क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

36 प्रतिशत हिंदुओं को मंजूर नहीं मुस्लिम पड़ोसीः प्यू रिसर्च सेंटर

Google Oneindia News

नई दिल्ली, 30 जून। मंगलवार को जारी प्यू रिसर्च सेंटर की एक शोध रिपोर्ट 30 हजार लोगों से हुई बातचीत पर आधारित है. 2019 के आखिरी और 2020 के शुरुआती महीनों में यानी कोविड महामारी की शुरुआत से कुछ पहले यह अध्ययन 17 भाषाओं के लोगों के बीच किया गया था. सर्वे के मुताबिक ज्यादातर लोगों ने कहा कि वे अपने अपने धर्मों के पालन को लेकर स्वतंत्र हैं.

religion in india tolerance and segregation pew research centre

रिपोर्ट कहती है, "ज्यादातर लोग कहते हैं कि सभी धर्मों के लोगों के लिए 'सच्चा भारतीय' होना सबसे जरूरी है और सहनशीलता धार्मिक और नागिरक सिद्धांत है. भारतीय लोग इस बात को लेकर एकमतत हैं कि एक दूसरे के धर्मों का सम्मान बहुत जरूरी है."

समानताएं

विभिन्न धर्मों के लोगों से जब एक जैसे सवाल पूछे गए तो कुछ सवालों के जवाब एक जैसे मिले. जैसे कि...

77 प्रतिशत हिंदू और लगभग इतने ही मुस्लिम कर्मफल में यकीन करते हैं.

33 प्रतिशत भारतीय ईसाई गंगाजल की पवित्र करने की शक्ति को मानते हैं. हिदुओं में यह संख्या 81 प्रतिशत है.

उत्तर भारत में 12 प्रतिशत हिंदू, 10 प्रतिशत सिख और 37 प्रतिशत मुस्लिम सूफीज्म में यकीन करते हैं.

सभी धर्मों के ज्यादातर लोग कहते हैं कि बुजुर्गों का सम्मान करना बहुत जरूरी है.

विभिन्नताएं

भारत में आम जनजीवन में बहुत सी समानताओं के बावजूद इस अध्ययन में धार्मिक समूहों के बीच कई विभिन्नताएं बहुत स्पष्ट तौर पर उभर कर सामने आई हैं. मसलन, बड़े धर्मों के ज्यादातर लोग कहते हैं कि उनका धर्म दूसरे से अलग है.

66 फीसदी हिंदू कहते हैं कि उनका धर्म इस्लाम से एकदम अलग है. 64 प्रतिशत मुसलमान भी ऐसा ही मानते हैं.

हालांकि दो तिहाई जैन और लगभग 50 प्रतिशत सिख कहते हैं कि हिंदू धर्म के साथ उनकी बहुत समानताएं हैं.

सामाजिक संपर्क

सर्वे में शामिल ज्यादातर हिंदुओं ने कहा कि उनके दोस्त भी हिंदू हैं. वैसे, यही स्थिति कमोबेश बाकी धर्म के लोगों भी हैं. लेकिन कम लोगों ने कहा कि वे दूसरे धर्मों के लोगों को अपने घरों और गांवों में आने भी नहीं देना चाहते. 45 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे दूसरे धर्म के लोगों को अपने घरों या गांवों में आने से नाखुश होंगे.

पर जब एक खास धर्म के बारे में पूछा गया तो स्थिति कुछ अलग थी. करीब एक तिहाई हिंदू (36 प्रतिशत) कहते हैं कि उन्हें मुस्लिम पड़ोसी स्वीकार नहीं. जैन धर्म के लोगों में यह संख्या 54 प्रतिशत है जो मुसलमान पड़ोसी नहीं चाहते. जबकि हिंदू पड़ोसी के लिए 92 प्रतिशत जैनियों को कोई दिक्कत नहीं थी.

तस्वीरों मेंः किस धर्म में क्या खाने पर पाबंदी

लेकिन मुसलमानों में हिंदू पड़ोसी को लेकर आपत्ति कम थी. सिर्फ 16 प्रतिशत मुसलमानों ने कहा कि उन्हें हिंदू पड़ोसी स्वीकार नहीं होगा.

विभिन्न धर्मो के बीच विवाह

भारत में विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच होने वाली शादियां विवाद का विषय रही हैं. प्यू रिसर्च के सर्वे में यह बात सामने आई है कि ज्यादातर धर्मों के लोग एक दूसरे के धर्म में शादियों के खिलाफ हैं. 67 प्रतिशत आबादी कहती है कि औरतों को दूसरे धर्मों में शादी से रोका जाना चाहिए.

67 प्रतिशत हिंदू, 80 प्रतिशत मुसलमान और 66 प्रतिशत जैन कहते हैं कि उनके धर्म की औरतों को दूसरे धर्मों में शादी करने से रोका जाना चाहिए. 59 फीसदी सिख, 46 फीसदी सिख और 37 ईसाई भी ऐसा ही सोचते हैं.

पुरुषों को दूसरे धर्म में शादी करने से रोकने वाले वाले भी कम नहीं हैं. 65 प्रतिशत आबादी कहती है कि पुरुषों को रोका जाना चाहिए. इनमें सबसे ज्यादा मुस्लिम हैं जिनकी संख्या 76 प्रतिशत है. 65 प्रतिशत हिंदू भी ऐसी ही मानते हैं.

Source: DW

Comments
English summary
religion in india tolerance and segregation pew research centre
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X