"भूत" ने की पैरवी कर अभियुक्तों को दिलायी जमानत, जानिए कैसे?
पटना (मुकुंद सिंह)। कोर्ट जैसे भीड़ भाड़ वाले इलाके में भूत कैसे जज के सामने पैरवी कर सकता है और आरोपी का जमानत कैसे दिला सकता है। तो सुनिये यह मामला पटना हाईकोर्ट का है, जहां तीन साल पहले मर चुके वकील ने अभियुक्तों की पैरवी की और उन्हें जमानत भी दिला दी। अब जब मामला उजागर हुआ है, तो सीबीआई जांच की मांग उठने लगी है।
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रिकॉर्ड में हेराफेरी कर जमानत कराने के मामले का खुलासा होने के बाद कोर्ट से लेकर प्रशासन तक सभी आश्चर्य चकित रह गए। तो इस हेरा फेरी मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने यह सवाल उठाया है कि आखिरकार आज से 3 वर्ष पहले मरे हुए वकील ने कैसे अभियुक्तों की जमानत करा दी। तो कोर्ट ने इस मामले को सुलझा लें तथा सभी तथ्य को सामने रखने के लिए मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश जारी कर दिया। साथ ही मरे हुए वकील के द्वारा जमानत कराए गए तीनों आरोपियों की जमानत को खारिज कर दी गई।
इस मामले के सामने आते ही न्यायमूर्ति शिवाजी पांडेय ने पिछले एक महीने मे वकीलों की सूची के रिन्यूअल का आदेश जारी कर दिए हैं।
क्या है मामला
आज से 15 वर्ष पहले स्वराज आसूचना निदेशालय की क्षेत्रीय इकाई के द्वारा वैशाली के सुबोध कुमार सिंह और असम के नवल कुमार साहनी एवं असम के नूरआलम को 277 किलोग्राम गांजा के साथ गिरफ्तार किया गया था। नारकोटिक्स के केस में गिरफ्तार हुए आरोपी की जमानत बहुत ही कठिन थी। लेकिन इनके द्वारा रेकॉर्ड में हेराफेरी करते हुए आरोपी की जमानत दिलाने के कार्य को अंजाम दे दिया गया।
प्राथमिकी एवं जब्ती सूची में छेड़छाड़ करते हुए उसकी वजन 77 किलो कर दिया गया और फिर कोर्ट में जमानत याचिका दायर किया गया। लेकिन 77 किलो गांजा बरामद होने पर भी कोर्ट में जमानत नहीं दी, तो इन लोगों ने 275 किलोग्राम गाजे का वजन सिर्फ 7 किलोग्राम बताया और हाई कोर्ट से जमानत ले ली। तो जिस याचिका के जरिए आरोपियों को जमानत मिली उसमें भी अदालत को अंधेरे में रखते हुए यह नहीं बताया गया कि इस मामले पर आज से पहले भी सुनवाई हो चुकी है।
इस जमानत की सूचना मिलने पर राजस्व आसूचना निदेशालय ने अदालत को गांजे की मात्रा में की गई हेराफेरी के बारे में जानकारी दी। वहीं इस मामले की सुनवाई के बाद या पता चला कि जिस रणविजय कुमार सिंह के नाम से केस की पैरवी की गई थी उनकी मौत आज से 3 वर्ष पहले हार्ट अटैक के कारण हो गई थी। तो रजिस्ट्री ऑफिस से मिली जानकारी के अनुसार उनकी मौत के बाद 18 केस ऐसे दाखिल किए गए हैं, जिनमें पैरवी करने वाले के नाम के आगे रणविजय कुमार सिंह ही लिखा है।