Maharashtra:वरवर राव को सूरजगढ़ आगजनी केस में भी मिली अंतरिम जमानत, जानिए क्या है मामला
नागपुर: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने वरवर राव को 2016 के सूरजगढ़ लौह अयस्क खदान आगजनी मामले में भी अंतरिम जमानत दे दी है। अदालत ने उन्हें स्वास्थ्य के आधार पर यह जमानत दी है। 82 साल के वरवर राव और वकील सुरेंद्र गाडलिंग को इस मामले में महाराष्ट्र की गढ़चिरौली पुलिस ने 2019 के फरवरी में गिरफ्तार किया था। जस्टिस स्वपना जोशी की अदालत ने उन्हें उसी आधार पर जमानत दिया है, जिसपर सोमवार को मुख्य बेंच ने उन्हें एल्गार परिषद और माओवादियों से साठगांठ के केस में जमानत दी है। यह केस फिलहाल एनआईए के पास है।

सूरजगढ़ आगजनी केस में भी मिली अंतरिम जमानत
उनके वकीलों के मुताबिक वरवर राव इस समय कई तरह की बीमारियों से जूझ रहे हैं, जिनमें उन्माद के लक्षण भी शामिल हैं। उनके वकीलों फिरदौस मिर्जा और निहाल सिंह राठौड़ का कहना है कि उन्होंने गढ़चिरौली के सूरजगढ़ लौह अयस्क खदान आगजनी केस की मेरिट के आधार पर जमानत नहीं मांगी थी, बल्कि स्वास्थ्य के आधार पर अदालत से गुहार लगाई थी। मिर्जा ने पीटीआई को बताया है,'हमने यहां की अदालत में जस्टिस एसएस शिंदे और मनीष पांडे की डिविजन बेंच से सोमवार को पारित आदेश का हवाला देकर राव के लिए 6 महीने की अंतरिम जमानत उनकी स्वास्थ्य के आधार पर मांगी थी। ' उन्होंने कहा कि जज ने डिविजन बेंच के आदेश को देखने के बाद आगजनी मामले में भी उन्हें उतने दिन की ही अंतरिम जमानत मंजूर कर दी, जितने उस केस में मिली है।
25 दिसंबर, 2016 को माओवादियों ने 80 वाहन जला दिए थे
बता दें कि 25 दिसंबर, 2016 को माओवादियों ने गढ़चिरौली के एटापल्ली तहसील में कथित तौर पर सूरजगढ़ खदान से लौह अयस्क ढोने में जुटे कम से कम 80 वाहनों में आग लगा दी थी। वरवर राव इस वक्त मुंबई के नानावती अस्पताल में भर्ती हैं।
पहले मिली भीमा-कोरेगांव हिंसा केस में राहत
बता दें कि एल्गार परिषद का मामला पुणे में 31 दिसंबर, 2017 को हुए एक कॉन्क्लेव से जुड़ा है, जिसमें कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए गए थे, जिसके अगले दिन शहर के बाहरी इलाके में स्थित भीमा-कोरेगांव वॉर मेमोरियर के पास भयानक हिंसा भड़क उठी थी। पुलिस के दावे के मुताबिक इस हिंसा का नाता सीधे एल्गार परिषद से जुड़ा है, जिसकी जांच एनआईए कर रही है।
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