कुंबले के बाद दूसरा ऐसा स्पिनर, आ रहा है वर्ल्ड कप, 'वो साबित होगा भारत का ट्रंप कार्ड'
नई दिल्ली, 22 जून: पूर्व भारतीय बल्लेबाजी कोच संजय बांगर को लगता है कि लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल आस्ट्रेलिया में होने वाले T20 वर्ल्ड कप में भारत के ट्रंप कार्ड के तौर पर उभर सकते हैं। चयनकर्ताओं ने पिछले साल आईसीसी इवेंट में युजवेंद्र चहल को नहीं लेने का फैसला किया था और यह टीम इंडिया के लिए काफी घातक साबित हुआ था क्योंकि वह सेमीफाइनल मुकाबले में भी पहुंच नहीं पाए थे।
भारत के लिए सबसे ज्यादा विकेट चटकाने वाले गेंदबाज
हालांकि कलाई के इस स्पिनर ने उसके बाद वापसी की और इस साल आईपीएल में अपनी प्रतिभा को फिर से दुनिया के सामने पेश किया जहां पर उन्होंने 27 विकेट चटकाते हुए पर्पल कैप भी जीती। 31 साल के चहल T20 इंटरनेशनल में भारत के लिए सबसे ज्यादा विकेट चटकाने वाले गेंदबाज हैं और हाल ही में उनकी जिस तरह की परफॉर्मेंस रही है उसके हिसाब से वह टी-20 वर्ल्ड कप में जगह बनाने के भी पक्के दावेदार हैं।
हमने पिछले वर्ल्ड कप में मिस किया था
चहल ने हाल ही में संपन्न हुई सीरीज में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 6 विकेट चटकाए थे। बांगर का मानना है कि पिछले साल संयुक्त अरब अमीरात में हुए टी-20 वर्ल्ड कप में चहल को नहीं लेकर जाना मेन इन ब्लू के लिए एक खराब बात साबित हुई थी। बांगर ने स्टार स्पोर्ट्स पर बातचीत करते हुए कहा, चहल ऐसे खिलाड़ी हैं जिनको हमने पिछले वर्ल्ड कप में मिस किया था। वे ऑस्ट्रेलिया में निश्चित तौर पर ट्रम्कार्ड के तौर पर उतरेंगे और भारतीय टीम को अच्छी सफलता दिलाएंगे।
अनिल कुंबले के बाद चहल ऐसे स्पिनर हैं
बांगर यह भी कहते हैं कि अनिल कुंबले के बाद चहल ऐसे स्पिनर हैं जो लगातार भारत के लिए निरंतरता दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा, "अगर भारत के लिए सबसे लंबे समय तक खेलने की बात है तो लेग स्पिनर के तौर पर अनिल कुंबले खेले हैं। उसके बाद अगर कोई कलाई का स्पिनर टीम इंडिया के लिए लगातार लंबे समय तक खेल पा रहा है तो वह युजवेंद्र चहल हैं।" बांगर ने यह भी कहा की एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेलना चहल के लिए अच्छा साबित हुआ क्योंकि वे अपने अधिकतर मुकाबले यहां अपनी पुरानी फ्रेंचाइजी रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के साथ खेले थे।
चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेलकर मजूबत बने चहल
बांगर कहते हैं, "इस मैदान पर आपको बहुत बड़ा दिल चाहिए। आप जब छक्के के लिए जाते हैं तो सीखते हैं और बार-बार अपनी पिटाई से भयभीत नहीं होते तब आप समझ जाते हैं कि कैसे गेंदबाजी करनी है। चहल ने अपनी सीम पोजीशन में भी थोड़ा बदलाव किया है वे अलग-अलग लाइन पर गेंदबाजी कर रहे हैं और यह उनकी ताकत रही है। उन्होंने अपने गेम में काफी सुधार किया है जिसमें दाएं-बाएं हाथ के बल्लेबाजों को वाइड लाइन पर गेंदबाजी करना भी शामिल है। इस तरह की चीजें आप केवल तभी सीख सकते हैं जब चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले।"
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