महेंद्र प्रताप सिंह भाटी : RAS अफसर का सेना में लेफ्टिनेंट पद पर चयन, राजस्थान का पहला मामला
बाड़मेर। राजस्थान के बाड़मेर जिले के गिराब निवासी और वरिष्ठ आरएएस अधिकारी महेन्द्र प्रताप सिंह भाटी अब शीघ्र ही सेना की वर्दी में नजर आएंगे। भाटी संभवतया राजस्थान के पहले प्रशासनिक अधिकारी हैं, जो राज्य प्रशासनिक सेवा में रहते हुए सेना से जुड़ेंगे। भाटी का चयन प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट पद पर हुआ है। खास बात यह है कि पूरे देश में मात्र 12 लोगों का ही इस पद पर चयन हुआ है, जिसमें से भाटी भी एक हैं।
इसी सेना का हिस्सा हैं धोनी भी
गौरतलब है कि प्रादेशिक सेना में क्रिकेटर कपिल देव, महेंद्र सिंह धोनी, राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट जैसे लोग भी सेवाएं दे रहे हैं। महेंद्र प्रताप सिंह भाटी बाड़मेर जिले के बॉर्डर इलाके के गांव गिराब के रहने वाले हैं। उनके पिता भोमसिंह किसान हैं।
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2011 में आठवीं रैंक पाकर बने आरएएस
महेंद्र प्रताप सिंह भाटी का वर्ष 2011 में आरएएस में आठवीं रैंक पर चयन हुआ था। वे वर्तमान में चाइल्ड राइट प्रोटेक्शन कमीशन राजस्थान में डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर कार्यरत हैं। भाटी का इससे पहले बीएसएफ में सहायक कमाडेंट, राजस्थान पुलिस में एसआई व केन्द्र में आईबी में चयन हो चुका है। भाटी ने आईआईएम बंगलूरू से इंटरनेशनल मोनेटरी फंड में डिप्लोमा कोर्स किया है। वहीं, वे आरएएस एसोसिएशन के सचिव भी हैं।
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डेढ़ लाख में से सिर्फ 12 का चयन
प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट पर चयन के लिए परीक्षा का आयोजन हुआ था, जिसमें डेढ़ लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे। 850 का चयन साक्षात्कार के लिए हुआ। साक्षात्कार के बाद भाटी समेत महज 12 लोगों का चयन प्रादेशिक सेना में हुआ है। अब आईएमए देहरादून में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद नवम्बर-दिसम्बर में देवलाली महाराष्ट्र में फिनिशिंग कोर्स होगा।
जब बॉर्डर के गांव में पहुंचाई मदद
महेंद्र प्रताप सिंह भाटी अक्सर अपने काम को लेकर चर्चा में भी रहते हैं। कोरोना संक्रमण के चलते देशभर में लॉकडाउन लागू हुआ तब जयपुर में बैठे-बैठे भाटी ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर बाड़मेर जिले गडरारोड तहसील के गांव में कैंसर पीड़ित महिला तक मदद पहुंचाकर उसे इलाके के लिए जोधपुर एम्स में पहुंचाया था। तब भाटी जयपुर में परिवहन मुख्यालय में उपायुक्त पद पर कार्यरत थे।
अनजान नंबर से आया था फोन
हुआ यूं कि था कि भाटी के पास 12 अप्रैल 2020 को अनजान नंबर से फोन आया। फोन करने वाले अपनी पत्नी को ब्रेस्ट कैंसर बताते हुए मदद की गुहार लगाई। महिला की बायोप्सी रिपोर्ट आने पर उसे जल्द ही सर्जरी या कीमो थैरेपी करवाने की दरकार थी, मगर उस समय लॉकडाउन के चलते उनका बाड़मेर के गांव से जोधपुर एम्स तक पहुंचना मुश्किल हो रहा था।
बाड़मेर डीटीओ से भिजवाई गाड़ी
इसके बाद भाटी ने अपने स्तर पर जोधपुर एम्स के मुख्य प्रशासक एनआर बिश्नोई व डिप्टी सुप्रीडेंट डॉ. नवीन दत्त से बात कर उन्हें पूरा मामला बताया। तब कोविड-19 के चलते एम्स में सिर्फ आपातकालीन केस लेने का ही प्रोटोकॉल था। भाटी ने एम्स प्रबंधन को कैंसर पीड़ित महिला की मदद को राजी किया। फिर बाड़मेर डीटीओ के माध्यम से महिला के घर गाड़ी भिजवाई गई, जिसमें उसे जोधपुर एम्स लाया गया। यहां पर भाटी के कहने पर आरटीओ इंस्पेक्टर अपनी टीम के साथ पहले से ही मौजूद थे। उन्होंने तुरंत सारी औपचारिकताएं पूरी की। फिर एम्स के चार डॉक्टरों ने महिला की कीमो थैरिपी की, जिससे महिला को नया जीवन मिला।
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