तीन तलाक बिल संसद में पेश होने पर देवबंदी उलेमा खफा, कहा- नहीं मानेंगे कानून
saharanpur news, सहारनपुर। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के विरोध के बावजूद संसद के शीत सत्र में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2018 पेश कर दिया गया है। संसद में विधेयक पेश होने पर देवबंदी उलेमा व मुस्लिम महिलाओं ने कड़ा रोष व्यक्त किया है।
फतवा ऑन लाइन के प्रभारी मुफ्ती अरशद फारुकी व तंजीम अब्नाए दारुल उलूम के अध्यक्ष मुफ्ती यादे इलाही कासमी ने कहा कि मुस्लिम समाज तीन तलाक का विरोध करता है। लेकिन जबरन शरीयत में हस्तक्षेप बरदाश्त नहीं है। कहा कि सरकार देश के दूसरे गम्भीर मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए जनता को मुसलमान व इस्लाम से जुड़े मुद्दों पर अटका के रखना चाहती है। उन्होंने दो टूक कहा कि शरीयत इस्लाम में तीन तलाक का प्रावधान है। मुस्लिम समाज उलेमा की सहमति के बगैर बनाए गए तलाक के खिलाफ कानून को नहीं मानेगा। कहा कि देश के संविधान ने मुसलमानों को पर्सनल लॉ के तहत जीने का अधिकार दिया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम महिला मजलिस की अध्यक्षा सबा हसीब सिद्दीकी व मदरसा जामिया इल्हामिया लिलबनात की प्रबंधिका आपा खुर्शीदा ने संसद में पेश किये गए विधेयक पर कहा कि मुसलमान कुरान और हदीस के आदेशानुसार अपनी जिंदगी गुजारते हैं। शरई मसलों में हस्तक्षेप या बदलाव किसी कीमत पर कुबूल नहीं किया जा सकता है। कहा कि साजिश के तहत तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाकर सरकार मुसलमानों पर यह इल्जाम लगाना चाहती है कि देश का मुसलमान देश के कानून को नहीं मानता है। उन्होंने दो टूक कहा कि सरकार के इस विधेयक को देश की 99 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम महिलाएं नहीं मानेगी। क्योंकि मुस्लिम महिलाएं पहले ही हस्ताक्षर अभियान में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ होने की बात दुनिया को बता चुकी हैं।
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