क्या मंत्री राणा गुरजीत सिंह के चलते हिल गई पंजाब की कांग्रेस सरकार ?
चंडीगढ़, 28 सितंबर: पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद कहां नवजोत सिंह सिद्धू को सीएम बनाने की अटकलें थीं और आज उन्हीं के चलते पंजाब में कांग्रेस की सरकार और पार्टी भारी 'तबाही' के दौर से गुजर रही है। पहले सिद्धू ने प्रदेश अध्यक्ष छोड़ा उसके बाद नए-नवेले मंत्रियों से लेकर पार्टी पदाधिकारियों के इस्तीफे की लाइन लग चुकी है। सबसे बड़ी बात ये है कि इस समय पंजाब के राजनीतक संकट को सोनिया गांधी की जगह सीधे उनके बेटे राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा ही हैंडल कर रही थीं। लेकिन, विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की वहां इतनी फजीहत हो रही है कि नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के लिए इस राजनीतिक संकट को संभालना बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी है। सवाल एक ही है कि सिद्धू ने अचानक इस तरह से इस्तीफा क्यों दिया ? अब पार्टी के अंदर से इसके पीछे जो नाम सामने आ रहा है, वह राणा गुरजीत सिंह का है।
राणा गुरजीत सिंह के चलते हिल गई पंजाब की कांग्रेस सरकार ?
पिछले रविवार को जब पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने सात नए मंत्रियों को अपनी कैबिनेट में शामिल किया था तो उसमें सबसे चौंकाने वाला नाम राणा गुरजीत सिंह चन्नी का था। माइनिंग का ठेका देने में गड़बड़ी के आरोपों के चलते 2018 में उन्हें कैप्टन अमरिंदर सिंह के मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देना पड़ा था। उस समय उनके पास सिंचाई और ऊर्जा जैसे विभाग थे। चन्नी कैबिनेट में उनका नाम आने की भनक लगते ही कांग्रेस का एक वर्ग आपत्ति जताने लगा था। मंगलवार को जब सिद्धू ने प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दिया है तो सीएनएन-न्यूज18 ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि राणा का नाम उस लिस्ट में था ही नहीं जो मंजूरी के लिए हाई कमान को भेजा गया था। इसके पीछे पार्टी के एक वर्ग की ओर से अब बड़ी साजिश की ओर इशारा किया जा रहा है। एक कांग्रेस नेता ने कहा 'गांधी परिवार को जो लिस्ट भेजी गई थी, उसमें राणा का नाम कहीं नहीं था। उनका नाम आखिरी वक्त में बिना गांधी परिवार और सिद्धू को बताए डाल दिया गया था।'
सिद्धू और चन्नी को कांग्रेस नेताओं ने लिखी थी चिट्ठी !
ये तो और भी बड़ा सवाल है कि पार्टी आलाकमान और प्रदेश अध्यक्ष को लिस्ट में इतने बड़े बदलाव की कोई भनक कैसे नहीं लगी ? गौरतलब है कि सिद्धू ने सोनिया को जो इस्तीफा भेजा है उसमें उन्होंने लिखा है कि 'किसी के चरित्र में गिरावट की शुरुआत समझौते से होती है, मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब के कल्याण के एजेंडे को लेकर कभी समझौता नहीं कर सकता।' जब राणा को मंत्री बनाए जाने की भनक लगी तो कांग्रेस के कुछ नेताओं ने सिद्धू को खत लिखकर मांग की थी कि 'दागी' पूर्व मंत्री को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। उनकी जगह के स्वच्छ छवि वाले किसी दलित नेता को मंत्री बनाने की मांग की गई थी और उस चिट्ठी की एक कॉपी बाद में मुख्यमंत्री को भी भेजी गई थी। ये चिट्ठी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मोहिंदर सिंह कायपी, सुल्तानपुर के एमएलए नवतेज सिंह चीमा, फगवाड़ा एमएलए बलविंदर सिंह धालीवाल, जालंधर उत्तर के विधायक बावा हेनरी, चब्बेवाल विधायक राज कुमार, एमएलए शाम चौरासी, पवन अदिया और भोलानाथ के विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने भेजी थी। खैरा हाल ही में आम आदमी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आए हैं।
दोआबा के दलित नेता को मंत्री बनाने की हुई थी मांग
कांग्रेस के उन नेताओं की शिकायत थी कि दोआबा इलाके की जनता और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को राणा गुरजीत सिंह जैसे दागी को मंत्री बनाने के प्रस्ताव को लेकर घोर आपत्ति है। इन नेताओं ने राणा पर उस समय लगे तमाम आरोपों का जिक्र करते हुए लिखा था कि 'कहने की जरूरत नहीं है, उन्हें जनवरी 2018 में कुख्यात खनन घोटाले के कारण कैबिनेट से हटा दिया गया था।' उन्होंने लिखा, 'हमें हैरानी है कि राणा गुरजीत सिंह को कैबिनेट में क्यों शामिल किया जा रहा है, जबकि उन्हें इन आरोपों के कारण जनवरी 2018 में हटा दिया गया था।' उन्होंने यह भी लिखा था कि दोआबा इलाके में करीब 38 फीसदी दलित आबादी होने के बावजूद, प्रस्तावित कैबिनेट विस्तार में इस समुदाय के किसी नेता को कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया जा रहा है।