भारतीय जनता पार्टी ने पंजाब में सत्ता पर क़ाबिज़ होने के लिए तैयार की रणनीति, जानिए प्लान
पंजाब विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र कृषि कानून रद्द करने के ऐलान के बाद से भारतीय जनता पार्टी सियासी ज़मीन मज़बूत करने में जुट गई है। भारतीय जनता पार्टी कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी से गठबंधन कर सकती है
चंडीगढ़,
1
दिसम्बर
2021।
पंजाब
विधानसभा
चुनाव
के
मद्देनज़र
कृषि
कानून
रद्द
करने
के
ऐलान
के
बाद
से
भारतीय
जनता
पार्टी
सियासी
ज़मीन
मज़बूत
करने
में
जुट
गई
है।
भारतीय
जनता
पार्टी
कैप्टन
अमरिंदर
सिंह
की
पार्टी
से
गठबंधन
कर
सकती
है,
फिलहाल
भारतीय
जनता
पार्टी
ने
60
ऐसी
सीटों
को
चुना
है
जिन
पर
रणनीति
तैयार
कर
जीत
हासिल
की
जा
सकती
है।
चूंकि
पंजाब
में
59
सीटों
पर
जीत
हासिल
कर
कोई
भी
पार्टी
सत्ता
पर
क़ाबिज़
हो
सकती
है,
इसलिए
भाजपा
ने
60
सीटों
पर
रणनीति
बनानी
शुरू
कर
दी
है।
भाजपा
द्वारा
चुने
गए
सीटों
में
से
जालंधर
की
चार
विधानसभा
सीटे
भी
शामिल
हैं।
भारतीय
जनता
पार्टी
पहली
बार
पंजाब
विधानसभा
चुनाव
में
शिरोमणि
अकाली
दल
के
बग़ैर
चुनावी
रण
में
उतरी
है,
इसलिए
भाजपा
की
पूरी
कोशिश
है
कि
चुनाव
में
पार्टी
का
प्रदर्शन
पिछली
बार
से
बेहतर
रहे।
सियासी ज़मीन मजबूत करने में जुटी भाजपा
भारतीय जनता पर्टी ने सियासी पकड़ की ऐतबार से पंजाब विधानसभा सीटों को कैटेगरी के हिसाब से बांट दिया है। ऐ कैटगरी में वो सीटे हैं जिन पर भारतीय जनता पार्टी की पकड़ काफ़ी मजबूत है, बी कैटेगरी में वह सीटें हैं जिनपर भारतीय जनता पार्टी की पकड़ कुछ कम है और अगर उन पर मेहनत की जाए तो कामयाबी हासिल हो सकती है। वहीं सी कैटेगरी में वह विधानसभा सीटें हैं जिन पर भाजपा की पकड़ नहीं के बराबर है इसलिए उन सीटों पर मेहनत करना बेकार है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी बी कैटेगरी की सीटों पर फोकस करते हुए जीत हासिल करने के लिए रणनीति तैयार कर रही है।
भाजपा ने 60 सीटों को किया टारगेट
भारतीय जनता पार्टी खुद के दम पर पंजाब में सरकार बनाने की रणनीति तैयार कर रही है। ग़ौरतलब है कि पंजाब में सत्ता पर क़ाबिज़ होने के लिए 59 सीटों की ज़रूरत होती है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने कैटेगरी में बांटते हुए 60 सीटों को टारगेट किया है ताकि वहां से जीत सुनिश्चित किया जा सके। भारतीय जनता पार्टी पंजाब के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने इस बाबत पार्टी कार्यकर्ताओं को दिशा निर्देश जारी कर दिया है। दो दिसंबर तक जालंधर की चारों शहरी सीटों पर संगठन के गठन की प्रक्रिया पूरी कर लिए जाने की उम्मीद है। करीब 70 फिसद बूथों का गठन हुआ है। हर बूथ पर 10 सदस्यीय कमेटी होगी इसके तहत हर 100 व्यक्तियों के पीछे एक कार्यकर्ता तैनात किया जाएगा।
दूसरे दलों के दिग्गज नेताओं पर निगाह
भारतीय जनता पार्टी कृषि कानून वापस होने के बाद अब दूसरी पार्टी के बड़े नेताओं को अपने साथ लाने की कोशिश में जुटी हुई। कयास लगाए जा रहे हैं कि दूसरी पार्टी के कई बड़े नेता भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम सकते हैं। इनमें कई ऐसे नेता हैं जिनका पंजाब में बड़ा दबदबा है। इन सभी को पार्टी चुनाव में भी उतार सकती है। खासकर देहात की सीटों पर भाजपा का बड़े नेताओं की जरूरत रहेगी क्योंकि इन सीटों पर भाजपा ने अपने दम पर चुनाव नहीं लड़ा है। ऐसे में अगर कई बड़े नेता दूसरी पार्टियों से आते हैं तो भाजपा का रास्ता आसान हो सकता है। नगर कौंसिल के दस महीने पहले हुए चुनाव में भाजपा ने बड़ी गिनती में उम्मीदवार उतारे थे तब कृषि कानून को लेकर प्रचंड विरोध के बावजूद कई इलाकों में भाजपा और भाजपा समर्थित उम्मीदवारों को अच्छे वोट मिले थे। कृषि कानून रद्द किए जाने के फ़ैसले को अब भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह कैश करने की रणनीति तैयार कर रही है।
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