Damoh Jail के पंप से 9 लाख का पेट्रोल भाप बनकर उड़ गया, गजब के तर्क दे रहे दोषी पुलिस वाले
Madhya Pradesh की दमोह जेल में विभाग द्वारा प्रेट्रोल पंप का संचालन किया जा रहा है। पंप का मैनेजर जेलर का बेटा था और सिपाही की ड्यूटी इसे संचालित करने की थी। सरकारी विभाग के ही इस पेट्रोल पंप में लाखों का घोटाला हो गया। 9 लाख का पेट्रोल टैंक से गायब हो गया। जांच बैठी तो तर्क दिया कि पेट्रोल उड़ गया!
मप्र की Damoh जिला जेल द्वारा एक पेट्रोल पंप का संचालन किया जाता है। पंप में लाखों के घोटाले का मामला सामने आया है। इसमें जिम्मेदार अधिाकारी और कर्मचारी की भूमिका संदेह के घेरे में है। दरअसल पूरा मामला पेट्रोल पंप की राशि में 9 लाख रुपए के अंतर का है। शासन द्वारा जेल कल्याण विभाग के सहयोग से दमोह जिले को एक पेट्रोल पंप बीपीसीएल द्वारा दिया गया था, जिसके संचालन के दौरान सिपाही आशीष तिवारी को पंप का चार्ज जेल प्रशासन द्वारा दिया गया था। वहीं पंप मैनेजर जेलर के सुपुत्र कौशलेंद्र प्रजापति को बनाया गया था। 9 लाख रुपए की गड़बड़ी का यह मामला उसी कार्यकाल में घटित हुआ। बताया जा रहा है कि जेल कल्याण विभाग बीपीसीएल से 24 लाख रुपए का इधन क्रेडिट पर बीते जुलाई माह में खरीदा था, जिसमें पहली बिक्री में 12 लाख 50 हजार रुपए मिले थे। वहीं लगभग 3 लाख का ईधन पंप के स्टॉक में ड्राई स्टोरेज में बचा था। पंप में जुलाई माह से लगातार बिक्री होती गई और दिसंबर आते-आते पूरी राशि शून्य पर आ गई। जब जनवरी में ईधन खरीदने के लिए रुपए नहीं बचे तो इस मामले का खुलासा हुआ।
जेल
अधीक्षक
की
जांच
में
9
लाख
दूसरी
जांच
में
5
लाख
का
घोटाला
जेल
अधीक्षक
सीएल
प्रजापति
ने
छानबीन
की
इसमें
9
लाख
रुपए
का
अंतर
सामने
आया
है।
मामले
की
शिकायत
ऊपर
स्तर
पर
की
गई।
जहां
से
जांच
दल
में
सागर
संभाग
के
जेल
अधीक्षक
को
लाखों
रुपए
का
गबन
पकड़
में
आया
है।
दो
बार
जांच
होने
के
बाद
घोटाले
की
राशि
5
लाख
तक
आ
गई।
कहीं
तीसरी
जांच
में
ऐसा
न
हो
कि
पूरा
मामला
ही
दफन
हो
जाए।
जांच
प्रारंभ
होते
ही
सिपाही
तत्काल
सस्पैंड
मामले
की
जानकारी
लगते
ही
प्रभारी
सिपाही
को
तत्काल
सस्पैंड
कर
दिया
गया
और
तीन
माह
तक
पेट्रोल
पंप
को
भी
बंद
रखा
गया।
स्टोरेज
में
रखा
ईधन
रेट
बढ़ने
में
फायदे
में
आ
गया
और
फिर
से
पेट्रोल
पंप
का
संचालन
शुरु
होने
लगा।
पूरे
मामले
में
देखने
वाली
बात
यह
है
कि
बीते
एक
वर्ष
से
लाखों
रुपए
का
अंतर
पेट्रोल
पंप
के
बही
खातों
में
चला
आ
रहा
है,
लेकिन
आज
दिनांक
तक
न
तो
पैसे
की
रिकवरी
हुई
है
और
न
ही
कोई
भी
ठोस
कार्रवाई
की
गई
है।
कर्मचारियों
के
अनुसार
जेल
अधीक्षक
के
बेटे
के
मैनेजर
रहते
ही
यह
पूरा
मामला
घटित
हुआ
है।
इस
कारण
जांच
की
तरीके
गति
पर
भी
सवाल
उठाए
जा
रहे
हैं।
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गड़बड़ियां
कर्मचारियों
ने
की
है,
बेटे
की
आड़
में
बचना
चाह
रहे
जेल
अधीक्षक
सीएल
प्रजापति
का
कहना
है
कि
गड़बड़ी
करने
वाले
कर्मचारी
को
सस्पेंड
कर
दिया
गया
है।
यह
सही
है
कि
मेरे
बेटे
को
मैनेजर
बनाया
था,
लेकिन
आर्थिक
गड़बड़ियां
कर्मचारियों
ने
की
हैं।
आरक्षक
का
तर्क
था
कि
पेट्रोल
का
वाष्पीकरण
हो
गया।
उसे
सस्पैंड
किया
गया
है।
मेरे
बेटे
की
आड़
लेकर
वे
लोग
बचना
चाह
रहे
हैं।