क्या यूपी चुनाव में विकास के एजेंडा पर चुनाव जीत पायेगी भाजपा?
लखनऊ। नेटवर्क 18 को दिये अपने इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी के चुनाव को विकास के मुद्दे पर लड़ने की बात कही है। उन्होंने जातिगत राजनीति को देश के लिए खतरनाक भी बताया लेकिन क्या पीएम के इस इंटरव्यू को यूपी की राजनीतिक जमीन पर परखने की जरूरत है।
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यूपी में जातीय समीकरण चुनाव में काफी अहम भूमिका निभाता आया है और इसी आधार पर बसपा, सपा और भाजपा लंबे समय से अपनी राजनीति करती आयी हैं। दलित, पिछड़े दल, सवर्ण व मुसलमानों के वोट बैंक की राजनीति प्रदेश की राजनीति का अहम हिस्सा है।
स्वामी प्रसाद मौर्या, बृजेश पाठक जातीय समीकरण का उदाहरण
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कई ऐसे नेताओं को भाजपा में शामिल कराया है जिन्हें जातिगत राजनीति के लिए जाना जाता है। जिसमें मुख्य रूप से बृजेश पाठक व स्वामी प्रसाद मौर्या आते हैं। दोनों ही नेताओं को दलितों के वोट बैंक व ब्राह्मणों के वोट बैंक साधने के लिए पार्टी में शामिल किया गया है। ऐसे में पीएम का यह कहना कि यूपी में जातिगत राजनीति की बजाए विकास ही मुद्दा होगा और इन नेताओं का भाजपा में शामिल होना पार्टी की अलग ही छवि को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री ने अपने इंटरव्यू में कहा कि जनता के बीच कोई कन्फ्यूजन नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरा मुद्दा केवल विकास है। लेकिन इससे इतर जमीनी स्तर पर पार्टी तमाम जातीय समीकरण को साधने की कोशिशों में जुटी है। दलितों के 25 फीसदी वोट बैंक पर पार्टी अपनी पैठ मजबूत करना चाहती है।
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शाह का दलित समीकरण
प्रधानमंत्री ने खुद दलितों पर हो रहे मामलों पर बयान देकर साफ किया कि दलितों को पार्टी दरकिनार नहीं कर सकती है। हाल ही में तिरंगा यात्रा के दौरान भी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने काकोरी पहुंचकर दलितों को अपनी ओर रिझाने के लिए तमाम दलित नेताओं से मुलाकात की और लखनऊ में भाजपा के दलित सांसद कौशल किशोर के घर पर खाना खाया। यही नहीं पार्टी ने यूपी की कमान भी केशव प्रसाद मौर्या को दे रखी है जोकि दलित वर्ग से आते हैं। पार्टी ऐसा कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहती जिसके जरिए दलितों के बीच पैठ को बढ़ाया जा सके।
यूपी के दलित सांसद बनेंगे खेवनहार
यूपी में भाजपा के 12 दलित सांसद हैं जिनमें मिश्रिख से अंजूबाला, हरदोई से अंशुल वर्मा, मोहनलालगंज से कौशल किशोर, बांसगांव से कमलेश पासवान, शाहजहांपुर से कृष्णाराज, बाराबंकी से प्रियंका रावत और बहराइच से सावित्री बाई, कौशांबी से विनोद सोनकर, बुलंदशहर से भोला सिंह और लालगंज से नीलम सोनकर। पार्टी इन सभी दलित सांसदों के दमपर प्रदेश में दलितों के वोट बैंक को साधने की कोशिश करेगी।