सपा परिवार में कलह के बीच यूपी में मुस्लिम वोटों का बदलता समीकरण
उत्तर प्रदेश के चुनाव में सपा परिवार की फूट के बाद बदलने लगी है बसपा और भाजपा की चुनावी रणनीति, बसपा के लिए मुस्लिम वोट बैंक अहम
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के भीतर जिस तरह से कलह मची हुई है उसे देखते हुए यूपी चुनावों के लिए बहुजन समाज पार्टी अपनी चुनावी रणनीति को बनाने में जुटी है। पार्टी सपा परिवार के भीतर की फूट से सियासी फायदा लेने से चूकना नहीं चाहती है।
मुसलमान वोटरों को रिझाने में जुटी बसपा
बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी में पाच रैलियों को संबोधित किया है, जिसमें आगरा, आजमगढ़, सहारनपुर, इलाहाबाद और लखनऊ है। इन सभी रैलियों में मायावती ने मुस्लिमों समुदाय को खास तौर पर संबोधित किया और उन्हें रिझाने की हर संभव कोशिश की।
तीन मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में की रैली
आगरा, आजमगढ़ और सहारनपुर को मुसलमान औऱ दलित बाहुल्य क्षेत्र के रूप में देखा जाता है। ऐसे में इन जगहों का चुनाव कर मायावती ने दलितों के साथ मुसलमानों को अपनी ओर करने की कोशिश की है।
कांग्रेस की ओर जाने से रोकना लक्ष्य
सपा परिवार की भीतरी कलह से पार्टी का मुसलमान वोटबैंक सरकता दिख रहा है। ऐसें मायावती कतई यह मौका चूकना नहीं चाहती हैं कि अगर मुसलमान वोटर सपा से विमुख हो तो वह कांग्रेस के साथ जाने की बजाए उनके साथ आए।
सपा के प्रदेश में कमजोर होने से यूपी की लड़ाई भाजपा और बसपा में सीधे तौर पर होगी। ऐसे में मायवाती इस बात की कोशिश करेंगी कि मुस्लिम वोटरों का बिखराव ना हो और वह उनकी पार्टी को अपना वोट दे।
कांग्रेस को मिले मुस्लिम वोट, तो भाजपा को फायदा
भाजपा बसपा से सीधी लड़ाई से बचना चाहेगी, लिहाजा वह कोशिश करेगी कि मुस्लिम वोट बसपा को मिलने की बजाए कांग्रेस, सपा और अन्य पार्टियों में बंटे, जिससे की प्रदेश में उसे फायदा हो। ऐसे में यह पहला मौका होगा जब भाजपा का अंदरखाना इस बात की दुआ कर रहा होगा कि मुस्लिम वोट बैंक बसपा को जाने की बजाए कांग्रेस को जाए।
मुसलमान वोटर सपा से विमुख होने के बाद अगर कांग्रेस की ओर जाते हैं तो इसका सीधा नुकसान बसपा को होगा जबकि भाजपा को इसका फायदा होगा। इस बात को मायावती बखूबी समझती है।
भाजपा को मजबूत होने से रोकना लक्ष्य
कांग्रेस की यूपी में सियासी जमीन काफी कमजोर है ऐसे में अगर मुसलमान वोट कांग्रेस की ओर जाता है तो वह सीट में परिवर्तित नहीं होगा जिसका बसपा को सीधा नुकसान होगा। लिहाजा मायावती मुसलमान वोटरों को हर संभव साधने की कोशिश कर रही हैं।
चुनावी अभियान में केंद्र सरकार को भी बनाएंगी निशाना
मायावती ने पार्टी के नेताओं के साथ एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि आज पूरे सूबे में आम जनता की भावना जितनी ज्यादा प्रदेश के सपा सरकार के अराजक, भ्रष्टाचार एवं जंगल राज आदि के खिलाफ है उतना ही केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की वादाखिलाफी से भी दुखी है।
अपने इस संदेश से मायावती ने इस बात का सीधा संकेत दिया था कि पार्टी ना सिर्फ सपा बल्कि भारतीय जनता पार्टी पर भी अपनी चुनावी अभियान में हमला बोलेगी। मायावती ने खुद केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री को लखनऊ में दशहरा मनाने और सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर जमकर घेरा था।