महाराष्ट्र लॉकडाउन: यूपी-बिहार जाने वाली ट्रेनों में सीटें फुल, कहां जाएं प्रवासी मजदूर
मुंबई: महाराष्ट्र में कोरोना की दूसरी और भयावह लहर को देखते हुए गैर-जरूरी कारोबार पर 30 अप्रैल तक रोक लगा दी गई है। इस आंशिक लॉकडाउन ने एकबार फिर से प्रवासी मजदूरों को उसी एक साल पुरानी स्थिति में ला दिया है। तब ट्रेनें बंद थीं तो वे हजारों की तादाद में पैदल ही अपने घरों की ओर निकल गए थे। लेकिन, इसबार ट्रेनें चल रही हैं तो वो भागे-भागे स्टेशन पहुंच रहे हैं। लेकिन, उनमें से ज्यादातर को निराशा हाथ लग रही है। रिजर्वेशन काउंटर पर लंबी कतारें हैं। ट्रेनों में अगले कई दिनों तक सीटें खाली नहीं हैं। कोविड की वजह से बिना कंफर्म टिकट वालों को ट्रेनों में चढ़ने की इजाजत नहीं है। अब ऐसे लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि वो कहां जाएं, किससे मदद मांगें।
स्टेशनों पर यात्रियों की भारी भीड़
मुंबई का लोकमान्य तिलक टर्मिनस हो या छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस यात्रियों की जमघट सभी स्टेशनों पर देखी जा रही है। एलटीटी के एक रेलवे कर्मचारी ने कहा, 'यूपी-बिहार जाने वाली ट्रेनों के लिए लोग बहुत ज्यादा पूछताछ कर रहे हैं। मैंने उनसे कह दिया है कि रिजर्व टिकट लें।' इसी स्टेशन पर लखनऊ जाने के लिए कतार में खड़े 30 साल के नियाज अहमद ने कहा, 'मैं मोहम्मद अली रोड पर नींबू-पानी बेचता हूं। मैं 15 वर्षों से मुंबई में रहता हूं। घर पर मेरी एक पत्नी और एक बच्चा है। यहां पर मेरे पास घर नहीं है और मैं सड़क पर रहता हूं। अब मेरे पास आमदनी का कोई जरिया नहीं है। घर पर भी मेरे पास काम नहीं होगा, लेकिन कम से कम दोनों वक्त का खाना तो मिलेगा। यहां तो मैं भूखे मर जाऊंगा। वे कह रहे हैं कि टिकट नहीं है। मैं बिना टिकट ही जाऊंगा और अगर टिकट चेकर पकड़ेगा तो फाइन भर दूंगा।'
बिहार-यूपी जाने वाली ट्रेनों में सीटें फुल
नियाज अहमद अहमद अकेले नहीं हैं। 22 वर्षीय सूरज यादव और 33 साल के कृष्णा कुमार नामदेव मध्य प्रदेश के सतना जाना चाहते हैं। उन्हें भी टिकट नहीं मिला है। उन्होंने फैसला किया कि प्लेटफॉर्म पर ही सो जाएंगे। यादव ने बताया, 'हम नेरुल में एक छोटे से होटल में काम करते हैं। मालिक ने कहा कि वह हमें वेतन नहीं देगा, लेकिन हमारे लिए खाने का इंतजाम कर देगा। हम क्या कर सकते हैं? हम इंतजार नहीं कर सकते, हमें जाना ही होगा। मैं नहीं जानता कि गांव में काम मिलेगा या नहीं, लेकिन खेती से जुड़ा कोई काम कर लेंगे।' छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर मंगलवार की रात बिहार के कैटर्रस का एक ग्रुप निराश और चिंतित नजर आ रहा था, क्योंकि टिकट काउंटर बंद हो चुका था। उन्हें सुबह उसके खुलने तक स्टेशन पर ही इंतजार करना था। उनमें से एक राजेश कुमार दास ने कहा, 'हम होटलों और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर कैटरिंग सर्विस का काम करते हैं। हमारे बॉस ने हम 60 लोगों को कहा कि घर लौट जाओ। अब हम क्या करें ? हम यहां नहीं रह पाएंगे। मैं जेनरल बोगी में जाने की कोशिश करूंगा।'
पैनिक बुकिंग ना करें- रेलवे
सेंट्रल रेलवे के एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की गुजारिश करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार जाने वाली ट्रेनों के टिकट अगले कुछ दिनों के लिए पूरी तरह बुक हो चुके हैं। वहीं सेंट्रल रेलवे के सीपीआरओ शिवाजी सुतार ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा है कि 'कोविड को देखते हुए हम सिर्फ कंफर्म टिकट वाले पैसेंजरों को ही ट्रेनों में जाने की अनुमति दे रहे हैं। अतिरिक्त ट्रेनों की घोषणाएं अगर कुछ जगहों से होती हैं तो वह सिर्फ ट्रेन सेवाओं की बहाली की जारी प्रक्रिया का ही हिस्सा हैं। हम सबसे अपील करते हैं कि बिना कारण के अंदाजा (पूर्ण लॉकडाउन का) मत लगाइए और पैनिक बुकिंग मत कीजिए।'