लखनऊ विश्वविद्यालय रखेगा तितलियों के नये-नये नाम
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पाई जाने वाली रंग-बिरंगी तितलियों की पहचान और उसे नया नाम देने की कवायद शुरू हो गई है। राज्य सरकार की जैव विविधता बोर्ड ने यह पहल की है। जैव विविधता बोर्ड ने प्रदेश में पाई जाने वाली सभी तितलियों की प्रजातियों की पहचान करने की जिम्मेदारी लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) के जंतु विज्ञान विभाग को सौंपी है।
विश्वविद्यालय की टीम प्रदेश के सभी जिलों में जाकर वहां तितलियों की गणना करेगी और उनकी फोटो और वीडियो भी बनाएगी, ताकि उनका पहचान की जा सके और नई तितलियों का नाम दिया जा सके। राज्य सरकार की यह पहल प्रदेश में जैव विविधता संरक्षण को ध्यान में रखकर शुरू किया गया है। पिछले दिनों आई एक वैज्ञानिक रिपोर्ट में कहा गया था कि पर्यावरण परिवर्तन का सबसे अधिक दुष्परिणाम तितलियों पर पड़ रहा है और वे मर रही हैं।
इस अध्ययन के बाद ठीक-ठीक अनुमान लगाया जा सकेगा कि पर्यावरण परिवर्तन का असर कितना पड़ रहा है। जंतु विज्ञान विभाग की डॉ. अमिता कनौजिया ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देश पर जैव विविधता बोर्ड ने उन्हें प्रदेश की तितलियों की प्रजातियों को पहचान करने का काम सौंपा है। यह प्रदेश के सभी जिलों में किया जाएगा।
अध्ययन शुरू कर दिया है टीम ने
हाल में इस काम में जुटी टीम ने लखनऊ, ललितपुर और झांसी में जाकर अध्ययन शुरू कर दिया है। 33 प्रकार की प्रजातियों का पता चला है। इनमें से अधिकतर प्रजातियों के बारे में जानकारी है, जबकि कुछ नई प्रजातियों की पहचान हुई है। उनका नामकरण भी किया जाएगा।
डॉ. कनौजिया ने बताया कि जैव विविधता के लिए तितलियों पर काम शुरू करने की मुख्य वजह तितलियों का अत्यंत संवेदनशील होना है और पर्यावरण बदलाव का सीधा असर उन पर देखा जा सकता है। अध्ययन में देखा जाएगा कि कौन-कौन प्रजाति किस क्षेत्र या जिले में पाई जाती हैं। इसका पूरा डाटा तैयार किया जाएगा। कुछ सालों बाद जब दोबारा अध्ययन किया जाएगा और पुराने डाटा को नए डाटा से मिलान किया जाएगा तब उनकी संख्या घटने-बढ़ने पर पर्यावरण बदलाव आदि के प्रभाव का आकलन ठीक से किया जा सकेगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।