मोदी दरबार से महिला प्रोफेसर नहीं लौटी खाली हाथ, रुकी 1.6 लाख की ग्रेज्युटी मिली
नोएडा|
मोदी
के
चुनाव
प्रचार
में
किया
गया
'अच्छे
दिन'
का
वादा
एक
महिला
प्रोफेसर
कविता
के
लिए
तब
पूरा
हुआ,
जब
उनकी
ग्रेज्युटी
की
राशि
बिना
बिलंब
उन्हें
मिली
गई।
एक
शीर्ष
संस्थान
में
अटकी
प्रोफेसर
की
40
हजार
रुपए
की
ग्रेज्युटी
राशि
बढ़कर
1.6
लाख
रुपये
रुपए
के
रुप
में
उन्हें
मिली।
दरअसल
कविता
के
लिए
ग्रेच्युटी
राशि
एक
बड़ी
समस्या
बन
गई
थी
क्योंकि
लॉ
कॉलेज
प्रबंधन
इसमें
अड़ंगा
लगा
रहा
था।
कविता
ने
बताया,
"मैंने
जुलाई
2014
में
इस
उम्मीद
के
साथ
प्रधानमंत्री
को
पत्र
लिखा
था
कि
मेरी
समस्या
सुनी
जाएगी।"
सहायक प्रोफेसर कविता सुरभि ने बताया कि वह अपनी ग्रेच्युटी को लेकर कई महीनों से परेशान थी। उन्होंने 2007-2013 के बीच जिस संस्थान में काम किया था, उससे अपनी ग्रेच्युटी मांग रही थी। उन्होंने लेखाकार (अकाउंटेंट) से लेकर कॉलेज के संस्थापक सदस्य तक का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। आखिरकार उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय का दरवाजा खटखटाया और अपनी याचिका के स्वीकार किए जाने पर काफी खुश और हैरान हुईं।
प्रधानमंत्री ने न सिर्फ उनका निवेदन स्वीकार किया, बल्कि नोएडा के एक विश्वविद्यालय के कॉलेज के प्रबंधन के साथ उनके मामले को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया। कविता को उनके ईमेल पर जवाब मिला, जिसमें उनके श्रम आयुक्त से मिलकर समस्या के बारे में बताने को कहा गया। मेल की एक कॉपी विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्य को भी भेजी गई। कानून की शिक्षा में मास्टर की डिग्री ले रही कविता ने बताया कि उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि प्रधानमंत्री के कहने से उन्हें उनकी ग्रेच्युटी मिल गई।
उन्होंने कहा कि वह मोदी की ऋणी रहेंगी क्योंकि उन्होंने उस समय उनकी मदद की, जब वह उम्मीद खो चुकी थीं। कविता ने बताया, "इसी समस्या से परेशान मेरे बहुत से साथी अब पीएमओ को लिख रहे हैं, उन्हें उम्मीद है कि उनकी समस्या भी सुनी जाएगी।"