिकायत की। अब पुलिस के आला अधिकारी मामले की जांच में जुटे हैं। घटना के बारे में सामने आया है कि, होली की रात पांडेसरा के बालाजी नगर में रहनेवाले विमल त्रिभुवन यादव और राकेश कुमार बिंद के बीच विवाद हुआ। मामला बढ़ा तो राकेश ने 100 नंबर डायल कर पुलिस बुला ली। पीसीआर नंबर 41 से संजय रणछोड़ और गुलाब नामक पुलिसकर्मी मौके पर आए और विमल त्रिभुवन यादव, भाई विनय यादव और पिता त्रिभुवन यादव को अपने साथ थाने ले गए। साथ ही शिकायतकर्ता राकेश को भी थाने बुलाया था। वहां इन दोनों का पक्ष सुनने के बाद पुलिस ने विमल, विनय और त्रिभुवन को दो-दो थप्पड़ मारकर लॉकअप में डाल दिया। बाद में उनके परिवार के अन्य लोग भी आए और तीनों को छोड़ने का अनुरोध करते रहे।
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