MP के BJP विधायक राहुल लोधी को फौरी तौर पर राहत, सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त दिया स्टे, फरवरी 2023 में अगली सुनवाई
उमा भारती के भतीजे बीजेपी विधायक राहुल सिंह लोधी को फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से थोड़ी सी राहत मिल गई है। अदालत ने फौरी तौर उनके निर्वाचन को लेकर मप्र हाईकोर्ट के आदेश पर सशर्ट स्टे दिया है।
पूर्व सीएम उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी की विधायकी को लेकर गहराए संकट के बीच फौरी तौर पर सुप्रीम कोर्ट कुछ राहत मिल गई हैं। सर्वोच्च अदालत ने राहुल सिंह लोधी को सशर्त स्टे दिया है। मप्र विधानसभा में 19 दिसंबर से शीतकालीन सत्र भी शुरू हो रहा है। इससे पहले विधानसभा सचिवालय ने भी नोटिस जारी कर उनके वेतन-भत्ते पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि राहुल लोधी को विधानसभा में होने वाली किसी भी तरह की वोटिंग में हिस्सा लेने का अधिकार नहीं होगा। अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भी वोट नहीं कर सकेंगे।
मप्र हाईकोर्ट से बीजेपी विधायक राहुल लोधी का निर्वाचन शून्य घोषित होने के बाद राहुल ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। जहां हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए राहत चाही थी। कोर्ट ने सुनवाई की और फौरी तौर पर लोधी निर्वाचन को सशर्त स्टे दिया है। इससे सोमवार को एमपी विधानसभा में शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में हिस्सा लेने का मौका रहेगा। लेकिन कोर्ट ने आदेश के परिपालन में वह न तो अविश्वास प्रस्ताव के दौरान वोट कर सकेंगे और न ही अन्य किसी तरह की वोटिंग में हिस्सा ले सकेंगे।
2018 के विधानसभा चुनाव में राहुल लोधी ने टीकमगढ़ जिले की खरगापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था । वह पहली बार निर्वाचित हुए है। भाजपा से टिकट लेकर चुनाव जीता, लेकिन बाद में कांग्रेस से हारने वाली प्रत्याशी चंदारानी गौर ने राहुल के निर्वाचन को जबलपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी। अदालत में दायर याचिका में निर्वाचन संबंधी कई आरोप लगाए गए। बताया गया कि चुनाव में नामांकन प्रक्रिया के दौरान सरकारी ठेका प्राप्त करने वाली निजी कंपनी में पार्टनरशिप की बात को छिपाया गया। साथ ही दो बार दाखिल किए गए नामांकन में की गई घोषणाओं में भिन्नता थी। उसके बाबजूद नामांकन स्वीकार कर लिया गया।
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