मोदी सरकार प्राइवेट संस्थानों में सवर्ण आरक्षण लागू करने की तैयारी में जुटी
नई दिल्ली: सरकारी संस्थाओं में सवर्ण आरक्षण देने के फैसले के बाद केंद्र सरकार अगले नए बिल पर काम कर रही है, जो निजी शैक्षणिक संस्थाओं में भी जनरल कैटगरी का कोटा लागू करना अनिवार्य हो जाएगा। उच्च पदस्थ सूत्रों ने इकॉनोमिक्स टाइम्स को बताया कि इस तरह के कानून बनाने का मसौदा लगभग तैयार है और सरकार के भीतर इसकी चर्चा चल रही है।सरकार की योजना है कि लोकसभा चुनाव से पहले लगनी वाली आदर्श आचार संहिता से पहले इसे प्रभाव में लाया जाए।
ये कानून मुख्य रुप से अनुसूचित जाति(एससी), अनुसूचित जनजाति(एसटी) और ओबीसी आरक्षण के साथ के साथ सवर्ण जातियों में आर्थिक रुप से पिछड़े लोगों को शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण सुनिश्चित करेगा। सूत्रों ने बताया कि इसके संबंध में कानून मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च अधिकारियों के बीच उच्च स्तर की बातचीत हुई है। नया कानून 2006 के ताजा संवैधानिक संशोधन के पत्र और भावना के अनुरुप इसे लागू करने में सक्षम होगा, जिसने ओबीसी कोटा और निजी क्षेत्र में इसे लागू करने के लिए प्रावधान बनाए हैं। इसके बाद 103 वें संवैधानिक संशोधन को पारित किया और इस महीने 10 प्रतिशत अतिरिक्त सवर्ण कोटे को लागू करने की अधिसूचना जारी की गई।
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि है कि देशभर के 40 हजार कॉलेजोंऔर 900 यूनिवर्सिटी में 10 फीसदी सवर्ण आरक्षण शैक्षणिक सत्र 2019-20 से लागू किया जाएगा. इसमें प्राइवेट,सेक्टरों के भी संस्थान शामिल हैं। जावड़ेकर ने ये भी बताया कि यूजीसी और एआईसीटीई को को इसके संबंध में एक हफ्ते के भीतर इसे लागू करने के अधिकार पत्र सौंपे ।कोटा लागू होने के बाद इसी अनुपात में सीटें भी बढ़ाई जाएंगी। सवर्ण कोटा लागू होने के बाद 10 लाख नई सीटें बढ़ेंगी।
यूपीए के पहले कार्यकाल में केंद्रीय शैक्षिक संस्थान संशोधन अधिनियम 2006 के तहत सभी केंद्रीय संस्थाओं को ओबीसी कोटे को अनिवार्य तौर पर लागू करने के आदेश दिए गए थे। लेकिन प्राइवेट संस्थानों के लिए ऐसा कुछ नियम नहीं था। निजी संस्थानों के लिए एक अलग कानून केबिना 103 वें संवैधानिक संशोधन का भी यही हश्र हो सकता था।