नए साल ने फिर दिया वैसा ही 'धोखा', SCG में पहले भारत और अब अंग्रेजों के सामने हाथ मलते रह गए कंगारू
नई दिल्लीः सिडनी क्रिकेट ग्राउंड ने लगातार दो नए सालों में ऐसा नतीजा दिया है जिसको गजब का इत्तेफाक कहा जा सकता है। इस मैदान में जरूर कुछ खास हो रहा है जो टेस्ट क्रिकेट को जिंदा रखने का काम कर रहा है। अगर आपको याद हो तो पिछले साल की शुरुआत में भारत ने सिडनी में जो टेस्ट मैच रविचंद्रन अश्विन और हनुमा विहारी की बैटिंग के दम पर ड्रा किया था वह सिडनी में ही हुआ था। कंगारू हाथ मलते रह गए थे और भारत को जीत सरीखा ड्रा हासिल हुआ था।
सिडनी टेस्ट कंगारूओं को फिर दर्द दे गया-
अब एक और नए साल पर ऑस्ट्रेलिया ने सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में इंग्लैंड के खिलाफ एशेज का मुकाबला खेला जो बड़ा ही रोमांचक साबित हुआ लेकिन एक बार फिर से ऑस्ट्रेलिया को जीत नहीं मिली क्योंकि यह मुकाबला भी ड्रा हुआ। इस रोमांचक ड्रा ने यह एक बार फिर साबित कर दिया कि टेस्ट क्रिकेट जैसा वाकई में अभी भी कोई दूसरा रोमांच नहीं है।
खास बात यह है कि ये मैदान तो ऑस्ट्रेलिया का है लेकिन पिछले दो नतीजे इसने विदेशी टीमों के फेवर में दिए हैं। इस मैदान ने अपनी घरेलू टीम को तब जीत के लिए तड़पा दिया जब कंगारू पूरी जान झोंकते हुए विरोधियों को बस पस्त कर चुके थे लेकिन किसी तरह ताबूत में आखिरी कील ठोकी जानी बाकी थी।
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इस बार इंग्लैंड ने छीन ली जीत, कर दिया मैच ड्रा-
इस बार एशेज में अंग्रेजों ने वह ड्रा हासिल कर लिया जो पांचवे दिन एक समय बड़ा ही मुश्किल नजर आने लगा था। पहले जॉनी बेयरस्टो ने कोशिश की, फिर जैक लीच टिके और अंत में स्टुअर्ट ब्रॉड ने खूंटा गाड़ दिया। आखिरी ओवर जेम्स एंडरसन ने निकाल दिया। कुल मिलाकर इंग्लैंड के 9 विकेट गिर चुके थे लेकिन ऑस्ट्रेलिया विजेता बनाने वाला यह एक विकेट नहीं ले पाया। उन्होंने 9 विकेट जब गिराए तब भी 12 गेंदों का फेंका जाना बाकी था और क्रीज पर ब्रॉड और एंडरसन जैसे पुराने भरोसेमंद दोस्त साथ थे।
इंग्लैंड को इस मैदान पर जीत के लिए 388 रनों का टारगेट मिला था। इसी मैदान पर पिछले साल की शुरुआत में पंत ने 118 गेंदों पर 97 रनों की पारी खेल डाली थी लेकिन वे दूसरी नई गेंद लेने से पहले नाथन लियोन की गेंद पर आउट हो गए थे। तब रवि शास्त्री ने कहा था कि पंत आउट ना होते तो भारत सिडनी का मुकाबला भी जीत जाता। तब पंत की फॉर्म देखते हुए यह बात बिल्कुल सच लगती है।
भारत ने जो किया था उसकी मिसाल कायम है-
इंग्लैंड के विपरीत भारत तब जीत की स्थिति में भी था लेकिन आर अश्विन और हनुमा विहारी चोटिल थे और दोनों को मैच जिताने के बजाए मैच बचाने वाली बल्लेबाजी करनी पड़ी। दोनों ने 48.4 ओवर तक आपस में बैटिंग की और मैच को ड्रा करा लिया। ऑस्ट्रेलिया का पेस अटैक हाथ मलता रह गया। भारत को इस ड्रा के बाद ऊंचा मनोबल मिला क्योंकि वे पहले ही मेलबर्न में जीत दर्ज कर चुके थे। फिर चौथा टेस्ट मैच गाबा में जीतकर भारत ने जो किया वह क्रिकेट इतिहास में किसी अजूबे की तरह दर्ज है।
दूसरी ओर इंग्लैंड की टीम कभी भी जीत दर्ज करती हुई दिखाई नहीं लेकिन वह हारती जरूर दिख रही थी। तो सिडनी के ये दो ड्रा कंगारूओं को झटका देने वाले और विपक्षी टीम का हौसला बढ़ाने वाले साबित हुए हैं। देखना होगा कि अग्रेंज टीम पांचवे टेस्ट मैच में इस ड्रा से मिले कॉन्फिडेंस को कितना भुना पाते हैं।