Sagar: धसान ने ढहाया मंदिर, ’नागों’ का बसेरा भी उजाड़ा, दर्जनभर नाग बेघर, अनिष्ट से डरे लोग
सागर, 24 अगस्त। मप्र में भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित होने वालों में केवल इंसान ही शामिल नहीं हैं। पानी के सैलाब ने देवी-देवताओं के मंदिर और सिद्ध स्थान को भी नहीं बख्शा। सागर जिले के बहरोल सेक्टर इलाके में गांव के बाहर प्रसिद्ध हनुमान मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। बाढ़ ने यह मंदिर तोड़ दिया। पास ही पीपल के करीब दो सौ साल पुराने वृक्ष पर नाग देवता के परिवार का बसेरा था, बाढ़ से यह पेड़ धराशाई हो गया। करीब दर्जनभर सांप पीपल के गिरने के बाद यहां वहां निकल गए। यह मंदिर और नाग देवता यहां लोगों की आस्था का केंद्र रहे हैं। अब लोग अनष्टि की आशंका से डरे हुए हैं।
मंदिर के साथ उजड़ गया नागों का घर
सागर जिले के बहरोल सेक्टर में धसान नदी भारी बारिश के चलते पूरे उफान पर चल रही है। यहां गांव में मुख्य मार्ग के पास नदी किनारे संकटमोचन श्री हनुमानजी का करीब 100 साल पुराना एक मंदिर था। इसे सिद्ध क्षेत्र के रुप में जाना जाता है। बाढ़ में मंदिर पूरी तरह पानी में डूब कर लगभग ध्वस्त हो गया। मंदिर के पास ही एक सदियों पुराना पीपल का पेड़ लगा था। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि इस पेड़ पर काले नागराज का एक परिवार रहता था। वे कई दशकों से यहां जब-तब सांपों को पीपल पर विचरण करते देखते आ रहे हैं। करीब दर्जनभर सांप इस पेड़ पर अपना बसेरा बनाए थे।
बाढ़ में धरासायी हुआ पेड़, सांप निकलकर इधर-उधर गए
बाढ़ के बाद हनुमानजी का मंदिर पूरी तरह पानी में डूब गया। मंदिर में विराजमान हनुमान जी कि प्रतिमा भी पूरी तरह जलमग्न हो गई। इधर सदियों पुराने पेड़ की जडे़ भी कमजोर हो गई थीं, जोरदार बारिश नदी में उफान और तेज हवा के कारण नागों कर घर माने जाना वाला पीपल का पेड़ एकदम से धराशाई हो गया। मौके पर मौजूद लोग बताते हैं कि वे नदी कि किनारे पानी में डूबे मंदिर को देख रहे थे, तभी पेड़ तेज आवाज के साथ मंदिर के आगे गिर गया। उसमें से काफी सारे काले नाग निकलकर इधर-उधर पानी में जाते दिखे थे।
देवता के रुप में पूजते हैं, कभी नुकसान नहीं पहुंचाया
बहरोल के बुजुर्ग मुकुंदी नदी किनारे सिद्ध हनुमान मंदिर के पास पीपल के पेड़ पर भी देवताओं का स्थान था। यहां बचपन से हम लोग नाग परिवार के दर्शन करते आ रहे हैं। नागपंचमी सहित अन्य त्योहारों व परिवार में कोई भी मांगलिक कार्यक्रम के अवसर पर यहां देवी-देवताओं के साथ उनका पूजन कर प्रसाद चढ़ाते रहे हैं। करीब दर्जनभर सांप इस पीपल के ऊपर व खोह में अपना ठिकाना बनाए थे। इन्होंने कभी गांव वालों को नुकसान नहीं पहुंचाया। अब पीपल गिर जाने से इनका बसेरा उजड़ गया है। डर के साथ अनिष्ठ की आशंका भी सता रही हैं। गांव पर कहीं कोई मुसीबत न आ जाए। भगवान से प्रार्थना भी कर रहे हैं। नदी का पानी उतरने के बाद मंदिर को दोबारा स्थापित कराकर यहां नया पीपल का वृक्ष लगाएंगे।
देवता के रुप में पूजते हैं, कभी नुकसान नहीं पहुंचाया
बहरोल के बुजुर्ग मुकुंदी नदी किनारे सिद्ध हनुमान मंदिर के पास पीपल के पेड़ पर भी देवताओं का स्थान था। यहां बचपन से हम लोग नाग परिवार के दर्शन करते आ रहे हैं। नागपंचमी सहित अन्य त्योहारों व परिवार में कोई भी मांगलिक कार्यक्रम के अवसर पर यहां देवी-देवताओं के साथ उनका पूजन कर प्रसाद चढ़ाते रहे हैं। करीब दर्जनभर सांप इस पीपल के ऊपर व खोह में अपना ठिकाना बनाए थे। इन्होंने कभी गांव वालों को नुकसान नहीं पहुंचाया। अब पीपल गिर जाने से इनका बसेरा उजड़ गया है। डर के साथ अनिष्ठ की आशंका भी सता रही हैं। गांव पर कहीं कोई मुसीबत न आ जाए। भगवान से प्रार्थना भी कर रहे हैं। नदी का पानी उतरने के बाद मंदिर को दोबारा स्थापित कराकर यहां नया पीपल का वृक्ष लगाएंगे।