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क्या कांग्रेस छोड़ देंगे सचिन पायलट? चुनाव से पहले ही पार्टी पर उठाए सवाल

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नई दिल्ली, 02 जून। अगले एक साल में कई अहम राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं, गुजरात, हिमाचल प्रदेश में इसी साल चुनाव होना है जबकि कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना जैसे अहम राज्यों में अगले साल चुनाव होने हैं। तेलंगाना को छोड़ दें तो बाकी के राज्यों में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ही मुख्य दल हैं। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है, ऐसे में पार्टी एक बार फिर से इन राज्यों में अपनी सरकार को बचाने की कोशिश करेगी। इसके अलावा कुछ अन्य नेताओं की बात करें तो आरपीएन सिंह, अश्विनी कुमार ने भी पार्टी को छोड़ दिया था लेकिन पिछले कुछ समय में जिस तरह से पार्टी के एक-एक करके बड़े नेता साथ छोड़ रहे हैं, वह कांग्रेस पार्टी के लिए मुश्किल जरूर खड़ी कर सकती है।

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पार्टी के दिग्गज नेता छोड़ रहे साथ

पार्टी के दिग्गज नेता छोड़ रहे साथ

पिछले महीने राजस्थान में कांग्रेस पार्टी का चिंतन शिविर हुआ जिसमे पिछले विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार को लेकर मंथन किया गया साथ ही पार्टी के भीतर किस तरह से संगठनात्मक बदलाव किए जाए इसको लेकर चर्चा हुई। लेकिन इस बैठक के नतीजे कुछ खास नहीं निकले और बैठक के बाद पार्टी के दो बड़े नेताओं ने साथ छोड़ दिया। कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने पार्टी से इस्तीफा देकर निर्दलीय राज्यसभा के लिए नामांकन दायर किया, इसमे सपा ने उनका साथ दिया। वहीं गुजरात के बड़े पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने भी पार्टी का साथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है।

 पंजाब में बुरा हाल

पंजाब में बुरा हाल

हाल ही में पंजाब विधानसभा चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा उसकी सबसे बड़ी वजह पार्टी के भीतर फूट थी। नवजोत सिंह सिद्धू के बगावती सुरों के चलते ना सिर्फ कैप्टन अमरिंदर सिंह को कुर्सी छोड़नी पड़ी बल्कि उन्होंने पार्टी को ही नमस्ते कर दिया। यही हीं प्रदेश में नवजोत सिंह सिद्ध और चरणजीत सिंह चन्नी को भी हार का मुंह देखना पड़ा। इस हार के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया। पंजाब में पार्टी की अंदरूनी कलह कांग्रेस को ले डूबी और कुछ ऐसा ही हाल गुजरात में भी देखने को मिल रहा है।

 गुजरात में पार्टी को झटका

गुजरात में पार्टी को झटका

गुजरात में तकरीबन दो दशक से सत्ता से बाहर कांग्रेस को बड़ा झटका हार्दिक पटेल ने दिया। हार्दिक पटेल ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़ा करते हुए इस्तीफा दे दिया और भाजपा का हाथ थाम लिया। ऐसे में देखने वाली बात यह है कि कहीं गुजरात में भी कांग्रेस पार्टी को पंजाब जैसी अंदरूनी कलह का सामना नहीं करना पड़े। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी ने पहले ही प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है, खुद पीएम मोदी और अमित शाह यहां का दौरा कर रहे हैं,तो दूसरी तरफ कांग्रेस की प्रदेश में चुनावी रणनीति का कोई अता-पता नहीं है।

राजस्थान में भी सबकुछ ठीक नहीं

राजस्थान में भी सबकुछ ठीक नहीं

बात अगर राजस्थान की करें तो यहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच कहासुनी पहले भी सामने आ चुकी है। माना जा रहा था कि सचिन पायलट को पार्टी प्रदेश का मुख्यमंत्री बना सकती है लेकिन इससे इतर पार्टी ने अनुभवी अशोक गहलोत पर भरोसा जताया। लेकिन दोनों नेताओं के बीच की तकरार पूरी तरह से अभी तक खत्म नहीं हुई है। हालांकि सचिन पायलट ने पिछले कुछ समय से किसी भी तरह का बयान पार्टी के नेतृत्व पर नहीं दिया था और ना ही प्रदेश के संगठन पर। लेकिन इस बार सचिन पायलट लगता है कि किसी समझौते के मूड में नहीं हैं।

पार्टी को मंथन की जरूरत

पार्टी को मंथन की जरूरत

राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने ने कहा कि पार्टी को उन वजहों का आंकलन करने की जरूरत है कि आखिर क्यों वह प्रदेश में सरकार दोहरान में विफल रही है। ऐसे में साफ है कि सचिन पायलट ने अपरोक्ष तरीके से अशोक गहलोत पर निशाना साधा है। बता दें कि राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा एक बारी-बारी से सत्ता में आती हैं। सचिन पायलट ने कहा कि हमे इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि जब हमारे पास सिर्फ 50 विधायक बचे थे तो अगली बार सिर्फ 21 विधायक कैसे बचे। दिल्ली, असम, आंध्र प्रदेश में हमारी सरकारें दोबारा आई हैं। हमे सोचना होगा कि आखिर क्या वजह है कि हमारी सरकार प्रदेश में दोबारा नहीं आ पाती है। इस मसले पर चर्चा होनी चाहिए।

दोबारा कैसे सरकार बनाएं होगी चर्चा

दोबारा कैसे सरकार बनाएं होगी चर्चा

राजस्थान में दो दिवसीय पार्टी वर्कशॉप होने जा रही है। इस वर्कशॉप को लेकर सचिन पायलट ने कहा कि इस दौरान हम इसपर चर्चा करेंगे कि कैसे प्रदेश में दूसरी बार सरकार को दोहराया जा सके। सचिन पायलट ने कहा कि नरेंद्र मोदी के आने से पहले भी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रिपीट नहीं होती थी, लिहाजा इसपर चर्चा होनी चाहिए कि आखिर कैसे प्रदेश में सरकार की दोबारा वापसी हो। सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच तनातनी के रिश्ते हर किसी को पता है। ऐसे में अगले साल होने वाले चुनाव में पार्टी किसे मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाती है इसपर हर किसी की नजर है।

सोनिया गांधी को कर चुके हैं स्पष्ट

सोनिया गांधी को कर चुके हैं स्पष्ट

गौर करने वाली बात है कि 21 अप्रैल को सचिन पायलट ने सोनिया गांधी के साथ बैठक में प्रदेश के नेतृत्व को लेकर चर्चा की। रिपोर्ट की मानें तो उन्होंने सोनिया गांधी से स्पष्ट तौर पर कहा है कि अगर प्रदेश में नेतृत्व में बदलाव नहीं किया जाता है तो अगले चुनाव में पार्टी चुनाव हार जाएगी। 2020 में भी सचिन पायलट ने पार्टी के भीतर विद्रोह का नेतृत्व किया था। उस वक्त उन्हें उपमुख्यमंत्री के पद से और राजस्थान कांग्रेस प्रमुख के पद से हटा दिया गया था। हालांकि बाद में उन्हें मनाकर फिर से पार्टी में स्थापित किया गया था।

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English summary
After Punjab debacle will congress be able to defend Rajasthan Sachin Pilot hints otherwise.
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