लखनऊ में दो कांग्रेसी कार्यकर्ताओं पर FIR दर्ज, लगाए थे सीएम योगी समेत कई बीजेपी नेताओं के पोस्टर
लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के दौरान हिंसा के आरोपियों से वसूली को लेकर राजधानी लखनऊ में जगह-जगह होर्डिंग लगे थे। वसूली के होर्डिंग लगाने के जवाब में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने भी पोस्टर लगाए थे। अब ये 'पोस्ट वॉर' का मामला पुलिस तक पहुंच गई है। पोस्टर लगाने वाले दो कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ है। बता दें कि भारतीय जनता पार्टी कार्यालय के गेट समेत कई जगहों पर सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या समेत आधा दर्जन बीजेपी नेताओं और मंत्रियों के नाम के पोस्टर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने लगवा दिए थे। हालांकि इन पोस्टरों को लगाने के कुछ देर बाद ही जिला प्रशासन ने हटा दिया था।
इन
दंगाईयों
से
वसूली
कब?
लखनऊ
शहर
में
शुक्रवार
की
रात
यह
पोस्टर
दो
कांग्रेसी
कार्यकर्ताओं
सुधांशु
वाजपेयी
और
लालू
कनौजिया
की
तरफ
से
हजरतगंज
इलाके
में
लगाने
का
आरोप
लगाया
गया
है।
इन
पोस्टरों
में
साफतौर
पर
मुख्यमंत्री
योगी
आदित्यनाथ
और
उपमुख्यमंत्री
केशव
प्रसाद
मौर्य
की
तस्वीर
के
साथ
ही
कई
मंत्रियों
के
फोटो
भी
लगाए
गए
हैं
और
इसपर
लिखा
गया
है
कि
इन
दंगाइयों
से
वसूली
कब
तक
होगी।
बता
दें
कि
इससे
पहले
समाजवादी
पार्टी
ने
बलात्कार
के
आरोपी
पूर्व
केंद्रीय
मंत्री
चिन्मयानंद
और
उन्नाव
के
बलात्कार
के
दोषी
कुलदीप
सिंह
सेंगर
के
पोस्टर
लगाए
थे।
हाईकोर्ट
ने
16
मार्च
तक
बैनर-पोस्टर
हटाने
का
निर्देश
दिया
दरअसल,
19
दिसंबर,
2019
को
लखनऊ
में
हुई
हिंसा
में
पुलिस
ने
57
लोगों
को
सार्वजनिक
संपत्ति
को
नुकसान
पहुंचाने
का
आरोपी
बनाया
था।
इन
लोगों
के
फोटो,
नाम
और
पते
के
बैनर,
पोस्टर
सार्वजनिक
जगहों
पर
लगाए
थे।
इसमें
इन
लोगों
से
88
लाख
62
हजार
537
रुपए
के
नुकसान
की
भरपाई
कराने
की
बात
कही
गई
थी।
मामले
में
हाईकोर्ट
ने
स्वत:
संज्ञान
लेते
हुए
आरोपियों
के
बैनर-पोस्टर
16
मार्च
से
पहले
हटाने
का
आदेश
दिया
था।
योगी
सरकार
ने
हाईकोर्ट
के
आदेश
को
सुप्रीम
कोर्ट
में
दी
चुनौती
यूपी
सरकार
ने
हाईकोर्ट
के
फैसले
को
सुप्रीम
कोर्ट
में
चुनौती
दी।
12
मार्च
को
सुनवाई
के
दौरान
सुप्रीम
कोर्ट
ने
पोस्टर
के
हटाने
के
फैसले
पर
रोक
लगाने
से
इनकार
कर
दिया।
जस्टिस
यूयू
ललित
और
जस्टिस
अनिरुद्ध
बोस
की
वेकेशन
बेंच
में
इस
मामले
में
सुनवाई
हुई।
इस
दौरान
कोर्ट
ने
योगी
सरकार
से
पूछा
कि
किस
कानू्न
के
तहत
आरोपियों
के
होर्डिंग्स
लगाए
गए।
अब
तक
ऐसा
कोई
प्रावधान
नहीं,
जो
इसकी
इजाजत
देता
हो।
इस
मामले
में
अगले
हफ्ते
नई
बेंच
सुनवाई
करेगी।
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