'उम्र की दकियानूसी में भूल गए लोग', अब विदेश में खेलना चाहता है 38 साल का ये बेजोड़ भारतीय ओपनर
भारत के लिए जबरदस्त ओपनर के तौर पर काम कर चुका ये क्रिकेटर कहता है- 30 की उम्र के बाद भारत में मानों बैन सा लग जाता है। मुझे लगता है हम लोगों को 80 साल के बूढ़े की तरह देखा जाता हैं
अगर आपको भारत का 2014 में किया गया इंग्लैंड दौरा याद है तो यह भी पता होगा कि इसको विराट कोहली के करियर की सबसे खराब सीरीज कहा जाता है क्योंकि यह एक टेस्ट सीरीज थी जहां पर विराट कोहली जेम्स एंडरसन की गेंद का कोई उपाय नहीं खोज सके और बार-बार आउट हुए। विराट कोहली उस समय एक बेहतरीन बल्लेबाज के तौर पर पहचान बनाते जा रहे थे लेकिन इंग्लैंड की स्विंग लेती पिचों पर उनकी तकनीक ऑफ स्टंप को छोड़ती हुई गेंदों के सामने खुल गई। उसी समय भारतीय टीम में एक ओपनिंग बल्लेबाज थे मुरली विजय जिन्होंने उस श्रंखला में 1000 से ज्यादा गेंदों का सामना किया था।
बेजोड़ तकनीक और मजबूत मानसिकता
किसी बेजोड़ तकनीक और मजबूत मानसिकता के बिना ऐसा करना संभव नहीं है और धीरे-धीरे मुरली विजय भारतीय क्रिकेट के सीन से पूरी तरह गायब हो होते गए। समय के साथ इतने ट्विस्ट एंड टर्न आए कि फैंस के लिए विजय भारतीय क्रिकेट के अघोषित खलनायक भी हैं क्योंकि उन्होंने दिनेश कार्तिक की पत्नी के साथ जिस तरीके से प्रेम प्रसंग किया और बाद में उनसे शादी की वह आज भी भारतीय क्रिकेट के सबसे चर्चित ऑफ द फील्ड केस में एक है जिसके लिए दिनेश कार्तिक को हीरो और मुरली विजय को विलेन माना जाता है।
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अब कोई चांस नहीं है
खैर इन किस्सों को पूरी तरह साइड में रखते हुए हम मुरली विजय की बतौर ओपनर तकनीकी क्षमता को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। मुरली विजय की काबिलियत का संदर्भ भारत के 2014 इंग्लैंड दौरे से दिया गया है जहां विजय ने अपने द्वारा खेली गई 40 प्रतिशत गेंदों को छोड़ा था। उनको पता था ऑफ स्टंप कहां पर है और वह श्रंखला आज भी टेस्ट क्रिकेट में ओपनिंग बल्लेबाज के तौर पर एक स्टैंडर्ड बनी हुई है। मुरली विजय ने 2018 में आस्ट्रेलिया के दौरे पर अपना अंतिम मैच पर्थ में भारत के लिए खेला है और अब कोई चांस नहीं है कि वे टीम में जगह बना पाएंगे।
दुर्गति के जिम्मेदार खुद भी हैं मुरली विजय
ऐसा नहीं कि मुरली विजय खुद अपनी दुर्गति के जिम्मेदार नहीं है क्योंकि उन्होंने भी लगातार खराब फॉर्म का प्रदर्शन किया और टीम इंडिया से बाहर जाने के बाद फिर कभी वापसी करते हुए दिखाई भी नहीं दिए। यहां तक कि रणजी ट्रॉफी में भी उन्होंने तमिलनाडु के लिए मुकाबला 2019 में खेला था। उन्होंने पिछले साल तमिलनाडु प्रीमियर लीग में हिस्सा लिया और उसके बाद प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में भाग नहीं लेते हैं। यह खिलाड़ी 38 साल का हो चुका है और क्रिकेट में वापसी की ललक उम्र के बढ़ने पर भी कम नहीं हुई है लेकिन विजय मानते हैं कि बीसीसीआई के चलते उम्र के इस दौर में वापसी करना संभव नहीं है।
बीसीसीआई पर तंज भी कसा है
उन्होंने बीसीसीआई पर एक तंज कसा है और कहा है कि वे विदेशों में जाकर अपने अवसरों को तलाश रहे हैं। विजय ने स्पोर्टस्टार के एक शो पर डब्ल्यू वी रमन से बात करते हुए कहा कि बीसीसीआई के साथ बस मेरा जो होना था हो चुका है और अब मैं बाहर अवसरों को तलाश रहा हूं। मैं अभी भी थोड़ा बहुत क्रिकेट खेलना चाहता हूं। दाएं हाथ का ये बल्लेबाज इंग्लैंड के लिए एसेक्स में काउंटी क्रिकेट खेल चुका है और उन्होंने वहां परर बढ़िया प्रदर्शन भी किया था। भारत के लिए 61 टेस्ट मैचों में 3928 रन बनाने वाले मुरली विजय ने 17 वनडे इंटरनेशनल मैच भी खेले और उनको लगता है कि खिलाड़ियों की बढ़ती उम्र पर लोगों की जो मानसिकता है बनी हुई है उसमें बदलाव आना चाहिए।
हम लोगों को 80 साल के बूढ़े की तरह देखा जाता हैं
विजय आगे कहते हैं, 30 की उम्र के बाद भारत में मानों बैन सा लग जाता है। मुझे लगता है हम लोगों को 80 साल के बूढ़े की तरह देखा जाता हैं। मीडिया को भी इस बारे में ध्यान देना चाहिए। मुझे लगता है कि 30 की उम्र में तो आप अपने चरम पर होते हैं। अभी भी यहां बैठे हुए मैं कह सकता हूं कि अपने बेस्ट अंदाज में बल्लेबाजी करने के लिए तैयार हूं। लेकिन दुर्भाग्य से अवसर कम हैं और मुझे अपनी चांस को तलाशने के लिए बाहर का रुख करना पड़ेगा। ईमानदारी से कहूं तो एक इंसान के तौर पर आप वही कर सकते हैं जो आपके हाथ में हैं। जो आपके नियंत्रण में ही नहीं है उसको आप कंट्रोल नहीं कर सकते। जो होना था वह हो चुका है।
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