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अनूठी शादी: इस जहां में नहीं हैं तुम्‍हारी आंखे! इसल‍िए एक-दूजे को चुना जीवनसाथी

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सागर, 12 जुलाई। एक फ‍िल्‍म का गाना है, इस जहां की नहीं हैं तुम्‍हारी आंखे... गाने के बोल के ठीक व‍िपरीत इस जहां में नहीं हैं तुम्‍हारी आंखे...इसल‍िए एक-दूजे को हमसफर चुना गया है। छतरपुर की नेत्रहीन रूबी को उसके नेत्रहीन दूल्‍हें द‍िनेश साहू ने स‍िर्फ इसल‍िए जीवनसाथी के रुप में चुना है, क्‍योंक‍ि दोनों की आंखों में ज्‍योत‍ि नहीं है।

ब‍िना आंखों के देखे जीवन संजोने के सपने और एक-दूजे के हो गए

मप्र के छतरपुर में बीते रोज हुई एक शादी चर्चा का व‍िषय बन गई। दुल्‍हन को ब्‍याहने द‍िल्‍ली से दूल्‍हा आया था, मंडप भी सजा, सात फेरे ल‍िए, दुल्‍हन का पाण‍िग्रहण संस्‍कार भी कराया गया। मंडप में एक-दूजे का हाथ थामें दूल्‍हा-दुल्‍हन ने एक-दूजे के संग सात जन्‍म तक साथ रहने का वचन भी ल‍िया है। लेक‍िन इस व‍िवाह की सबसे खास बात जो इस व‍िवाह को खास बनाती है, वह यह कि दोनों ने एक-दूसरे को इसल‍िए चुना क्‍योंक‍ि दोनों की आंखे नहीं हैं। काला चश्‍मा पहने दोनों नव युगल बचपन से नेत्रहीन हैं, उनके जीवन की सबसे बढी कमी ने ही उन दोनों को म‍िलाया है।
गायत्री मंद‍िर में व‍िध‍िव‍िधान से इनका व‍िवाह संपन्‍न कराया गया

दूल्‍हा द‍िल्‍ली में नौकरी करता है, दुल्‍हन की छतरपुर में ट्रेन‍िंग हुई
बुंदेलखंड के अजयगढ न‍िवासी रूबी चउदा के माता-प‍िता नहीं है। तीन बहनों के साथ वह पली बढी और जबलपुर व च‍ित्रकूट में उसकी श‍िक्षा पूरी हुई है। रूबी की ट्रेंन‍िग छतरपुर में हुई है। उसकी बडी बहन की शादी यहीं हुई है। इधर नेत्रहीन दूल्‍हा बांदा के ब‍िलगांव न‍िवासी है। उसकी श‍िक्षा द‍िल्‍ली में और ट्रेन‍िंग च‍ित्रकूट में होने के बाद द‍िल्‍ली में ही नौकरी कर रहे हैं।

गहोई समाज ने द‍िव्‍यांग सम्‍मेलन में म‍िलाया था
छतरपुर में गायत्री शक्‍त‍िपीठ व गहोई समाज ने रूबी के व‍िवाह के ल‍िए पहल की थी। इन दोनों को एक द‍िव्‍यांग सम्‍मेलन में पहले म‍िलाया गया था। जब दोनों ने एक दूसरे को अपना जीवन साथी बनाने का फैसला कर ल‍िया तो बीते रोज बांदा के गायत्री मंद‍िर में व‍िध‍िव‍िधान से इनका व‍िवाह संपन्‍न कराया गया। उपहार में भगवान लड्डू गोपाल के साथ उपहार प्रदान कर व‍िदा किया गया है।

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English summary
A wedding that took place in Chhatarpur, Madhya Pradesh, became a topic of discussion. The bridegroom had come from Delhi to marry the bride, the mandap was also decorated, for seven rounds, the bride's marriage ceremony was also performed. The bride and groom, holding each other's hand in the pavilion, have also taken a promise to live together for seven births with each other. But the most special thing about this marriage, which makes this marriage special, is that both of them chose each other because both of them do not have eyes.
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